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गुजरात हाईकोर्ट ने रजिस्ट्री को फटकारा: CCTV लगने में देरी को बताया ‘रेड टेपिज्म’, अब आदेश का पालन जरूरी

| Updated: August 21, 2025 11:34

हाईकोर्ट ने रजिस्ट्री की लापरवाही पर जताई नाराज़गी, CCTV कैमरे लगाने में अनावश्यक देरी को बताया सरकारी रेड टेपिज्म

अहमदाबाद: गुजरात हाईकोर्ट ने अपने ही परिसर में CCTV कैमरे लगाने में हो रही लंबी देरी पर कड़ी नाराज़गी जताई है। कोर्ट ने रजिस्ट्री को फटकार लगाते हुए टिप्पणी की कि यह देरी सरकारी विभागों में दिखने वाले ‘रेड टेपिज्म’ (अनावश्यक नौकरशाही ढर्रा) से कम नहीं है।

न्यायमूर्ति संदीप एन. भट्ट की खंडपीठ ने रजिस्ट्रार जनरल की रिपोर्ट का अवलोकन करते हुए कहा कि दिसंबर 2023 में CCTV कैमरे लगाने का आदेश दिया गया था और इसे जनवरी 2024 तक लागू किया जाना था। लेकिन आज तक यह कार्य पूरा नहीं हुआ है।

कोर्ट ने कहा, “यह आदेश इस महत्वपूर्ण संस्था की पारदर्शिता और व्यापक हित को ध्यान में रखते हुए दिया गया था। CCTV कैमरे लगाने का उद्देश्य इसे एक मानक बनाना था ताकि अन्य अदालतें भी इसे अपनाएं। लेकिन दुर्भाग्यवश इसे ‘तूफ़ान इन ए टी कप’ की तरह हल्के में लिया गया और प्रक्रिया को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। यह देरी अस्वीकार्य है और सरकारी विभागों के रेड टेपिज्म जैसी स्थिति को दर्शाती है।”

कोर्ट ने आगे कहा कि ख़रीद समिति और आईटी समिति द्वारा प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई थी, इसके बावजूद तत्कालीन रजिस्ट्रार (आईटी) ने मामले को आगे बढ़ाने के बजाय दबाने की कोशिश की।

इस मामले में याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता व्योम एच. शाह ने पैरवी की, जबकि राज्य की ओर से सरकारी वकील उपस्थित हुए।

न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि CCTV कैमरे लगाने का उद्देश्य अदालत की कार्यप्रणाली को पारदर्शी बनाना था ताकि किसी भी प्रकार की गड़बड़ी या अनुचित गतिविधि होने पर उसकी जाँच फुटेज के आधार पर की जा सके। लेकिन ज़िम्मेदार अधिकारियों ने इस प्रयास को गलत तरीके से समझा और गंभीरता से नहीं लिया।

कोर्ट ने ‘रेड टेपिज्म’ की व्याख्या करते हुए कहा कि इसका अर्थ है “अनावश्यक नियम-कायदे, औपचारिकताएँ और लंबी प्रक्रियाएँ, जिनसे निर्णय लेने और कार्यान्वयन में देरी होती है।” अदालत ने कहा कि जहाँ सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय दोनों ही पुलिस थानों, राजमार्गों, सरकारी कार्यालयों और महत्वपूर्ण संस्थानों में CCTV लगाने पर ज़ोर दे रहे हैं, वहीं हाईकोर्ट परिसर में ही आदेश का पालन न होना ‘अविश्वसनीय’ है।

रिपोर्ट के अनुसार, अब तक प्रक्रिया सिर्फ स्पेसिफिकेशन तय करने और टेंडर की तैयारी के स्तर तक ही पहुँची है। न्यायमूर्ति भट्ट ने टिप्पणी की, “रजिस्ट्री को हर परिस्थिति के लिए तैयार रहना चाहिए (Omnia paratus)। लेकिन इस मामले में कारण केवल रजिस्ट्रार (आईटी) को ही पता हैं कि इतनी देरी क्यों हुई।”

कोर्ट ने उम्मीद जताई कि आदेश का पालन शीघ्र और पूरी गंभीरता से किया जाएगा।

इस मामले की अगली सुनवाई 26 अगस्त 2025 को निर्धारित की गई है।

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