भरतनगर पुल पाटिया (भुज), कच्छ — भुज तालुका के एक छोटे से गांव भरतनगर पुल पाटिया में स्थित एक मंजिला इमारत आज सुनसान पड़ी है। हल्के नीले रंग की दीवारों की पुताई अब उतरने लगी है और मजबूत लकड़ी के दरवाजे बंद हैं। केवल दीवार पर लिखे गए अक्षर इस बात का संकेत देते हैं कि यह इमारत कभी एक स्कूल थी।
शैक्षणिक वर्ष 2025–26 की शुरुआत को अभी एक महीना भी नहीं हुआ है, लेकिन इस गांव के पेटा वर्ग (उप-शाला) में पढ़ने वाले सभी 134 छात्रों ने अपने स्कूल छोड़ने के प्रमाण पत्र (School Leaving Certificates – LCs) ले लिए हैं। यह कदम गांववासियों द्वारा शिक्षा व्यवस्था के खिलाफ सामूहिक बहिष्कार के रूप में उठाया गया है।
स्वतंत्र स्कूल की मांग को लेकर विरोध
गांववालों का कहना है कि यह बहिष्कार प्रशासन के खिलाफ है, जिसने बार-बार निवेदन के बावजूद भरतनगर पुल पाटिया को स्वतंत्र स्कूल का दर्जा नहीं दिया। जबकि इस उप-शाला में छात्रों की संख्या, मुख्य विद्यालय अम्बेडकरनगर प्राथमिक शाला (जो लगभग 2 किमी दूर स्थित है) की तुलना में दोगुनी है। जहां मुख्य विद्यालय में 72 छात्र पढ़ते हैं, वहीं पेटा वर्ग में 134 छात्र नामांकित थे।
पहले ही यह जानकारी सामने आ चुकी है कि 25 जुलाई से 29 जुलाई के बीच 72 छात्रों को LCs जारी किए गए थे। 31 जुलाई तक सभी 134 छात्रों के माता-पिता ने उनके प्रमाण पत्र ले लिए, जिससे यह उप-शाला पूरी तरह से बंद हो गई। यह उप-शाला एक टिनशेड सामुदायिक हॉल में चलाई जा रही थी, जिसमें न तो मूलभूत सुविधाएं थीं और न ही पर्याप्त शिक्षक — केवल दो शिक्षक ही कक्षा 1 से 8 तक के छात्रों को पढ़ा रहे थे।
अम्बेडकरनगर प्राथमिक शाला की प्राचार्या मिनाक्षी चौहान ने पुष्टि की,
“भरतनगर पुल पाटिया स्थित पेटा वर्ग में नामांकित सभी 134 छात्रों ने 31 जुलाई तक अपने LCs ले लिए हैं।”
2019 से चल रही है स्वतंत्र स्कूल की मांग
भरतनगर पुल पाटिया, जो कि जिकड़ी जुठ ग्राम पंचायत के अंतर्गत आता है और भुज शहर से लगभग 10 किमी दूर है, के निवासी 2019 से एक पूर्ण स्वतंत्र प्राथमिक विद्यालय की मांग कर रहे हैं। इसके लिए उन्होंने स्थानीय विधायक और सांसद की सिफारिशें भी प्रशासन को सौंपी थीं।
हालांकि, प्राथमिक शिक्षा निदेशालय ने हाल ही में, 23 जुलाई को, स्कूल को पेटा वर्ग के रूप में जारी रखने की सिफारिश की, जिसके बाद अभिभावकों ने अपने बच्चों को स्कूल से हटाने का निर्णय लिया।
इससे पहले तालुका प्राथमिक शिक्षा अधिकारी (TPEO) निलेश गोर ने कहा था कि भरतनगर पुल पाटिया को स्वतंत्र विद्यालय का दर्जा न दिए जाने का मुख्य कारण गांव में उपयुक्त शैक्षणिक भवन का न होना है।
गांववासी ने अपनी संपत्ति स्कूल के लिए दी पेशकश
दो सप्ताह से अधिक की पढ़ाई का नुकसान होने के बाद, गांववासियों ने अब एक वैकल्पिक समाधान पेश किया है।
