अहमदाबाद/गांधीनगर: गुजरात के किसान इस समय दोहरी मुसीबत का सामना कर रहे हैं। एक तरफ वे बेमौसम बारिश और भारी फसल नुकसान के बाद राज्य सरकार द्वारा घोषित 10,000 करोड़ रुपये के पैकेज के तहत राहत पाने के लिए ऑनलाइन आवेदन करने में संघर्ष कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ भाजपा शासित राज्य सरकार ने अभी तक साल 2024 के दावों का निपटान भी पूरी तरह नहीं किया है।
नई घोषणाओं के शोर के बीच जमीनी हकीकत यह है कि किसान अभी भी पिछले साल के मुआवजे की बाट जोह रहे हैं।
2024 का हिसाब अभी भी अधूरा साल 2024 में, राज्य भर में अत्यधिक बारिश के कारण फसलें बर्बाद हो गई थीं। उस समय राज्य सरकार ने 1,769 करोड़ रुपये के राहत पैकेज की घोषणा की थी। लेकिन, सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, सरकार ने आज तक उस घोषित राशि में से 500 करोड़ रुपये का भुगतान भी नहीं किया है।
जहां एक तरफ किसान 2024 में हुए नुकसान के मुआवजे के लिए सरकारी दफ्तरों की ओर टकटकी लगाए देख रहे हैं, वहीं हाल ही में सरकार ने 42 लाख हेक्टेयर भूमि पर हुए फसल नुकसान के लिए 10,000 करोड़ रुपये के एक नए जंबो पैकेज का ऐलान कर दिया है। बताया जा रहा है कि इससे 16,500 से अधिक गांव प्रभावित हुए हैं।
तकनीकी पेंच में फंसे किसान
AAP आम आदमी पार्टी (AAP) गुजरात के महासचिव सागर रबारी ने इस मुद्दे पर सरकार को घेरते हुए कहा कि इस बार भी किसानों को फॉर्म अपलोड करने में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने आशंका जताई कि किसानों को उनका उचित मुआवजा शायद नहीं मिल पाएगा।
मुआवजे की शर्तों में मौजूद तकनीकी खामियों की ओर इशारा करते हुए रबारी ने समझाया, “राज्य सरकार ने प्रति हेक्टेयर 22,000 रुपये (अधिकतम दो हेक्टेयर तक) के मुआवजे की घोषणा की है। लेकिन समस्या यह है कि आधार कार्ड के साथ किसान का केवल ‘एक सर्वे नंबर’ ही अपलोड किया जा सकता है।”
उन्होंने आगे कहा, “गुजरात में बड़ी संख्या में ऐसे किसान हैं जिनके पास एक से अधिक सर्वे नंबर हैं। ऐसे में, अगर किसी किसान की जमीन दो अलग-अलग सर्वे नंबरों में बंटी है और कुल मिलाकर 2 हेक्टेयर से कम भी है, तो भी उसे पूरा मुआवजा नहीं मिल पाएगा।”
सरकार की नीयत पर सवाल
कांग्रेस विपक्ष ने भी सरकार की मंशा पर सवाल उठाए हैं। गुजरात कांग्रेस के प्रवक्ता डॉ. मनीष दोषी ने कहा कि राज्य सरकार की मंशा वास्तव में पैसा देने की है ही नहीं।
आंकड़ों का हवाला देते हुए डॉ. दोषी ने कहा, “2024 में घोषित राशि इस वर्ष घोषित राशि का महज दसवां हिस्सा थी। जब सरकार उसमें से भी मुश्किल से 500 करोड़ रुपये ही दे पाई है, तो यह सोचना लाजिमी है कि इस बार घोषित बड़ी रकम में से वास्तव में किसानों के हाथ क्या लगेगा।”
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