अहमदाबाद: ऐसा लगता है कि साइबर अपराधियों ने गुजरात को अपना पसंदीदा खेल का मैदान बना लिया है। राज्य में साइबर धोखाधड़ी के मामले जिस तेजी से बढ़ रहे हैं, वह चिंताजनक है। साल 2025 के पहले नौ महीनों में ही शिकायतों की ऐसी बाढ़ आई है कि इसने पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। हैरानी की बात यह है कि 2020 के बाद से अब तक दर्ज कुल मामलों में से लगभग 30% मामले केवल इसी साल के इन 9 महीनों में सामने आए हैं।
9 महीनों में 1.42 लाख शिकायतें
सीआईडी (क्राइम) द्वारा साझा किए गए नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) पोर्टल के ताजा आंकड़ों ने सबको चौंका दिया है। केवल जनवरी से सितंबर 2025 के बीच ही राज्य में 1.42 लाख शिकायतें दर्ज की गईं, जिनमें लोगों को कुल 1,011 करोड़ रुपये का चूना लगाया गया। अगर पिछले पांच वर्षों के कुल आंकड़ों पर नजर डालें, तो यह संख्या 4.81 लाख शिकायतों और 3,387.02 करोड़ रुपये की भारी-भरकम धोखाधड़ी तक पहुंच जाती है। यह वास्तव में एक बड़े पैमाने पर हो रही ‘डिजिटल डकैती’ है।
हर घंटे 21 लोग बन रहे शिकार
गुजरात सीआईडी (क्राइम) के साइबर सेल अधिकारियों के मुताबिक, इस उछाल के दो मुख्य कारण हैं: पहला, जनता में अब साइबर फ्रॉड को लेकर जागरूकता बढ़ी है, जिससे वे शिकायत दर्ज करा रहे हैं। दूसरा, अपराधी अब लोगों को धोखा देने और उनके खाते खाली करने के लिए ज्यादा शातिर तरीके (सोशल इंजीनियरिंग) अपना रहे हैं।
मामले दर्ज होने की रफ्तार डराने वाली है। 2020 से गुजरात में औसतन हर दिन 155.5 साइबर फ्रॉड की शिकायतें (यानी हर घंटे लगभग 6.5) आती थीं। लेकिन 2025 में यह आंकड़ा आसमान छू गया है। अब हर दिन औसतन 521 शिकायतें दर्ज हो रही हैं, जिसका मतलब है कि हर घंटे लगभग 21 लोग ठगी का शिकार हो रहे हैं। यह सीधे तौर पर मामलों में 200% की चौंकाने वाली वृद्धि है।
पेंशनर्स हैं सबसे आसान निशाना
इन डिजिटल लुटेरों के निशाने पर खास तौर से पेंशनभोगी हैं। अधिकारियों के पास राज्य भर से ऐसे बुजुर्गों की शिकायतों का अंबार लग गया है जो इनका शिकार बने हैं। ठग उन्हें “पेंशन खाते की जानकारी” प्राप्त करने का झांसा देकर एक साधारण सा दिखने वाला लिंक भेजते हैं। जैसे ही बुजुर्ग उस पर क्लिक करते हैं, अक्सर एक APK फाइल डाउनलोड हो जाती है जो उनके जीवन भर की कमाई को पल भर में साफ कर देती है।
औसत ठगी की रकम में मामूली बदलाव
दिलचस्प बात यह है कि भले ही मामलों की संख्या में भारी उछाल आया हो, लेकिन प्रति केस औसत ठगी की रकम लगभग स्थिर रही है। 2020 से औसत नुकसान करीब 70,313 रुपये प्रति केस था, जो 2025 में मामूली 1.3% बढ़कर 71,204 रुपये हुआ है। विशेषज्ञों का कहना है कि साइबर अपराधी बहुत तेजी से खुद को ढाल रहे हैं और शोषण के नए तरीके खोज रहे हैं। जबकि बड़े मामले सुर्खियों में आ जाते हैं, अनगिनत छोटे मामले अक्सर रिपोर्ट ही नहीं किए जाते।
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