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गुजरात: नशा तस्करी का ‘ट्रांजिट हब’ बनता समुद्र तट? हजारों करोड़ की ड्रग्स जब्त, लेकिन सिंडिकेट के ‘असली आका’ अब भी गायब

| Updated: November 27, 2025 19:01

गुजरात बना नशे का एंट्री गेट? 7,350 करोड़ की ड्रग्स जब्त, पर 'असली आका' अब भी पुलिस की पहुंच से दूर

अहमदाबाद/गांधीनगर: गुजरात अपनी “शराबबंदी नीति” और “नशा मुक्त राज्य” के दावों के लिए जाना जाता है, लेकिन धरातल पर स्थिति कुछ और ही कहानी बयां कर रही है। राज्य के शहरी और ग्रामीण दोनों ही इलाकों में नशीले पदार्थों की तस्करी और खपत में चिंताजनक वृद्धि देखी जा रही है। हाल ही में सामने आए आंकड़े, भारी मात्रा में पकड़ी गई ड्रग्स की खेप और जगह-जगह हो रहे जन-विरोध ने सरकारी दावों की पोल खोल दी है।

आलोचकों का कहना है कि सुरक्षा तंत्र में मौजूद खामियों का फायदा तस्कर उठा रहे हैं। हालांकि सुरक्षा एजेंसियां करोड़ों की ड्रग्स पकड़ने में कामयाब रही हैं, लेकिन सबसे बड़ा सवाल अब भी अनुत्तरित है—आखिर इस पूरे खेल के पीछे के “मास्टरमाइंड” कौन हैं? पकड़ी गई ड्रग्स कहां से आ रही थी और उसकी अंतिम मंजिल क्या थी, इसे लेकर अब भी स्पष्टता का अभाव है।

गुजरात का तट: तस्करों के लिए आसान रास्ता

बीते चार वर्षों के रुझान बताते हैं कि पाकिस्तान स्थित ड्रग सिंडिकेट गुजरात के समुद्री तट का इस्तेमाल एक ‘ट्रांजिट रूट’ (गुजरने का रास्ता) के तौर पर कर रहे हैं। अधिकारियों ने मीडिया के एक वर्ग को बताया कि कराची स्थित गैंगस्टर हाजी सलीम गुजरात के समुद्री मार्गों का उपयोग कर रहा है।

पाकिस्तानी और ईरानी बंदरगाहों से नशीले पदार्थ भारतीय जल सीमा में लाए जाते हैं, जहां से मछली पकड़ने वाली नौकाओं के जरिए इन्हें गुजरात के तट पर उतारा जाता है। यहां से यह ड्रग्स पंजाब, अन्य राज्यों और यहां तक कि विदेशों में भी भेजी जाती है।

इस साल की शुरुआत में एक रिपोर्ट में दावा किया गया था कि गुजरात तट के पास पकड़ी गई 300 किलोग्राम मेथामफेटामाइन (Meth) असल में तमिलनाडु भेजी जानी थी। इस नाकाम कोशिश के तार ‘फिदा’ (Fidaa) नामक पाकिस्तान स्थित तस्कर से जुड़े थे, जो भारत में हशीश की तस्करी में भी शामिल बताया जाता है।

आंकड़ों की जुबानी: 7,350 करोड़ की जब्ती

संसद के लोकसभा में केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा पेश किए गए आंकड़े स्थिति की गंभीरता को दर्शाते हैं। आंकड़ों के मुताबिक, 2021 से 2024 के बीच गुजरात के बंदरगाहों और तटीय इलाकों से 3,407 किलोग्राम नशीले पदार्थ जब्त किए गए, जिनकी अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत 7,350 करोड़ रुपये आकी गई है। इसी अवधि के दौरान अधिकारियों ने 94.19 लाख नशीली गोलियां भी जब्त की हैं।

विपक्ष का कहना है कि 7,350 करोड़ रुपये की ड्रग्स पकड़े जाने के बावजूद, जांच एजेंसियां इन खेपों के असली मालिकों या बड़े सिंडिकेट की पहचान करने में विफल रही हैं। इससे संदेह पैदा होता है कि क्या मुख्य नेटवर्क अभी भी कानून की पकड़ से दूर है।

