अहमदाबाद: गुजरात में बेमौसम और लगातार बारिश के कहर ने किसानों की कमर तोड़ दी है। खेतों में खड़ी फसलें बर्बाद हो चुकी हैं, जिससे अन्नदाता भारी संकट में हैं। इस बीच, कांग्रेस सांसद शक्तिसिंह गोहिल ने राज्य में फसल बीमा योजना के न होने पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने उन सभी किसानों के लिए पूर्ण मुआवजे की मांग की है, जिन्होंने अपनी पूरी फसल खो दी है।
किसानों की इसी दुर्दशा और उनके गुस्से को आवाज़ देने के लिए गुजरात प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने बुधवार को एक बड़ी घोषणा की। पार्टी 6 नवंबर से 13 नवंबर तक ‘किसान आक्रोश यात्रा’ का आयोजन करने जा रही है।
11 जिलों से गुजरेगी ‘आक्रोश यात्रा’
यह यात्रा गुजरात प्रदेश कांग्रेस कमेटी (GPCC) के अध्यक्ष अमित चावड़ा और विधायी कांग्रेस पार्टी के नेता तुषार चौधरी के नेतृत्व में सोमनाथ महादेव ज्योतिर्लिंग से शुरू होगी। यह यात्रा पूरे सौराष्ट्र क्षेत्र को कवर करेगी, जिसका मुख्य उद्देश्य किसानों की समस्याओं और पीड़ा को उजागर करना है।
यात्रा जैसे-जैसे विभिन्न क्षेत्रों से गुजरेगी, कांग्रेस के स्थानीय नेता इसकी जिम्मेदारी संभालेंगे। इसी क्रम में, 8 नवंबर को गढ़ाडा से खिजड़िया हनुमान होते हुए अमरेली तक की यात्रा की जिम्मेदारी शक्तिसिंह गोहिल संभालेंगे।
‘उद्योगपतियों का कर्ज माफ, तो किसानों का क्यों नहीं?’
मीडिया से बात करते हुए गोहिल ने भाजपा सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने सवाल उठाया कि अगर सरकार 21 लाख करोड़ रुपये के उद्योगपतियों के कर्ज माफ कर सकती है, यहाँ तक कि देश छोड़कर भागने वालों के भी, तो गुजरात के किसानों का कर्ज क्यों नहीं माफ किया जा सकता?
उन्होंने कहा, “गुजरात ने 2020 में फसल बीमा योजना बंद कर दी। अगर यह योजना चालू होती, तो आज लाखों किसान आर्थिक बर्बादी से बच सकते थे। गुजरात को छोड़कर हर राज्य में फसल बीमा योजना चालू है, इसलिए यह किसानों की गलती नहीं है।” इस दौरान उन्होंने फसल खराब होने के बाद भाणवड और ऊना में किसानों की आत्महत्या की दुखद घटनाओं का भी जिक्र किया।
‘सर्वे का नाटक बंद करे सरकार’
गोहिल ने आरोप लगाया कि सरकार सर्वे के नाम पर किसानों की परेशानी बढ़ा रही है। उन्होंने कहा, “किसानों ने सर्वे प्रक्रिया को लेकर कई शिकायतें की हैं। सरकार को यह सर्वे का नाटक बंद करना चाहिए और किसानों ने जो बोया है, उसके आधार पर उन्हें मुआवजा देना चाहिए।”
उन्होंने याद दिलाया कि अतीत में, कांग्रेस की यूपीए सरकार ने ऐसे ही संकट के समय किसानों का 720,000 करोड़ रुपये का कर्ज माफ किया था। गोहिल ने कहा, “2014 के लोकसभा चुनाव प्रचार में, मौजूदा प्रधानमंत्री ने घोषणा की थी कि उनकी सरकार बनते ही किसानों का कर्ज माफ कर दिया जाएगा। लेकिन 11 साल बाद भी कुछ नहीं हुआ।” उन्होंने सवाल किया कि “डबल इंजन” वाली 5 ट्रिलियन की सरकार को किसानों का कर्ज माफ करने से कौन रोक रहा है?
अन्य राज्यों का दिया उदाहरण
गोहिल ने तर्क दिया कि अगर कर्नाटक और तेलंगाना में कांग्रेस की सरकारें किसानों के खाते में सीधे 16,000 रुपये और 18,000 रुपये प्रति एकड़ जमा कर सकती हैं, तो गुजरात के किसानों को भी उनकी बुवाई के अनुसार मुआवजा दिया जा सकता है और उनका कर्ज माफ किया जा सकता है। उन्होंने पशुओं के लिए चारे की तत्काल व्यवस्था करने की भी मांग की।
यात्रा का पूरा रूट और उद्देश्य
गुजरात कांग्रेस की ‘किसान आक्रोश यात्रा’ 6 नवंबर को गिर-सोमनाथ जिले के तलाला से शुरू होगी और 13 नवंबर को द्वारका में समाप्त होगी। यह यात्रा गिर-सोमनाथ, जूनागढ़, अमरेली, भावनगर, बोटाद, सुरेंद्रनगर, मोरबी, राजकोट, जामनगर और पोरबंदर समेत सौराष्ट्र के 11 जिलों से होकर गुजरेगी।
पार्टी इस यात्रा के माध्यम से किसानों के लिए एक विशेष राहत पैकेज और 100% कृषि-ऋण माफी की मांग कर रही है। तुषार चौधरी, शक्तिसिंह गोहिल, सांसद गेनीबेन ठाकोर जैसे वरिष्ठ नेता और हर क्षेत्र के तीन जिला-स्तरीय कांग्रेस पदाधिकारी खेतों का दौरा कर किसानों के नुकसान का जायजा लेंगे।
विधायक ने की 2 महीने की सैलरी देने की पेशकश
इस बीच, पाटन विधायक किरीट पटेल ने भी मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल को पत्र लिखा है। उन्होंने वादा किया है कि अगर सरकार किसानों की पूर्ण कर्ज माफी की घोषणा करती है, तो वह अपने दो महीने का वेतन सरेंडर कर देंगे।
सरकार का जवाब: 9 नवंबर से होगी MSP पर खरीद
किसानों के बढ़ते आक्रोश के बीच, राज्य के कृषि मंत्री जीतू वाघानी ने घोषणा की है कि 9 नवंबर से मूंगफली की न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीद शुरू की जाएगी। इसके बाद उड़द, मूंग और सोयाबीन की खरीद भी शुरू होगी। किसानों को उनके डिलीवरी स्लॉट की जानकारी एसएमएस के जरिए दी जाएगी।
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