अहमदाबाद: गुजरात हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश में फैमिली कोर्ट के उस फैसले पर अस्थायी रोक लगा दी है, जिसमें एक पति को अपनी अलग रह रही पत्नी को 45 लाख रुपये का गुजारा भत्ता (Alimony) देने का निर्देश दिया गया था। यह मामला बेहद पेचीदा और संवेदनशील है, क्योंकि पत्नी पर अपनी ही सास की हत्या करने का गंभीर आरोप है।
अहमदाबाद के निवासी दीपक अग्रवाल ने फैमिली कोर्ट के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। उनकी दलील थी कि जिस पत्नी पर उनकी मां की हत्या जैसा जघन्य अपराध करने का आरोप हो, उसे भरण-पोषण की राशि देना किसी भी तरह से उचित नहीं है।
क्या है पूरा मामला?
यह घटना अक्टूबर 2020 की है, जब निकिता अग्रवाल को अपनी सास, रेखा की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। आरोप है कि निकिता ने लोहे की रॉड से वार कर अपनी सास की जान ले ली थी। खबरों के मुताबिक, इस घटना से पहले निकिता और उसके पति के बीच अक्सर कहासुनी और विवाद होते रहते थे।
घटना के समय निकिता गर्भवती थीं। उन्होंने जेल में ही अपने बच्चे को जन्म दिया। करीब दो साल से अधिक का समय जेल में बिताने के बाद उन्हें जमानत मिली थी।
फैमिली कोर्ट का फैसला और पति की दलील
साल 2021 में दीपक ने मानसिक और शारीरिक क्रूरता के आधार पर तलाक की अर्जी दायर की थी, जिसमें उन्होंने अपनी मां की हत्या की घटना का भी हवाला दिया था। इसी साल अगस्त में फैमिली कोर्ट ने तलाक को मंजूरी दे दी, लेकिन साथ ही दीपक, जो कि ग्रेनाइट ट्रेडिंग के कारोबार में हैं, को उनकी आय के आधार पर निकिता को 45 लाख रुपये का ‘वन-टाइम’ गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया।
इस आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट पहुंचे दीपक के वकील राहिल जैन ने तर्क दिया कि यह सामान्य तलाक का मामला नहीं है। उन्होंने अदालत में कहा, “अपीलकर्ता पति न केवल भावनात्मक बल्कि शारीरिक क्रूरता का भी शिकार हुआ है, क्योंकि पत्नी ने उसकी मां की हत्या कर दी है। ऐसे में इतनी बड़ी रकम का भुगतान करना न तो नैतिक है और न ही व्यावहारिक।”
हाईकोर्ट की टिप्पणी और रोक
जस्टिस संगीता विसेन और जस्टिस निशा ठाकोर की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए इसे गंभीर माना। कोर्ट ने अपने आदेश में दर्ज किया कि तथ्यों की गंभीरता और पेचीदगी (“chequered and serious facts”) को देखते हुए, अंतरिम राहत के तौर पर फैमिली कोर्ट के पैसे चुकाने वाले आदेश पर अगली सुनवाई तक रोक लगाई जाती है।
हाईकोर्ट ने निकिता को नोटिस जारी किया है और मामले की अगली सुनवाई जनवरी में तय की है। तब तक के लिए दीपक को 45 लाख रुपये का भुगतान करने से राहत मिल गई है।
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