अक्सर लोग नियमित ब्लड शुगर टेस्ट कराते हैं, लेकिन क्या आप HbA1c के बारे में जानते हैं? HbA1c (ग्लाइकेटेड हीमोग्लोबिन) सिर्फ एक टेस्ट नहीं, बल्कि आपकी सेहत का एक महत्वपूर्ण मार्कर है। जहां सामान्य ग्लूकोज टेस्ट केवल एक पल की शुगर स्थिति बताता है, वहीं HbA1c आपके पिछले दो से तीन महीनों के ब्लड शुगर लेवल का औसत दिखाता है।
यह टेस्ट केवल डायबिटीज के मरीजों के लिए ही नहीं, बल्कि उन लोगों के लिए भी बेहद जरूरी है जिन्हें अभी डायबिटीज नहीं है। यह शरीर में ग्लूकोज मैनेज करने की क्षमता की असली तस्वीर पेश करता है और मेटाबॉलिक (चयापचय) समस्याओं के खतरे को पहले ही भांप लेता है।
हाई HbA1c क्यों है चिंता का विषय?
अगर आपका HbA1c लेवल बढ़ा हुआ है, तो इसका सीधा मतलब है कि पिछले कुछ समय से आपके खून में शुगर की मात्रा लगातार ज्यादा बनी हुई है। भले ही यह बढ़ोतरी थोड़ी सी हो, लेकिन यह शरीर के अंगों पर गहरा दबाव डालती है। रिसर्च बताती है कि बढ़ा हुआ HbA1c दिल की बीमारियों, किडनी की खराबी और नसों के डैमेज होने (Nerve damage) का खतरा कई गुना बढ़ा देता है।
आसान शब्दों में कहें तो HbA1c एक ‘अर्ली वॉर्निंग सिस्टम’ या चेतावनी की घंटी है। यह बताता है कि शरीर शुगर लेवल को सही रखने में संघर्ष कर रहा है और इससे पहले कि कोई गंभीर बीमारी जकड़ ले, आपको अपनी जीवनशैली में बदलाव कर लेने चाहिए।
नॉन-डायबिटिक लोगों के लिए ‘साइलेंट रिस्क’
अगर आपको डायबिटीज नहीं है, तो भी बढ़ा हुआ HbA1c लेवल सुरक्षित नहीं है। यह एक छिपा हुआ खतरा है। कई अध्ययनों में पाया गया है कि जिन नॉन-डायबिटिक लोगों का HbA1c ज्यादा होता है, उन्हें सब-क्लिनिकल कार्डियोवैस्कुलर बीमारियों का खतरा होता है। इसमें धमनियों का सख्त होना और उनमें प्लाक जमा होना शामिल है।
इसके अलावा, यह मेटाबॉलिक सिंड्रोम और किडनी की कार्यक्षमता बिगड़ने का संकेत भी हो सकता है। इसका मतलब साफ़ है—ब्लड शुगर कंट्रोल करना हर किसी के लिए जरूरी है, सिर्फ डायबिटीज मरीजों के लिए नहीं।
हाई लेवल का शरीर पर प्रभाव:
- समय के साथ धमनियां सख्त हो सकती हैं, जिससे हार्ट डिजीज का खतरा बढ़ता है।
- लगातार बढ़ा हुआ शुगर लेवल इंसुलिन के साथ शरीर के संघर्ष को दर्शाता है।
- यह हमारे प्रमुख अंगों पर बहुत बुरा असर डाल सकता है।
क्या कहता है विज्ञान? (NIH की रिपोर्ट)
‘नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ’ (NIH) में प्रकाशित एक अध्ययन, जिसका शीर्षक “हाई हीमोग्लोबिन A1c लेवल्स विदिन द नॉन-डायबिटिक रेंज आर एसोसिएटेड विद द रिस्क ऑफ ऑल कैंसर्स” है, कुछ चौंकाने वाले तथ्य सामने रखता है। इस स्टडी के अनुसार, नॉन-डायबिटिक लोगों में सबसे ज्यादा खतरा उन्हें है जो:
- बुजुर्ग हैं।
- धूम्रपान करते हैं।
- हाई कैलोरी वाली डाइट लेते हैं।
- सुस्त जीवनशैली जीते हैं (व्यायाम की कमी)।
- जिनका BMI (बॉडी मास इंडेक्स) ज्यादा है।
अध्ययन का निष्कर्ष यह है कि बढ़ा हुआ HbA1c लेवल महज एक संयोग नहीं है, बल्कि यह मेटाबॉलिक और दिल से जुड़ी समस्याओं के जोखिम के साथ जुड़ा होता है। यह शरीर के अंदर चल रहे उस तनाव का संकेत है जो लगातार ज्यादा चीनी या शुगर के सेवन से पैदा हो रहा है।
जोखिम कम करने के लिए 30 दिनों का प्लान
अच्छी खबर यह है कि सही लाइफस्टाइल अपनाकर आप इस खतरे को टाल सकते हैं। डाइट, नींद और एक्सरसाइज में छोटे-छोटे बदलाव करके आप अगले 30 दिनों में अपने HbA1c लेवल में सुधार देख सकते हैं।
1. लो-ग्लाइसेमिक और होल्-फूड डाइट अपनाएं अपनी थाली में सब्जियां, साबुत अनाज, दालें, लीन प्रोटीन और हेल्दी फैट्स को जगह दें। ये चीजें धीरे पचती हैं, जिससे ब्लड शुगर एकदम से नहीं बढ़ता (Spike नहीं होता)। रिफाइंड शुगर और प्रोसेस्ड फूड से दूरी बना लें। एक बार में ज्यादा खाने के बजाय, थोड़ी-थोड़ी देर में कम मात्रा में भोजन करें। ‘नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ’ के अनुसार, लो-ग्लाइसेमिक डाइट से अनियंत्रित डायबिटीज वाले मरीजों का HbA1c भी 7.8% तक कंट्रोल में देखा गया है।
2. फिजिकल एक्टिविटी बढ़ाएं नियमित व्यायाम से मांसपेशियों की ग्लूकोज सोखने की क्षमता बढ़ती है और इंसुलिन सेंसिटिविटी बेहतर होती है।
- हर दिन कम से कम 30 से 45 मिनट की मॉडरेट एक्टिविटी करें। इसमें तेज चलना (Walking), साइकिल चलाना या तैराकी शामिल हो सकते हैं।
- हफ्ते में कुछ दिन स्ट्रेंथ ट्रेनिंग (डंबल्स या रेजिस्टेंस बैंड्स) भी करें। जितनी ज्यादा मसल्स होंगी, शरीर उतना बेहतर ग्लूकोज का उपयोग करेगा।
3. नींद सुधारें और तनाव कम करें अक्सर हम नींद और तनाव को नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन ब्लड शुगर पर इनका गहरा असर होता है। हर रात 7 से 9 घंटे की अच्छी नींद लेने की कोशिश करें। नींद पूरी न होने पर शरीर इंसुलिन के प्रति कम संवेदनशील हो जाता है। वहीं, ज्यादा तनाव लेने से शरीर में कोर्टिसोल हार्मोन बढ़ता है, जो सीधे तौर पर ब्लड शुगर लेवल को ऊपर की तरफ धकेलता है।
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