भारत के सबसे समृद्ध और औद्योगिक रूप से उन्नत राज्यों में से एक, गुजरात, लंबे समय से आर्थिक प्रगति और उद्यमशीलता का प्रतीक रहा है। फिर भी, इस चमकती छवि के पीछे एक गहरी और परेशान करने वाली हकीकत छिपी है—अवैध अप्रवासन का जटिल जाल, जो विशेष रूप से गुजरात के उत्तरी जिलों जैसे मेहसाणा, गांधीनगर और पाटन में गहराई तक फैला हुआ है।
गुजराती समुदाय, जो अपनी व्यापारिक कुशाग्रता और मेहनत के लिए जाना जाता है, हाल के वर्षों में अवैध अप्रवासन के लिए कुख्यात हो गया है। यह प्रवृत्ति न केवल सामाजिक और आर्थिक चुनौतियों को उजागर करती है, बल्कि उन खतरनाक जोखिमों को भी सामने लाती है, जिनमें जानलेवा यात्राएं, शोषण और निर्वासन शामिल हैं।
अवैध अप्रवासन का रैकेट
गुजरात में अवैध अप्रवासन का इतिहास पुराना है, लेकिन हाल के दशकों में यह एक संगठित रैकेट के रूप में उभरा है। गांधीनगर और मेहसाणा जैसे जिले इस गतिविधि के केंद्र बन गए हैं, जहां एजेंटों का एक जटिल नेटवर्क ग्रामीण स्तर तक फैला हुआ है। ये एजेंट, जिन्हें स्थानीय भाषा में “एजेंट साहब” कहा जाता है, किसानों और छोटे व्यापारियों को विदेश में बेहतर जिंदगी का सपना दिखाते हैं।
संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा और यूनाइटेड किंगडम जैसे देशों में आर्थिक अवसरों की लालच इन लोगों को जोखिम भरी यात्राओं के लिए प्रेरित करती है। हालांकि गुजरात एक समृद्ध राज्य है, लेकिन स्थानीय स्तर पर अच्छे रोजगार के अवसरों की कमी और सामाजिक दबाव, जैसे कि विदेश में बसे रिश्तेदारों की सफलता की कहानियां, लोगों को अवैध रास्तों की ओर धकेलते हैं।

कई परिवार अपनी जमीन-जायदाद बेचकर या भारी कर्ज लेकर लाखों रुपये एजेंटों को देते हैं, जो “डंकी रूट” के जरिए उन्हें विदेश पहुंचाने का वादा करते हैं। यह “डंकी रूट”—एक ऐसा शब्द जो अवैध अप्रवासन के खतरनाक और जटिल मार्गों को दर्शाता है—मैक्सिको के रेगिस्तानों से लेकर कनाडा के बर्फीले जंगलों तक फैला हुआ है।
मौत का सफ़र
इन यात्राओं का जोखिम असाधारण रूप से उच्च है। 2022 में, गुजरात के डिंगुचा गांव के जगदीश पटेल और उनके परिवार की दुखद कहानी ने दुनिया का ध्यान खींचा। जगदीश, उनकी पत्नी और दो छोटे बच्चों ने कनाडा-अमेरिका सीमा को अवैध रूप से पार करने की कोशिश की थी।
एजेंटों ने उन्हें -35 डिग्री सेल्सियस के जानलेवा ठंडे मौसम में सीमा पार करने के लिए मजबूर किया, यह दावा करते हुए कि खराब मौसम में पकड़े जाने का खतरा कम होता है। परिवार ने लाखों रुपये खर्च किए थे, लेकिन उनकी यात्रा एक त्रासदी में बदल गई। भयंकर ठंड में फंसने के कारण पूरे परिवार की मौत हो गई।
इस घटना ने अवैध अप्रवासन के अमानवीय चेहरे को उजागर किया, जहां एजेंट मुनाफे के लिए लोगों की जिंदगी को दांव पर लगा देते हैं। अहमदाबाद क्राइम ब्रांच की जांच में पता चला कि एजेंटों ने परिवार को अंधेरे में एक पेट्रोल पंप की रोशनी की ओर बढ़ने के लिए कहा था, यह जानते हुए कि परिस्थितियां जानलेवा थीं।
ऐसी घटनाएं कोई अपवाद नहीं हैं; गुजरात से सैकड़ों लोग हर साल ऐसी खतरनाक यात्राओं में अपनी जान गंवा देते हैं या गंभीर शोषण का शिकार हो जाते हैं।
बढ़ता जा रहा अवैध अप्रवासन
हाल की घटनाओं ने इस समस्या की गंभीरता को और उजागर किया है। फरवरी 2025 में, अमेरिका ने 104 अवैध भारतीय प्रवासियों को निर्वासित किया, जिनमें से 33 गुजरात के थे। इनमें से ज्यादातर लोग उत्तरी गुजरात के मेहसाणा, गांधीनगर और पाटन जिलों से थे।
अमेरिकी सेना के एक सी-17 विमान ने इन लोगों को अमृतसर पहुंचाया, जहां से गुजराती प्रवासियों को अहमदाबाद लाया गया। कई परिवारों ने दावा किया कि उन्हें नहीं पता था कि उनके रिश्तेदार अवैध रूप से अमेरिका में थे।
