अहमदाबाद/गांधीनगर: हाल ही में रिलीज हुई फिल्म ‘धुरंधर’ (Dhurandhar) के एक डायलॉग को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। बलोच समुदाय के दो सदस्यों ने फिल्म के एक संवाद पर कड़ी आपत्ति जताते हुए गुजरात हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। इस मामले की सुनवाई करते हुए बुधवार को गुजरात उच्च न्यायालय ने याचिकाकर्ताओं से पूछा कि वे इस बात को “साबित” करें कि फिल्म के उस डायलॉग से पूरे समुदाय की मानहानि कैसे हुई है।
क्या है पूरा मामला?
गांधीनगर के रहने वाले दो याचिकाकर्ताओं, यासीन अल्लारखा बलोच (Yasin Allarakha Baloch) और अयूब बालेखान बलोच (Ayub Balekhan Baloch), ने हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी। अयूब बालेखान बलोच ने अपनी पहचान एक कम्युनिटी ट्रस्ट के सदस्य के रूप में दी है। याचिका में सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (CBFC) और फिल्म निर्माताओं को निर्देश देने की मांग की गई है कि वे फिल्म और इसके प्रमोशन से उस विवादित संवाद को हटा दें।
याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि फिल्म में अभिनेता संजय दत्त (Sanjay Dutt), जो एक पुलिस वाले का किरदार निभा रहे हैं, द्वारा बोला गया एक संवाद उनके समुदाय के लिए “अपमानजनक और तिरस्कारपूर्ण” है।
कोर्ट में क्या हुआ?
बुधवार को न्यायमूर्ति ए.पी. माई (Justice A P Mayee) ने इस याचिका पर सुनवाई की। याचिकाकर्ताओं के वकील ने अदालत के सामने दलील दी कि फिल्म में इस्तेमाल किया गया संवाद बलोच समुदाय को “एक ऐसे जानवर से तुलना करता है जिस पर भरोसा नहीं किया जा सकता।”
वकील ने तर्क दिया कि यह संवाद किसी विशिष्ट पात्र या गिरोह को संबोधित नहीं करता है, बल्कि यह एक “सामान्य बयान” (general statement) जैसा प्रतीत होता है जो पूरे समुदाय को निशाना बनाता है। उन्होंने यह भी कहा कि फिल्म के दृश्य और शब्द समुदाय को “कमतर आंकते हैं और बदनाम करते हैं,” और यह “जाति-विरोधी और नस्लीय” (anti-caste and racial) प्रकृति के हैं।
याचिकाकर्ताओं की ओर से यह भी बताया गया कि बलोच समुदाय का विस्तार बहुत बड़ा है, जो उत्तर-पश्चिम के देशों से लेकर भारत, ईरान, पाकिस्तान और भारत में गुजरात के कुछ हिस्सों तक फैला हुआ है।
हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी
सुनवाई के दौरान अदालत ने मौखिक रूप से जानना चाहा कि इस संवाद से याचिकाकर्ता के खिलाफ पूर्वाग्रह कैसे बना है, क्योंकि फिल्म की कहानी भारत के बाहर के क्षेत्र पर आधारित है।
न्यायमूर्ति माई ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा, “(फिल्म) दो पड़ोसी देशों के बीच के विवाद के बारे में है और आप कह रहे हैं कि भारत में आपको बदनाम किया जा रहा है… आपको यह साबित करना होगा कि आपके साथ पूर्वाग्रह कैसे हुआ है… आप संदर्भ से बाहर (out of context) चीजों को लेने की कोशिश कर रहे हैं।”
अदालत ने याचिकाकर्ताओं को यह स्पष्ट करने के लिए कहा है कि एक विदेशी पृष्ठभूमि पर बनी फिल्म का संवाद भारत में रहने वाले उनके समुदाय को सीधे तौर पर कैसे प्रभावित कर रहा है।
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