अहमदाबाद: गुजरात की सड़कों पर कानफाड़ू संगीत बजाते DJ ट्रकों ने लोगों का सुकून छीन लिया है। ये चलते-फिरते डिस्कोथेक अब मनोरंजन से ज़्यादा सिरदर्द का कारण बन गए हैं। लेकिन अब इस ध्वनि प्रदूषण पर सरकार ने अपना शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। गुजरात सरकार ने सख्त कदम उठाते हुए नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं, ताकि आम जनता को इस शोर-शराबे से राहत मिल सके।
सरकार ने जारी किए नए और सख्त नियम
राज्य के गृह विभाग ने हाल ही में एक नया सर्कुलर और स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) जारी किया है, जिसका मुख्य उद्देश्य ध्वनि प्रदूषण कानूनों को सख्ती से लागू करना है। गुजरात प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (GPCB) ने गुजरात हाई कोर्ट को सूचित किया कि इन नए नियमों के तहत सभी साउंड सिस्टम में ‘साउंड लिमिटर’ लगाना अनिवार्य कर दिया गया है।
यह GPCB की 2019 की अधिसूचना के अनुरूप है, जिसके मुताबिक बिना साउंड लिमिटर वाले किसी भी साउंड सिस्टम की बिक्री नहीं की जा सकती।
नए सर्कुलर में अधिकारियों को भी चेतावनी दी गई है। हलफनामे में साफ कहा गया है, “यदि संबंधित अधिकारी सर्कुलर और SOP का पालन करवाने में विफल रहते हैं, तो उनकी लापरवाही और निष्क्रियता के लिए उनके खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी।”
सरकार ने मार्च 2024 से ही DJ सिस्टम के लिए ट्रकों में बदलाव करने की नई अनुमतियाँ देना बंद कर दिया है। इसके अलावा, रात 10 बजे से सुबह 6 बजे के बीच DJ ट्रक और लाउडस्पीकर के इस्तेमाल पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया है। बिना अनुमति वाले DJ ट्रकों को तुरंत जब्त करने के भी आदेश हैं।
मामला हाई कोर्ट तक कैसे पहुँचा?
सरकार की यह कार्रवाई वकील अमित पांचाल द्वारा दायर एक अदालती अवमानना याचिका के बाद हुई है। उन्होंने आरोप लगाया था कि हाई कोर्ट के आदेश के बावजूद अधिकारी ध्वनि प्रदूषण पर लगाम लगाने में नाकाम रहे हैं।
यह मामला मूल रूप से वकील कैवन दस्तूर द्वारा दायर एक जनहित याचिका से जुड़ा है, जिसमें उन्होंने शहर में DJ ट्रकों से होने वाले अत्यधिक शोर का मुद्दा उठाया था, जो ध्वनि प्रदूषण (विनियमन और नियंत्रण) नियम, 2000 का सीधा उल्लंघन है। इसी याचिका पर मार्च 2024 में हाई कोर्ट ने सरकार को एक ठोस नीति बनाने का निर्देश दिया था।
न्यायमूर्ति ए. एस. सुपेहिया और एल. एस. पीरजादा की खंडपीठ ने 16 जून, 2025 को जारी SOP और सर्कुलर के लिए अधिकारियों की सराहना की, लेकिन उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार इसके प्रभावी कार्यान्वयन पर अपनी चिंता भी व्यक्त की। हाई कोर्ट ने अवमानना मामले में सरकार की आपत्तियों को खारिज कर दिया और अगली सुनवाई के लिए 10 नवंबर की तारीख तय की है।
नियमों के पालन पर गंभीर सवाल
एक तरफ सरकार सख्ती का दावा कर रही है, तो दूसरी तरफ नियमों के पालन में बड़ी खामियां भी सामने आ रही हैं। याचिकाकर्ता कैवन दस्तूर के वकील मौनिल याज्ञनिक द्वारा दायर एक आरटीआई से चौंकाने वाला खुलासा हुआ है।
इसके अनुसार, ‘साइलेंट ज़ोन’ में स्थित गुजरात यूनिवर्सिटी (GU) पुलिस स्टेशन ने जनवरी से जून 2023 के बीच लाउडस्पीकर के लिए 165 अनुमतियाँ जारी कीं। पुलिस ने यह भी स्वीकार किया कि इस दौरान उन्होंने लाउडस्पीकर नियमों के उल्लंघन के लिए किसी पर कोई जुर्माना नहीं लगाया।
यह बेहद गंभीर है क्योंकि गुजरात यूनिवर्सिटी एक शैक्षणिक क्षेत्र होने के कारण एक घोषित ‘साइलेंट ज़ोन’ है, और पुलिस स्टेशन खुद इसी ज़ोन के भीतर आता है।
नए नियमों के अनुसार, जिला कलेक्टरों और पुलिस आयुक्तों को ‘साइलेंट ज़ोन’ घोषित करने और DJ ट्रकों या लाउडस्पीकर की अनुमति देने से पहले उनके मार्गों की पूरी तरह से समीक्षा करने की जिम्मेदारी दी गई है। इन प्रयासों से प्रगति तो दिख रही है, लेकिन असली चुनौती इन नियमों को ज़मीनी स्तर पर सख्ती से लागू करने की है, ताकि संवेदनशील क्षेत्रों में शांति बनी रहे और लोगों के स्वास्थ्य की रक्षा हो सके।
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