सिकंदर अलाना सुमरा, जो गांव के बच्चों के लिए स्वतंत्र स्कूल की मांग को लेकर लंबे समय से सक्रिय हैं, ने अपनी पारिवारिक संपत्ति अस्थायी स्कूल के रूप में उपयोग के लिए प्रस्तावित की है।
सुमरा ने बताया, “हमारे पास दो टाइल-छत वाली पुश्तैनी इमारतें हैं — एक में दो कमरे हैं और दूसरी में एक। मेरे चचेरे भाई कसम अलीममद सुमरा ने एक शपथपत्र में लिखा है कि वे इन इमारतों को अस्थायी रूप से स्कूल के लिए देने को तैयार हैं, जब तक कि सरकार स्थायी भवन का निर्माण न कर ले।”
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए TPEO गोर ने कहा,
“अब तक सबसे बड़ी बाधा यही थी कि कोई उपयुक्त भवन नहीं था। लेकिन अब एक ग्रामीण ने अपने भवन को स्कूल के लिए देने की पेशकश की है। उन्होंने उसे रंग-रोगन करवाकर तैयार भी कर दिया है। हमने इस संबंध में एक प्रस्ताव बनाकर गांधीनगर स्थित शिक्षा विभाग को भेज दिया है।”
स्थायी स्कूल के लिए जमीन पहले ही सौंपी जा चुकी है
गौरतलब है कि जिकड़ी जुठ ग्राम पंचायत के सरपंच वलजी आहिर ने पूर्व में पंचायत की ओर से एक प्रस्ताव पारित कर शिक्षा विभाग को स्कूल निर्माण के लिए जमीन सौंप दी थी।
इस संबंध में पूछे जाने पर गोर ने कहा,
“भरतनगर पुल पाटिया गांव में नए स्कूल की स्थापना की प्रक्रिया जिला स्तर पर भी विचाराधीन है।”
विपक्ष की प्रतिक्रिया
आप के गुजरात अध्यक्ष इसुदान गढ़वी ने वाइब्स ऑफ इंडिया को बताया कि भुज की घटना ने गुजरात की शिक्षा व्यवस्था की पोल खोल दी है और यह राज्य के मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री के लिए शर्मनाक है।
उन्होंने कहा कि अन्य सुविधाओं की तो बात ही छोड़िए, छात्रों को एक उचित स्कूल भी नहीं दिया जाता और उन्हें एक उप-विद्यालय में पढ़ना पड़ता है।
गढ़वी ने कहा, “यह अभिभावकों की लंबे समय से चली आ रही मांग है और इसे पूरा नहीं किया गया है।” उन्होंने मुख्यमंत्री से इस मामले में तुरंत हस्तक्षेप करने की माँग की।
उन्होंने कहा कि शिक्षकों की भर्ती नहीं की जा रही है और यह भर्ती अस्थायी आधार पर हो रही है। उन्होंने सवाल किया, “आने वाली पीढ़ी अशिक्षित रहेगी और ऐसे में गुजरात प्रगतिशील कैसे होगा?”
कच्छ के कलेक्टर आनंद पटेल से उनकी प्रतिक्रिया के लिए संपर्क नहीं हो सका।
गुजरात कांग्रेस प्रवक्ता हीरेन बैंकर ने वाइब्स ऑफ इंडिया को बताया कि गुजरात की भाजपा सरकार राज्य के दूरदराज के गाँवों में शिक्षा देने में विफल रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि इतनी बड़ी संख्या में विद्यार्थियों को स्कूल छोड़ने का प्रमाण पत्र लेना पड़ रहा है, जिससे यह साबित होता है कि शिक्षा विभाग भ्रष्टाचार का केंद्र बन गया है।
यह भी पढ़ें- पाकिस्तान से भारत तक: 16 साल की लड़ाई, अब मिला नया वतन!










