अहमदाबाद – आठ महीने का ध्यांश आज फिर मुस्कुरा रहा है, उसके गुलाबी गालों पर चमक है। यह मुस्कान इसलिए भी खास है क्योंकि कुछ हफ्ते पहले वह ज़िंदगी और मौत की जंग लड़ रहा था। 12 जून को हुए AI 171 विमान हादसे में झुलसने के बाद उसकी मां मनीषा (30) ने अपनी त्वचा दान कर बेटे की जान बचाई।
सिविल हॉस्पिटल अहमदाबाद में यूरोलॉजी रेज़िडेंट डॉ. कपिल काछडिया की पत्नी और बेटे को गंभीर जलन के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया था। दोनों मेघाणीनगर स्थित बीजे मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल और रेज़िडेंशियल क्वार्टर में थे, जब यह हादसा हुआ।
मनीषा ने कहा, “अचानक सब अंधेरा हो गया और फिर गर्म हवा ने हमें घेर लिया। मैंने ध्यांश को गोद में उठाया और आग-धुएं के बीच भागने लगी। मुझे कुछ दिखाई नहीं दे रहा था, लेकिन अपने बच्चे को बचाना था।”
मनीषा के हाथ और चेहरे पर 25% जलन हुई, जबकि ध्यांश को 36% जलन उसके चेहरे, दोनों हाथों, पेट और सीने पर हुई।
बेटे की जान बचाने के लिए मां ने दी अपनी त्वचा
दोनों को तुरंत KD हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया, जहां ध्यांश को पेडियाट्रिक आईसीयू में रखा गया। उसकी हालत गंभीर थी और उसे वेंटिलेटर सपोर्ट, ब्लड ट्रांसफ्यूजन, फ्लूइड रेससिटेशन, और विशेष बर्न ट्रीटमेंट की जरूरत थी।
मनीषा ने अपने बेटे की जान बचाने के लिए अपनी त्वचा दान की, जिसे डॉ. रुत्विज पारीख की देखरेख में ग्राफ्टिंग के लिए इस्तेमाल किया गया।
KD हॉस्पिटल के मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. आदित्य देसाई ने कहा, “मां का साहस और ममता देखकर पूरा मेडिकल स्टाफ भावुक हो गया। सभी विभागों ने मिलकर इलाज किया और हमने छह पीड़ितों को नि:शुल्क उपचार दिया।”
डॉक्टरों की टीम ने बचाई जान
डॉ. रुत्विज पारीख, प्लास्टिक सर्जन, ने बताया कि बच्चे की उम्र को देखते हुए संक्रमण रोकना और उसके सामान्य विकास को सुनिश्चित करना सबसे बड़ी चुनौती थी। सौभाग्य से ध्यांश की हालत में सुधार हो रहा है।
डॉ. कपिल काछडिया, जो खुद एक डॉक्टर हैं, इलाज में दिन-रात जुटे रहे। यहां तक कि आधी रात में भी बेटे की ड्रेसिंग खुद किया करते थे।
इलाज में शामिल प्रमुख विशेषज्ञ:
- डॉ. स्नेहल पटेल – नियोनेटोलॉजिस्ट और पीडियाट्रिशन
- डॉ. तुषार पटेल – पल्मोनोलॉजिस्ट और क्रिटिकल केयर विशेषज्ञ
- डॉ. मानसी दांदनाइक – ट्रांसप्लांट और क्रिटिकल केयर स्पेशलिस्ट
फेफड़ों की जटिलता को भी मात दी
इलाज के दौरान ध्यांश के एक फेफड़े में खून जमा हो गया था, जिसे एक बड़ी जटिलता माना गया।
डॉ. स्नेहल पटेल ने बताया, “उसके फेफड़े में खून भरने के कारण उसे वेंटिलेटर पर रखना पड़ा और इंटरकोस्टल ड्रेनेज ट्यूब लगाई गई, जिससे फेफड़ों का विस्तार ठीक से हो सके।”
उम्मीद की कहानी, इंसानियत की मिसाल
KD हॉस्पिटल ने हादसे के छह पीड़ितों को निशुल्क इलाज उपलब्ध कराया। मनीषा और ध्यांश की यह संघर्षगाथा मातृत्व, चिकित्सा सेवा और मानव साहस की मिसाल बन गई है।