एक मामले में, मेहसाणा की निकिता नामक एक युवती के पिता ने बताया कि उनकी बेटी यूरोप के वीजा पर दो सहेलियों के साथ घूमने गई थी, लेकिन वह अवैध रूप से अमेरिका पहुंच गई। इस तरह की कहानियां यह दर्शाती हैं कि एजेंट अक्सर लोगों को गलत जानकारी देते हैं, उन्हें वैध वीजा का झांसा देकर खतरनाक रास्तों पर ले जाते हैं।

निर्वासित लोगों को न केवल सामाजिक कलंक का सामना करना पड़ता है, बल्कि उनके द्वारा खर्च किए गए लाखों रुपये भी डूब जाते हैं। कुछ मामलों में, इन लोगों को अमेरिका-मेक्सिको सीमा पर पकड़ा गया, जहां उन्हें कठोर परिस्थितियों में हिरासत में रखा गया।
बेहतर जीवन की लालच में मौत की डगर चुनते लोग
अवैध अप्रवासन का यह सिलसिला केवल गुजरातियों तक सीमित नहीं है, लेकिन राज्य की भौगोलिक और सामाजिक परिस्थितियां इसे बढ़ावा देती हैं। उत्तरी गुजरात के ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर सीमित हैं, और खेती पर निर्भरता के कारण कई परिवार आर्थिक तंगी का सामना करते हैं। इसके अलावा, गुजरात में विदेश में बसे प्रवासियों की सफलता की कहानियां सामाजिक दबाव को बढ़ाती हैं।
एक युवक ने बताया कि उसके गांव में विदेश से लौटे लोगों के बड़े घर और शानदार जीवनशैली को देखकर वह भी अमेरिका जाने के लिए प्रेरित हुआ। एजेंट इन आकांक्षाओं का फायदा उठाते हैं, और कई बार लोगों को यह नहीं बताया जाता कि उनकी यात्रा गैरकानूनी है।
कुछ मामलों में, लोग वैध वीजा पर विदेश पहुंचते हैं, लेकिन वहां ओवरस्टे कर अवैध प्रवासी बन जाते हैं।
2023 में, सर्बिया ने भारतीयों के लिए वीजा-मुक्त यात्रा पर रोक लगा दी, क्योंकि कई लोग सर्बिया के रास्ते यूरोपीय संघ में अवैध रूप से प्रवेश कर रहे थे। यह कदम अवैध अप्रवासन को रोकने की दिशा में एक प्रयास था, लेकिन इसने “डंकी रूट” को और जटिल बना दिया।
सरकार और कानून प्रवर्तन एजेंसियों ने इस समस्या से निपटने के लिए कई कदम उठाए हैं।
अप्रैल 2025 में, गुजरात पुलिस ने एक बड़े अभियान में 550 से अधिक बांग्लादेशी अवैध प्रवासियों को हिरासत में लिया, जिनमें से कई सूरत और अहमदाबाद जैसे औद्योगिक केंद्रों में काम कर रहे थे। यह अभियान अवैध अप्रवासन के खिलाफ सख्त कार्रवाई का हिस्सा था। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि केवल दमनात्मक उपाय इस समस्या का समाधान नहीं कर सकते।
अवैध अप्रवासन रोकने के उपाय
गुजरात में स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर बढ़ाने, शिक्षा और जागरूकता फैलाने और एजेंटों के नेटवर्क को तोड़ने की जरूरत है। विदेश मंत्रालय ने भी निर्वासित लोगों के साथ व्यक्तिगत रूप से बात करने और उनके अनुभवों को समझने के लिए अधिकारियों को निर्देश दिए हैं, ताकि इस रैकेट की जड़ों तक पहुंचा जा सके।
अवैध अप्रवासन की यह कहानी केवल आंकड़ों और नीतियों तक सीमित नहीं है; यह उन परिवारों की त्रासदी है, जो अपने सपनों को साकार करने की उम्मीद में सब कुछ दांव पर लगा देते हैं।
जगदीश पटेल के परिवार की तरह, कई लोग अपनी जान गंवा देते हैं, जबकि अन्य निर्वासन और सामाजिक बहिष्कार का सामना करते हैं। यह एक कड़वी सच्चाई है कि गुजरात जैसे समृद्ध राज्य में भी, आर्थिक असमानता और सामाजिक दबाव लोगों को ऐसी खतरनाक राहों पर धकेल रहे हैं।
इस समस्या का समाधान केवल सख्त कानूनों या सीमा नियंत्रण में नहीं, बल्कि सामाजिक-आर्थिक सुधारों और जागरूकता में निहित है। जब तक ये मूलभूत मुद्दे हल नहीं होते, गुजरात से अवैध अप्रवासन की यह दुखद कहानी जारी रहेगी, और सपनों की कीमत जान और सम्मान के नुकसान के रूप में चुकानी पड़ेगी।
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