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हत्या के आरोपी को कैंसर के इलाज के लिए जाना था अमेरिका, गुजरात हाईकोर्ट ने याचिका खारिज कर कहा – ‘भारत मेडिकल सुविधाओं का हब है’

| Updated: September 26, 2025 14:10

अदालत की बड़ी टिप्पणी, 'भारत में हर इलाज संभव, विदेश जाने की कोई जरूरत नहीं'

अहमदाबाद: गुजरात उच्च न्यायालय ने हत्या के एक आरोपी की कैंसर के इलाज के लिए अमेरिका जाने की याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने इस पर एक महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए कहा कि भारत अब “चिकित्सा सुविधाओं का एक केंद्र (हब)” है और लगभग सभी प्रकार के इलाज देश में ही उपलब्ध हैं।

क्या है पूरा मामला?

यह मामला जफर दरगाहवाला नामक व्यक्ति से जुड़ा है, जो पिछले चार दशकों से अमेरिकी नागरिक है। जफर पर 2022 में नवसारी में पैतृक संपत्ति को लेकर हुए विवाद में हत्या और आपराधिक साजिश रचने का आरोप है। इस मामले में गिरफ्तारी के बाद, मार्च 2024 में स्वास्थ्य कारणों के आधार पर उसे नियमित जमानत दे दी गई थी।

जमानत देते समय, उच्च न्यायालय ने उसके गुजरात से बाहर जाने पर रोक लगा दी थी और केवल इलाज के लिए मुंबई जाने की अनुमति दी थी। साथ ही, उसे अपना पासपोर्ट भी जमा करने का आदेश दिया गया था।

आरोपी ने क्यों लगाई थी विदेश जाने की गुहार?

जफर दरगाहवाला ने एक नई याचिका दायर कर कहा कि समय के साथ उसकी सेहत और ज्यादा बिगड़ गई है। उसने अदालत को बताया कि वह अपने इलाज पर अब तक 20 लाख रुपये से अधिक खर्च कर चुका है। इसी दौरान उसे एक कार्डियक अरेस्ट और लकवे का स्ट्रोक भी आया, जिसके बाद से वह बिस्तर पर है।

दरगाहवाला ने दलील दी कि उसे अमेरिका में अपने परिवार के साथ रहने की जरूरत है ताकि उसकी बेहतर देखभाल हो सके। उसने जमानत की शर्तों में छह महीने की ढील देने का अनुरोध किया ताकि वह विदेश में अपना इलाज करा सके। आरोपी के वकील ने यह भी तर्क दिया कि खराब स्वास्थ्य के कारण वह वैसे भी अदालती सुनवाई में शामिल नहीं हो पा रहा है, इसलिए उसकी अनुपस्थिति से मुकदमे की कार्यवाही पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा।

अभियोजन पक्ष ने किया था कड़ा विरोध

शिकायतकर्ता के वकील ने इस याचिका का पुरजोर विरोध करते हुए दावा किया कि यह हत्या एक “सुपारी किलिंग” थी और आरोपी को जमानत केवल और केवल स्वास्थ्य के आधार पर दी गई थी।

अभियोजन पक्ष ने आशंका जताई कि अगर दरगाहवाला को विदेश यात्रा की अनुमति दी गई, तो वह शायद कभी वापस नहीं लौटेगा। इस तर्क को पुख्ता करने के लिए उन्होंने बताया कि भारत की ओर से अमेरिका को भेजे गए 61 प्रत्यर्पण अनुरोध अभी भी लंबित हैं।

अदालत का निर्णायक फैसला

दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद, न्यायमूर्ति डी. ए. जोशी ने याचिका को खारिज कर दिया। अपने आदेश में उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा, “यह सच है कि वर्तमान में भारत चिकित्सा सुविधाओं का एक केंद्र है, और लगभग सभी चिकित्सा सुविधाएं भारत में उपलब्ध हैं जिनका लाभ आवेदक आसानी से उठा सकता है। आवेदक ऐसा कोई भी दस्तावेज़ पेश नहीं कर पाया है जिससे यह साबित हो कि वह जिस इलाज के लिए जाना चाहता है, वह केवल अमेरिका में ही उपलब्ध है।”

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