नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा ने 14 सितंबर, रविवार को यह घोषणा की कि “14 करोड़” सदस्यों के साथ बीजेपी अब दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी बन गई है।
यह बयान ऐसे समय में आया है जब जे.पी. नड्डा का कार्यकाल समाप्त हुए लगभग डेढ़ साल हो चुके हैं, और पार्टी अभी तक उनके उत्तराधिकारी की तलाश नहीं कर पाई है। उनका कार्यकाल पार्टी की एक राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक में जून 2024 तक के लिए बढ़ा दिया गया था, लेकिन उसके बाद से इस बारे में कोई स्पष्टता नहीं है कि उन्हें आगे भी विस्तार दिया जाएगा या नहीं।
नड्डा ने पार्टी की इस विशाल सफलता का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 11 साल के कार्यकाल को दिया, जिसे उन्होंने “परफॉर्मेंस की राजनीति” का नाम दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि अतीत की सरकारें “भ्रष्टाचार, वंशवाद और तुष्टीकरण” की राजनीति करती थीं, जिसके विपरीत मोदी सरकार ने काम करके दिखाया है।
यह बात गौर करने वाली है कि पिछले साल आम चुनावों से ठीक पहले, नड्डा ने एक प्रमुख अख़बार को दिए इंटरव्यू में यह कहकर एक बहस छेड़ दी थी कि बीजेपी अब (आरएसएस से) स्वायत्त हो गई है। उनके इस बयान ने बीजेपी और उसके पैतृक संगठन, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के बीच के तनाव को उजागर कर दिया था।
उन्होंने कहा था, “हम अब बड़े हो गए हैं, अधिक सक्षम हैं… बीजेपी अब खुद चलती है।” इस बार भी, नड्डा ने आरएसएस का नाम लेने से परहेज किया और पार्टी की सदस्यता में हुई इस भारी वृद्धि का पूरा श्रेय प्रधानमंत्री मोदी और बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार को दिया।
विशाखापत्तनम में एक रैली को संबोधित करते हुए नड्डा ने आँकड़ों का ब्योरा दिया। उन्होंने बताया कि बीजेपी के 14 करोड़ सदस्यों में से दो करोड़ सक्रिय कार्यकर्ता हैं।
उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि पार्टी के पास 240 लोकसभा सांसद, लगभग 1,500 विधायक और 170 से अधिक विधान पार्षद (MLCs) हैं। ‘द ट्रिब्यून’ की एक रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने दावा किया, “13 राज्यों में हमारी अपनी सरकारें हैं और एनडीए 20 राज्यों में प्रशासन चला रहा है, जो पूरे भारत में बीजेपी की सबसे व्यापक राजनीतिक उपस्थिति को दर्शाता है।”
पिछले हफ्ते द वायर ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया था कि किस तरह आरएसएस और बीजेपी के बीच पार्टी के शीर्ष पद के लिए एक उपयुक्त नाम पर सहमति नहीं बन पा रही है।
ऐसा माना जा रहा है कि अतीत में नरेंद्र मोदी के कट्टर प्रतिद्वंद्वी माने जाने वाले संजय जोशी का नाम राष्ट्रीय महासचिव के पद के लिए आगे आना, नड्डा के उत्तराधिकारी के नाम को अंतिम रूप देने में एक बड़ी बाधा बन सकता है।
उक्त रिपोर्ट मूल रूप से द वायर द्वारा प्रकाशित की जा चुकी है.
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