अहमदाबाद: अहमदाबाद के एसजी हाईवे पर स्थित ख्याति अस्पताल में प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PM-JAY) के तहत की गई अनावश्यक एंजियोप्लास्टी की दर्दनाक घटना को लगभग एक साल पूरा हो गया है। इस प्रक्रिया के बाद तीन लोगों ने अपनी जान गंवा दी थी। हैरानी की बात यह है कि इस गंभीर मामले में अब तक आरोपियों के खिलाफ आरोप भी तय नहीं हो पाए हैं, और अधिकांश आरोपी जमानत पर बाहर घूम रहे हैं।
जानकारी के अनुसार, इस प्रक्रिया के बाद दो लोगों की मौत कुछ ही दिनों और महीनों के भीतर हो गई थी, जबकि तीसरे पीड़ित ने एक साल के भीतर दम तोड़ दिया।
इस हाई-प्रोफाइल मामले में अस्पताल के निदेशक चिराग राजपूत, संजय पटोलिया, निदेशक राजश्री कोठारी, राहुल जैन और मार्केटिंग मैनेजर पार्थिक भट्ट जमानत पर बाहर हैं। हालांकि, तीन डॉक्टर— डॉ. प्रशांत वज़ीरानी, डॉ. कार्तिक पटेल और डॉ. मिलिंद पटेल— अभी भी सलाखों के पीछे हैं।
पुलिस ने इस प्रकरण में अब तक कुल नौ लोगों को गिरफ्तार किया है और आठ लोगों के खिलाफ 6,070 पन्नों का एक विस्तृत आरोपपत्र (chargesheet) दायर किया है।
‘आप’ ने लगाए गंभीर आरोप
आम आदमी पार्टी (AAP) के प्रदेश प्रवक्ता डॉ. करण बारोट ने इस मामले पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने आरोप लगाया कि चाहे वह ख्याति अस्पताल का मामला हो, हरनी नाव हादसा हो, मोरबी पुल हादसा हो या सूरत की तक्षशिला आपदा हो, इन सभी भयानक घटनाओं के दोषियों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो रही है। डॉ. बारोट ने आरोप लगाया कि ऐसा इसलिए है क्योंकि ये लोग किसी न किसी तरह से भाजपा से जुड़े हुए हैं।
क्या था पूरा मामला?
यह पूरा मामला 11 नवंबर, 2024 का है। उस दिन उत्तरी गुजरात के मेहसाणा के पास स्थित बोरिसाना गांव के 19 लोगों को अस्पताल लाकर उनकी अनावश्यक एंजियोप्लास्टी कर दी गई थी।
इस घोटाले के सामने आने के बाद, अस्पताल को तुरंत PM-JAY योजना से हटा (delist) दिया गया था और इस तरह की सेवाएं देने वाले अन्य अस्पतालों की भी राज्यव्यापी जांच शुरू की गई थी।
कैसे फंसाता था अस्पताल?
पुलिस जांच में यह बात सामने आई कि अस्पताल का एक पूरा गिरोह गांवों में कैंप लगाता था। वे गांवों और छोटे शहरों में लोगों को ‘मुफ्त इलाज’ का लालच देकर मरीजों को अहमदाबाद लाते थे, ताकि PM-JAY योजना के तहत पैसे बटोरे जा सकें।
बड़ी संख्या में ऐसे मरीज भी अस्पताल लाए गए, जिन्हें कोई गंभीर समस्या थी ही नहीं। इन दुर्भाग्यपूर्ण एंजियोप्लास्टी मामलों में भी, पीड़ितों के परिवार के सदस्यों ने मीडिया को बताया था कि उनके बड़ों को कोई बड़ी परेशानी नहीं थी, और कम से कम दिल से संबंधित कोई समस्या तो बिलकुल भी नहीं थी।
जांच की वर्तमान स्थिति
इस मामले की तह तक जाने के लिए पुलिस ने अब तक 130 से अधिक लोगों से पूछताछ की है। अस्पताल पर की गई छापेमारी के दौरान 38 फाइलें और 12 महत्वपूर्ण रजिस्टर जब्त किए गए।
इसके अतिरिक्त, सात गवाहों ने सीआरपीसी की धारा 164 के तहत मजिस्ट्रेट के सामने अपने बयान भी दर्ज कराए हैं। अस्पताल से जुड़े सभी बैंक खातों की भी गहन जांच-पड़ताल की गई है।
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