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अमेरिका: रोड आइलैंड में गुजराती छात्र गिरफ्तार, बुजुर्गों को ठगने वाले गिरोह का ‘रनर’ बनकर पहुंचा था कैश लेने

| Updated: November 20, 2025 12:57

बुजुर्गों को ठगने वाले रैकेट का पर्दाफाश: 45,000 डॉलर कैश लेने पहुंचा था छात्र, पुलिस के स्टिंग ऑपरेशन में ऐसे फंसा

रोड आइलैंड: अमेरिका में भारतीय छात्रों, विशेषकर गुजरात से ताल्लुक रखने वाले युवाओं के धोखाधड़ी के मामलों में संलिप्त होने की एक और चिंताजनक घटना सामने आई है। रोड आइलैंड (Rhode Island) की न्यूपोर्ट पुलिस ने 13 नवंबर को एक 22 वर्षीय गुजराती छात्र को गिरफ्तार किया है। मैसाचुसेट्स के एक कॉलेज में पढ़ने वाला यह छात्र एक बुजुर्ग पीड़ित से ठगी की रकम वसूलने के लिए मौके पर पहुंचा था।

पुलिस के अनुसार, छात्र एक बड़े स्कैम नेटवर्क के लिए ‘रनर’ (पैसे लाने वाला) का काम कर रहा था और उसे रंगे हाथों 45,000 डॉलर (लगभग 38 लाख रुपये) कैश कलेक्ट करते वक्त दबोचा गया।

कैसे बिछाया गया जाल?

कोर्ट के दस्तावेजों से मिली जानकारी के मुताबिक, जिस बुजुर्ग को निशाना बनाया गया, वह पहले ही 50,000 डॉलर की ठगी का शिकार हो चुके थे। उस समय ठगों ने खुद को अमेरिकी संघीय एजेंट (US Federal Agents) बताकर उनसे पैसे ऐंठे थे।

इस बार स्कैमर्स ने बुजुर्ग को फोन कर डराया कि उनके नाम पर किराए पर ली गई एक गाड़ी में आपत्तिजनक दस्तावेज मिले हैं। उन्हें धमकी दी गई कि अगर उन्होंने सहयोग नहीं किया, तो उन्हें गिरफ्तार कर डिपोर्ट कर दिया जाएगा। डर के मारे पीड़ित ने पहले पार्सल के जरिए कैश भेजा।

मामला तब खुला जब 3 नवंबर को ठगों ने पीड़ित पर दबाव डाला कि वे 3,00,000 डॉलर का सोना खरीदें। इतनी बड़ी रकम का सोना खरीदने की बात सुनकर ज्वैलर्स को शक हुआ और उन्होंने तुरंत पुलिस को इसकी सूचना दी।

इसके बाद पुलिस ने कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ मिलकर एक ‘स्टिंग ऑपरेशन’ (जाल) तैयार किया। योजना के तहत 70,000 डॉलर का एक नकली कैशियर चेक भेजने का नाटक किया गया। 13 नवंबर को जब आरोपी छात्र 45,000 डॉलर कैश लेने पहुंचा, तो पहले से तैयार पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया।

हिरासत में भी आते रहे स्कैमर्स के फोन

पूछताछ के दौरान आरोपी छात्र ने पहले तो किसी भी जानकारी से इनकार किया, लेकिन बाद में उसने कबूल कर लिया कि वह पहले भी अलग-अलग ऑपरेशन में चार से पांच बार कैश पिक-अप कर चुका है।

हैरानी की बात यह है कि जब छात्र पुलिस हिरासत में था, तब भी फ्रॉड नेटवर्क के लोग उसे फोन कर रहे थे। स्कैमर्स ने उसे चेतावनी दी कि “लोकेशन खतरनाक है, वहां से तुरंत निकल जाओ।” पुलिस ने बाद में उसका फोन डिसेबल कर दिया और मामले से जुड़े कुछ फर्जी चेक भी बरामद किए।

अमेरिका में बढ़ रहे हैं ऐसे मामले: एक नजर पुराने केसों पर

यह गिरफ्तारी कोई इकलौती घटना नहीं है। पिछले कुछ सालों में अमेरिका में मनी लॉन्ड्रिंग और धोखाधड़ी के मामलों में गुजराती मूल के कई लोगों के नाम सामने आए हैं।

  • 2019 का मामला: केंटकी में अवैध रूप से रह रहे हार्दिक जयंतीलाल पटेल ने टेलीमार्केटिंग फ्रॉड के जरिए लाखों डॉलर की हेराफेरी करने वाले एक नेटवर्क का नेतृत्व किया था। उसने 85 से अधिक बुजुर्ग अमेरिकियों को 3.2 मिलियन डॉलर (काफी बड़ी रकम) का चूना लगाया। हार्दिक ने दिसंबर 2023 में अपना गुनाह कबूला, जिसके बाद अप्रैल 2025 में उसे 46 महीने की जेल और तीन साल की निगरानी (supervised release) की सजा सुनाई गई।
  • 2024 की गिरफ्तारी: इसी तरह, विजिटर वीजा पर अमेरिका आए प्रतीक पटेल को 7 फरवरी 2024 को 40,000 डॉलर कलेक्ट करने की कोशिश में गिरफ्तार किया गया था। अप्रैल 2025 में उसे वायर फ्रॉड के जुर्म में 90 महीने (साढ़े 7 साल) की कैद की सजा मिली।
  • 2022 और 2025 के अन्य मामले: साल 2022 में, अहमदाबाद और गांधीनगर के दो लोगों को सोशल सिक्योरिटी अधिकारी बनकर ठगी करने वाले एक अंतरराष्ट्रीय कॉल-सेंटर रैकेट चलाने का दोषी पाया गया था। वहीं, 2025 की पहली छमाही में ही गुजराती मूल के 12 लोगों को बुजुर्ग नागरिकों से ठगी के आरोप में संघीय अदालतों ने सजा सुनाई है, जिनमें से आठ अवैध अप्रवासी थे।

कुछ समय पहले एक गुजराती महिला का अमेरिका के ‘टार्गेट’ स्टोर (Target store) से सामान चोरी करते हुए वीडियो भी वायरल हुआ था, जिसने प्रवासी भारतीयों की छवि को लेकर काफी बहस छेड़ी थी। पुलिस का मानना है कि छात्र जैसे युवाओं का ऐसे गिरोहों में शामिल होना एक गंभीर चिंता का विषय है।

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