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H-1B वीजा: भारतीय IT कंपनियों को बड़ा झटका, नए अप्रूवल में 70% की भारी गिरावट

| Updated: December 1, 2025 13:26

TCS और भारतीय IT फर्मों की मुश्किलें बढ़ीं, जबकि Amazon और Google ने जमाया कब्जा; जानिए H-1B वीजा के बदलते समीकरण

बेंगलुरु: अमेरिका में काम करने का सपना देख रहे भारतीय आईटी पेशेवरों और दिग्गज आईटी कंपनियों के लिए खबरें उत्साहजनक नहीं हैं। नेशनल फाउंडेशन फॉर अमेरिकन पॉलिसी (NFAP) की नवीनतम रिपोर्ट ने एक चौंकाने वाली तस्वीर पेश की है। वित्त वर्ष 2025 में शीर्ष सात भारतीय आईटी कंपनियों को प्रारंभिक रोजगार (Initial Employment) के लिए केवल 4,573 H-1B याचिकाएं ही स्वीकृत हुईं।

यह आंकड़ा 2015 की तुलना में 70% कम है, और अगर हम 2024 से तुलना करें, तो इसमें 37% की गिरावट दर्ज की गई है।

USCIS H-1B एम्प्लॉयर डेटा हब के आंकड़ों पर आधारित यह विश्लेषण स्पष्ट करता है कि अब अमेरिकी वीजा परिदृश्य में बड़ा बदलाव आ चुका है।

TCS का प्रदर्शन और बढ़ती चुनौतियां

रिपोर्ट के अनुसार, शीर्ष पांच नियोक्ताओं (Employers) में टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) एकमात्र ऐसी भारतीय आईटी सेवा कंपनी है, जिसने अमेरिका में नए H-1B श्रमिकों के लिए अप्रूवल हासिल किए हैं। हालांकि, आंकड़े बताते हैं कि चुनौतियां बढ़ी हैं।

TCS ‘कंटीन्यूइंग एम्प्लॉयमेंट’ (रोजगार जारी रखने) की श्रेणी में भी शीर्ष पांच में शामिल एकमात्र भारतीय कंपनी है। लेकिन चिंता की बात यह है कि एक्सटेंशन (विस्तार) के लिए रिजेक्शन रेट यानी अस्वीकृति दर बढ़कर 7% हो गई है। यह 2024 में 4% थी और कंपनी के अन्य प्रतिस्पर्धियों की तुलना में काफी अधिक है। सामान्य तौर पर, USCIS ने रोजगार जारी रखने की याचिकाओं के लिए कुल 1.9% की अस्वीकृति दर दर्ज की है।

इस साल TCS ने निरंतर रोजगार के लिए 5,293 स्वीकृतियां हासिल कीं। वहीं, प्रारंभिक रोजगार (Initial Employment) के लिए भारत की इस सबसे बड़ी आईटी कंपनी को 846 स्वीकृतियां मिलीं, जबकि 2024 में यह संख्या 1,452 और 2023 में 1,174 थी। इस वर्ष कंपनी के लिए अस्वीकृति दर 2% रही।

अमेरिकी कंपनियों का दबदबा: एक बड़ा बदलाव

NFAP का ताजा पॉलिसी ब्रीफ H-1B परिदृश्य में एक बड़े उलटफेर की ओर इशारा करता है। इतिहास में पहली बार, अमेज़न (Amazon), मेटा (Meta), माइक्रोसॉफ्ट (Microsoft) और गूगल (Google) ने नए H-1B अप्रूवल के मामले में शीर्ष चार स्थानों पर कब्जा जमा लिया है। स्थिति यह है कि प्रारंभिक H-1B याचिकाओं के लिए शीर्ष 25 नियोक्ताओं की सूची में भारत स्थित केवल तीन कंपनियां ही अपनी जगह बना पाई हैं।

