नई दिल्ली: देश के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को अचानक अपने पद से इस्तीफा देकर राजनीतिक हलकों को चौंका दिया। उन्होंने अपने इस्तीफे के पीछे स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया है। लेकिन यह घोषणा संसद के मानसून सत्र के पहले दिन आई, जिससे विपक्षी दलों के बीच अटकलों का दौर शुरू हो गया है।
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने इस फैसले पर हैरानी जताते हुए कहा कि उन्होंने उसी दिन सुबह धनखड़ से मुलाकात की थी और कुछ समय पहले उनसे बातचीत भी हुई थी। उन्होंने कहा, “कोई शक नहीं कि श्री धनखड़ को अपनी सेहत को प्राथमिकता देनी चाहिए, लेकिन यह इस्तीफा पूरी तरह से अप्रत्याशित है और इसमें कुछ तो और भी है जो अभी सामने नहीं आया है।”
जयराम रमेश ने बताया कि उपराष्ट्रपति मंगलवार को बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की बैठक लेने वाले थे और न्यायपालिका से जुड़े कुछ अहम ऐलान भी करने वाले थे। उन्होंने कहा, “उन्होंने मंगलवार दोपहर 1 बजे बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की बैठक बुलाई थी और न्यायपालिका से संबंधित कुछ बड़े ऐलान करने वाले थे।”
कांग्रेस पार्टी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आग्रह किया है कि वे धनखड़ को यह फैसला वापस लेने के लिए मनाएं। रमेश ने कहा कि इस्तीफा वापस लेना देशहित में होगा, खासकर किसानों के लिए यह राहत भरा कदम साबित हो सकता है।
इस घटनाक्रम पर सीपीआई सांसद पी. संतोश कुमार ने भी प्रतिक्रिया दी और कहा कि यह निर्णय अप्रत्याशित है। उन्होंने कहा, “मुझे नहीं लगता कि राष्ट्रपति इसे स्वीकार करेंगे। यह उनकी पहली प्रतिक्रिया हो सकती है, शायद वे हाल की कुछ घटनाओं से असंतुष्ट हैं।”
राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने उपराष्ट्रपति के फैसले का सम्मान करने की अपील की। उन्होंने कहा, “उन्होंने स्पष्ट रूप से स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया है, हमें इसे स्वीकार करना चाहिए और आगे बढ़ना चाहिए।”
सिब्बल ने आगे कहा, “व्यक्तिगत रूप से मुझे अच्छा नहीं लगा। मेरे उनके साथ अच्छे संबंध थे। भले ही हमारी विचारधाराएं अलग थीं, लेकिन वे कभी मन में कुछ नहीं रखते थे। जब भी मैंने राज्यसभा में बोलने के लिए अधिक समय मांगा, उन्होंने दिया।”
उन्होंने धनखड़ को राष्ट्रवादी और देशभक्त बताते हुए कहा कि वे हमेशा सरकार और विपक्ष के बीच बेहतर सहयोग चाहते थे ताकि भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि मजबूत हो।
AIMIM नेता वारिस पठान ने कहा, “मैंने देखा कि उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर इस्तीफा दिया है। उन्होंने स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया है। हम केवल यही प्रार्थना कर सकते हैं कि उनकी सेहत जल्द ठीक हो।”
शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के नेता आनंद दुबे ने भी इस पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, “उपराष्ट्रपति का स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफा देना चिंता का विषय है। हम उनके जल्द स्वस्थ होने की कामना करते हैं, लेकिन सवाल यह है कि यह इस्तीफा संसद सत्र के पहले दिन ही क्यों दिया गया?”
उन्होंने आगे कहा, “सरकार में आखिर चल क्या रहा है? यह फैसला बिना किसी सलाह या चर्चा के लिया गया लगता है। अगर स्वास्थ्य ही कारण था, तो यह इस्तीफा कुछ दिन पहले या सत्र के बाद भी दिया जा सकता था।”
अपनी इस्तीफा पत्र में 74 वर्षीय धनखड़ ने लिखा, “स्वास्थ्य देखभाल को प्राथमिकता देने और चिकित्सकीय परामर्श के पालन के लिए, मैं भारत के उपराष्ट्रपति पद से तत्काल प्रभाव से, संविधान के अनुच्छेद 67(क) के अंतर्गत इस्तीफा दे रहा हूँ।”
जैसे ही संसद का मानसून सत्र शुरू हुआ, उपराष्ट्रपति का यह अचानक इस्तीफा, जो राज्यसभा के सभापति भी होते हैं, एक बड़ा सवाल बन गया है और देश की राजनीति में हलचल मचा गया है।
यह भी पढ़ें- सूरत के किसानों को न्याय दिलाने की मांग: कांग्रेस नेता शक्तिसिंह गोहिल ने राज्य सरकार से की अपील