बड़ी कार्रवाई, मगर सवाल वही

भारतीय नौसेना, एनसीबी (NCB) और गुजरात एटीएस (ATS) ने कई संयुक्त अभियानों में बड़ी सफलताएं हासिल की हैं, लेकिन जन-स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि पकड़ी गई ड्रग्स उस विशाल मात्रा का केवल एक छोटा सा हिस्सा है जो बाजार में प्रवेश कर रही है। अहमदाबाद जैसे महानगरों से लेकर छोटे कस्बों तक चरस, गांजा, मेथामफेटामाइन और सिंथेटिक गोलियों की उपलब्धता बढ़ रही है, जो युवाओं को खतरे में डाल रही है।

  • फरवरी में रिकॉर्ड जब्ती: एक संयुक्त अभियान में गुजरात तट के पास एक बिना पंजीकरण वाली नौका को रोका गया। इसमें से 3,089 किलो चरस, 58 किलो मेथामफेटामाइन और 25 किलो मॉर्फिन बरामद हुई। अधिकारियों के अनुसार, यह भारत में रिकॉर्ड की गई अब तक की सबसे बड़ी ऑफशोर ड्रग जब्ती थी। माना जाता है कि यह खेप ईरान से आई थी और दक्षिण भारत के लिए थी।
  • नवंबर ऑपरेशन: एक अन्य बड़े ऑपरेशन में अरब सागर में एक अंतरराष्ट्रीय कार्टेल से लगभग 700 किलो मेथामफेटामाइन जब्त किया गया और आठ विदेशी नागरिकों को गिरफ्तार किया गया।
  • 12-13 अप्रैल, 2025 की रात: गुजरात एटीएस और तटरक्षक बल ने अंतर्राष्ट्रीय समुद्री सीमा रेखा के पास तस्करों को घेरा। पकड़े जाने के डर से तस्करों ने ड्रग्स समुद्र में फेंक दी। बाद में गोताखोरों की मदद से लगभग 300 किलो मेथामफेटामाइन बरामद की गई, जिसकी कीमत 1,800 करोड़ रुपये थी।

सियासी भूचाल और जनता का गुस्सा

नशे के इस बढ़ते कारोबार ने राज्य में राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया है। वडगाम से कांग्रेस विधायक जिग्नेश मेवाणी ने हाल ही में सवाल उठाया कि भारी बरामदगी के बावजूद पुलिस किसी भी बड़े “ड्रग माफिया” पर कार्रवाई क्यों नहीं कर पा रही है।

वहीं, विधायक अनंत पटेल ने भी तीखे तेवर दिखाते हुए चिखली के सदलवेद गांव में एक किसान रैली के दौरान आरोप लगाया कि राज्य में शराब और ड्रग्स “खुलेआम” बिक रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि कुछ पुलिस अधिकारी तस्करों को संरक्षण दे रहे हैं और चेतावनी दी कि ऐसे अधिकारियों को 2027 में परिणाम भुगतने होंगे।

इन बयानों के बाद थराद (Tharad) में विरोध प्रदर्शन भी देखने को मिले। शिवनगर इलाके में स्थानीय महिलाओं के एक समूह ने डीएसपी (DSP) का घेराव किया और आरोप लगाया कि अधिकारी शराब और ड्रग्स की बिक्री पर आंखें मूंदे बैठे हैं। प्रदर्शनकारियों ने तख्तियां लेकर पुलिस की कथित निष्क्रियता के खिलाफ नारेबाजी की।

विपक्ष का स्पष्ट आरोप है कि सरकार के दावे और जमीनी हकीकत में जमीन-आसमान का अंतर है। ड्रग्स की बरामदगी के आंकड़े भले ही बढ़ रहे हों, लेकिन जब तक इन सिंडिकेट्स को पनाह देने वाले ‘बड़े चेहरों’ और आंतरिक मिलीभगत का पर्दाफाश नहीं होता, तब तक नशामुक्ति की बात बेमानी है।

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