कंपनियां अपने मौजूदा कर्मचारियों को बचाने में जुटीं

H-1B फाइलिंग का एक बड़ा हिस्सा ‘कंटीन्यूइंग एम्प्लॉयमेंट’ याचिकाओं का होता है, और अधिकांश बड़ी आईटी सेवा फर्मों के लिए इसमें रिजेक्शन रेट अभी भी कम है। इंफोसिस, विप्रो और LTIMindtree ने निरंतर रोजगार याचिकाओं के लिए 1% से 2% के बीच अस्वीकृति दर की सूचना दी है।

हालांकि, वित्त वर्ष 2025 में प्रारंभिक रोजगार के लिए इनकार (Denials) की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है। बड़े नियोक्ताओं में, TCS ने 2% की सबसे कम अस्वीकृति दर दर्ज की, जबकि HCL अमेरिका ने 6%, LTIMindtree ने 5% और कैपजेमिनी ने 4% दर दर्ज की।

बीटीजी अद्वय (BTG Advaya) लॉ फर्म की पार्टनर मानसी सिंह का कहना है, “ये रुझान बताते हैं कि कंपनियां अपने मौजूदा कर्मचारियों को कानूनी रूप से नियोजित रखने पर अधिक ध्यान केंद्रित कर रही हैं। H-1B प्रोग्राम अब अमेरिका में नए कुशल श्रमिकों को लाने के तंत्र के बजाय, ग्रीन कार्ड की कतार में लगे कर्मचारियों के लिए एक ‘होल्डिंग पैटर्न’ बनकर रह गया है।”

सॉफ्टवेयर इंजीनियरों के लिए बढ़ीं मुश्किलें

इमिग्रेशन प्लेटफॉर्म ‘बियॉन्ड बॉर्डर’ ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि लेबर सर्टिफिकेशन चरण के दौरान “सॉफ्टवेयर इंजीनियर” के रूप में वर्गीकृत व्यक्तियों के लिए अप्रूवल में लगातार चौथे वर्ष गिरावट आई है। यह केवल वीजा निर्णय में नहीं, बल्कि बुनियादी लेबर असेसमेंट में भी कम होती मंजूरियों को दर्शाता है।

H1BGrader के आंकड़ों के मुताबिक, “सॉफ्टवेयर इंजीनियर” श्रेणी के लिए लेबर सर्टिफिकेशन 2022 में 40,378 से गिरकर 2025 की तीसरी तिमाही तक 23,922 रह गए।

बियॉन्ड बॉर्डर की हेड ऑफ लीगल, कैमिला फान्हा (Camila Façanha) ने कहा, “ये अस्वीकृति दरें H-1B प्रोग्राम की, विशेष रूप से सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग और अन्य तकनीकी भूमिकाओं के लिए इसके उपयोग की, लंबी अवधि की जांच को दर्शा सकती हैं, हालांकि वर्तमान डेटा सीधे तौर पर कोई ठोस कारण स्थापित नहीं करता है।”

क्या H-1B वाकई ‘सस्ता लेबर’ है? आंकड़े कुछ और कहते हैं

कुछ नीति निर्माता, जो सख्त आव्रजन उपायों का समर्थन करते हैं, अक्सर यह तर्क देते हैं कि विदेशी मूल के वैज्ञानिक और इंजीनियर “सस्ते श्रम” (Cheap Labour) का हिस्सा हैं। लेकिन USCIS के आंकड़े इस दावे को खारिज करते हैं।

वित्त वर्ष 2024 में, कंप्यूटर से संबंधित व्यवसायों में H-1B पेशेवरों का औसत वार्षिक वेतन $136,000 (लगभग 1.14 करोड़ रुपये) था, जिसका मीडियन वेतन $125,000 था। यह स्पष्ट करता है कि ये कर्मचारी कम लागत वाले नहीं हैं। इसके अलावा, स्वीकृत H-1B लाभार्थियों में से 63% के पास मास्टर डिग्री या उससे उच्च शिक्षा थी, जो यह साबित करता है कि यह प्रोग्राम अमेरिका और विश्व स्तर पर मांग में रहने वाले अत्यधिक कुशल पेशेवरों को आकर्षित करना जारी रखे हुए है।

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