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गुजरात में अंधविश्वास का घिनौना चेहरा: कहीं सामाजिक बहिष्कार, तो कहीं लाखों की ठगी

| Updated: October 8, 2025 14:34

सुरेंद्रनगर में एक परिवार को 'डाकन' बताकर किया बहिष्कृत, वहीं अहमदाबाद में विधवा से तांत्रिकों ने 'शाप' हटाने के नाम पर ऐंठे 14 लाख रुपये।

एक तरफ जहां दुनिया विज्ञान और तकनीक के नए आयाम छू रही है, वहीं गुजरात के कुछ हिस्सों में अंधविश्वास का अँधेरा आज भी लोगों की जिंदगियों में जहर घोल रहा है। हाल ही में सामने आई दो अलग-अलग घटनाएं इसका जीता-जागता सबूत हैं।

एक मामले में एक पूरे परिवार को ‘डाकन’ बताकर छह महीने तक समाज से बाहर कर दिया गया, तो दूसरे मामले में एक बेसहारा विधवा को ऑनलाइन तांत्रिकों ने उसके दुख का फायदा उठाकर 14 लाख रुपये से ज्यादा का चूना लगा दिया।

कहानी नंबर 1: जब झूठे आरोपों ने छीना परिवार का सुकून

सुरेंद्रनगर जिले के चोटिला तालुका के काबरण गांव में हमीर नाथा चावड़ा का पांच लोगों का परिवार पिछले छह महीनों से सामाजिक बहिष्कार का दंश झेल रहा था। उनके ही गांव के एक दंपति, सामत देवशी परमार और उनकी पत्नी हेमू ने उन पर काला जादू करने और ‘बुरी नजर’ लगाने का संगीन आरोप लगाया था।

अपनी बात को सच साबित करने के लिए परमार दंपति ने खुद पर ‘देवी आने’ का नाटक भी किया और इसका पूरा दोष चावड़ा परिवार पर मढ़ दिया।

इस सामाजिक प्रताड़ना से तंग आकर चावड़ा परिवार ने अंधविश्वास के खिलाफ काम करने वाली एक एनजीओ ‘भारत जन विज्ञान जत्था’ से मदद की गुहार लगाई। एनजीओ के प्रमुख जयंत पंड्या ने मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस से सुरक्षा की मांग की।

3 अक्टूबर को जब एनजीओ और नानी मोलडी पुलिस स्टेशन की टीम गांव पहुंची, तो दूध का दूध और पानी का पानी हो गया। पूछताछ में परमार दंपति और उनके बेटे अरुण ने कबूल किया कि उन्होंने आपसी रंजिश के चलते चावड़ा परिवार को फंसाने के लिए यह झूठी कहानी गढ़ी थी।

पुलिस ने तीनों को हिरासत में लिया और भविष्य में ऐसा न करने की चेतावनी देकर छोड़ दिया। इंसानियत की मिसाल पेश करते हुए चावड़ा परिवार ने गांव में शांति बनाए रखने के लिए कोई भी कानूनी शिकायत दर्ज करने से इनकार कर दिया।

कहानी नंबर 2: दुःख का फायदा उठाकर विधवा से 14 लाख की ठगी

अंधविश्वास का यह खेल सिर्फ गांवों तक ही सीमित नहीं है, शहरों में यह और भी खतरनाक और संगठित रूप ले चुका है। अहमदाबाद में एक ऐसा ही दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है, जहां धोखेबाजों ने एक महिला के दुख को अपनी कमाई का जरिया बना लिया।

अहमदाबाद की रहने वाली 41 वर्षीय शबनम मोहम्मद हुसैन ने कुछ समय पहले अपने पति और बेटे को असमय खो दिया था। अपने गम में डूबी शबनम को इस साल फरवरी में यूट्यूब पर ‘तांत्रिक बाबा’ और ‘स्पेशलिस्ट ब्लैक मैजिक कारीबाबा मौलानाजी’ जैसे चैनल मिले।

जब उन्होंने दिए गए नंबरों पर संपर्क किया, तो दूसरी तरफ बैठे ठगों ने उन्हें यकीन दिलाया कि उनके घर पर ‘काले जादू का साया’ है और इसी वजह से उनके परिवार के साथ अनहोनी हुई।

इस ‘शाप’ को हटाने के नाम पर ठगों ने शबनम से धीरे-धीरे पैसे ऐंठने शुरू कर दिए। धोखेबाजों की हिम्मत इतनी बढ़ गई कि उन्होंने एक ‘अघोरी पूजा’ के लिए शबनम से इंसानी बलि तक की मांग कर डाली। जब शबनम ने ऐसा करने से साफ इनकार कर दिया, तो उन्होंने बलि के बदले चार तांत्रिकों द्वारा पूजा करने का नया झांसा दिया और इसके लिए 9.2 लाख रुपये मांगे, जो महिला ने 22 अप्रैल को चुका भी दिए।

लेकिन ठगों का लालच यहीं खत्म नहीं हुआ। उन्होंने शबनम को मौत का डर दिखाकर कब्रिस्तान में एक और पूजा करने के नाम पर 3.15 लाख रुपये और वसूल लिए। अपने परिवार को बचाने की उम्मीद में शबनम ने कर्ज लेकर इन ठगों को कुल 14.18 लाख रुपये दे दिए।

आखिरकार, जब शबनम को अपने साथ हुई ठगी का अहसास हुआ, तो उन्होंने 5 अक्टूबर को वेजलपुर पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने राम प्रताप धनराज भार्गव और गुरुमाता उर्फ विजेंद्रदेवी के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया है। पुलिस का मानना है कि आरोपी महाराष्ट्र या राजस्थान में हो सकते हैं और उनकी गिरफ्तारी के लिए टीमें रवाना कर दी गई हैं।

गुजरात में घटी ये दोनों घटनाएं समाज के लिए एक चेतावनी हैं कि कैसे अंधविश्वास कहीं सामाजिक जहर घोल रहा है तो कहीं आपराधिक ठगी का एक बड़ा जरिया बन गया है। यह दिखाता है कि हमें जागरूकता और वैज्ञानिक सोच को अपनाकर ही इस सामाजिक बुराई के अंधेरे से बाहर निकलना होगा।

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