भारतीय मूल के दिग्गज स्टील कारोबारी और दुनिया के सबसे अमीर लोगों में शुमार लक्ष्मी एन. मित्तल ने ब्रिटेन (UK) छोड़ने का मन बना लिया है। खबरों के मुताबिक, ब्रिटेन की लेबर पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार ‘सुपर-रिच’ यानी बेहद अमीर लोगों पर टैक्स के नियमों में बड़े बदलाव करने जा रही है। इसी संभावित ‘टैक्स शेक-अप’ के डर से मित्तल ने यह बड़ा फैसला लिया है।
एक ब्रिटिश मीडिया रिपोर्ट में रविवार को दावा किया गया कि मित्तल अब अपना भविष्य ब्रिटेन से बाहर देख रहे हैं।
स्विट्जरलैंड के निवासी, अब दुबई होगा नया ठिकाना
राजस्थान में जन्मे 75 वर्षीय लक्ष्मी मित्तल टैक्स के उद्देश्यों से फिलहाल स्विट्जरलैंड के निवासी (Resident) हैं। रिपोर्ट के अनुसार, अब वे अपना अधिकांश समय दुबई में बिताएंगे। आर्सेलरमित्तल (ArcelorMittal) स्टीलवर्क्स के संस्थापक मित्तल की कुल संपत्ति ‘2025 रिच लिस्ट’ के मुताबिक लगभग 15.4 बिलियन पाउंड आकी गई है, जो उन्हें ब्रिटेन का आठवां सबसे अमीर व्यक्ति बनाती है।
बुधवार को आने वाले बजट से पहले लिया फैसला
चांसलर रेचल रीव्स बुधवार को ब्रिटेन का बजट पेश करने वाली हैं। सूत्रों का हवाला देते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि इस बहु-प्रतीक्षित बजट से पहले ही मित्तल ब्रिटेन छोड़ने वाले अरबपतियों की सूची में शामिल हो गए हैं।
बताया जा रहा है कि मित्तल का दुबई में पहले से ही एक आलीशान बंगला है। इसके अलावा, अब उन्होंने संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के नाया आइलैंड (Naïa Island) पर एक दिलचस्प डेवलपमेंट प्रोजेक्ट में जमीन खरीदी है।
क्यों हो रहा है पलायन?
मित्तल के इस कदम की खबर ऐसे समय आई है जब ब्रिटेन की चांसलर रेचल रीव्स देश के खजाने में 20 बिलियन पाउंड की कमी को पूरा करने के लिए अमीरों पर टैक्स बढ़ाने की योजना बना रही हैं।
पिछले साल लेबर पार्टी की जीत के बाद पेश किए गए पहले बजट में कैपिटल गेन्स टैक्स (Capital Gains Tax) में बढ़ोतरी की गई थी और उद्यमियों के लिए टैक्स राहत में कटौती की गई थी। अब चर्चा है कि आगामी बजट में सरकार और भी सख्त कदम उठा सकती है। बीच में ऐसी भी अफवाहें उड़ी थीं कि देश छोड़ने वालों पर 20 प्रतिशत ‘एक्जिट टैक्स’ (Exit Tax) लगाया जा सकता है, जिससे अमीरों में काफी बेचैनी है।
इनहेरिटेंस टैक्स है मुख्य कारण
मित्तल के फैसले से परिचित एक सलाहकार ने बताया, “मुद्दा इनकम टैक्स या कैपिटल गेन्स टैक्स का नहीं था। असली मुद्दा ‘इनहेरिटेंस टैक्स’ (विरासत कर) का था। विदेश से आए कई अमीर लोग यह नहीं समझ पा रहे हैं कि उनकी दुनिया भर की संपत्ति, चाहे वह कहीं भी हो, उस पर ब्रिटेन के खजाने द्वारा इनहेरिटेंस टैक्स क्यों लगाया जाना चाहिए।”
सलाहकार ने आगे कहा, “ऐसी स्थिति में लोगों को लगता है कि उनके पास देश छोड़ने के अलावा बहुत कम विकल्प बचे हैं और वे ऐसा करते हुए या तो दुखी हैं या नाराज।”
गौरतलब है कि ब्रिटेन में मृत्यु के बाद संपत्ति पर 40 प्रतिशत तक टैक्स (Death Duties) लगाया जाता है, जबकि दुबई और स्विट्जरलैंड में ऐसा कोई इनहेरिटेंस टैक्स नहीं है।
अन्य कारोबारी भी छोड़ रहे यूके
लक्ष्मी मित्तल अकेले नहीं हैं जो ब्रिटेन छोड़ रहे हैं। भारत में जन्मे टेक एंटरप्रेन्योर और निवेशक हरमन नरूला ने भी दुबई शिफ्ट होने की योजना का खुलासा किया है। 37 वर्षीय नरूला, जो दो साल की उम्र से इंग्लैंड में रह रहे हैं, ने कहा, “यह पूरी तरह से पागलपन है। मुझे बताया जा रहा है कि अगर मैं शेयर नहीं बेचता हूँ, तब भी देश छोड़ने पर मुझे टैक्स देना होगा।”
एआई-फोकस्ड कंपनी ‘Improbable’ के संस्थापक नरूला ने कहा कि भले ही सरकार ने तथाकथित ‘एक्जिट टैक्स’ की योजना रद्द कर दी हो, लेकिन अनिश्चितता के कारण वे अपने फैसले पर अडिग हैं। उन्होंने सवाल उठाया, “क्या गारंटी है कि वे अगले बजट में अपना मन नहीं बदलेंगे?”
इससे पहले, लंदन स्थित फाइनेंशियल सर्विसेज ग्रुप ‘रिवोल्यूट’ (Revolut) के को-फाउंडर निक स्टोरोन्स्की भी यूएई जा चुके हैं। उनके इस कदम से वे अपनी कंपनी के शेयर बेचने पर लगभग 3 बिलियन पाउंड की संभावित टैक्स देनदारी से बच जाएंगे।
जानकारों का मानना है कि बजट से पहले ट्रेजरी विभाग के बार-बार बदलते बयानों ने ब्रिटेन को निवेश के लिए एक ‘स्थिर और भरोसेमंद’ जगह मानने की धारणा को कमजोर किया है।
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