comScore मनरेगा का नया नाम 'G Ram G': मोदी सरकार क्यों बदल रही है योजनाओं और मंत्रालयों के नाम? - Vibes Of India

Gujarat News, Gujarati News, Latest Gujarati News, Gujarat Breaking News, Gujarat Samachar.

Latest Gujarati News, Breaking News in Gujarati, Gujarat Samachar, ગુજરાતી સમાચાર, Gujarati News Live, Gujarati News Channel, Gujarati News Today, National Gujarati News, International Gujarati News, Sports Gujarati News, Exclusive Gujarati News, Coronavirus Gujarati News, Entertainment Gujarati News, Business Gujarati News, Technology Gujarati News, Automobile Gujarati News, Elections 2022 Gujarati News, Viral Social News in Gujarati, Indian Politics News in Gujarati, Gujarati News Headlines, World News In Gujarati, Cricket News In Gujarati

Vibes Of India
Vibes Of India

मनरेगा का नया नाम ‘G Ram G’: मोदी सरकार क्यों बदल रही है योजनाओं और मंत्रालयों के नाम?

| Updated: December 16, 2025 16:21

मनरेगा अब 'G Ram G': मोदी सरकार ने क्यों बदला नाम? जानिए राजपथ से लेकर कानूनों तक नाम बदलने की पूरी इनसाइड स्टोरी

नई दिल्ली: केंद्र की मोदी सरकार ने एक बार फिर नाम बदलने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हुए एक बड़ा फैसला लिया है। केंद्रीय कैबिनेट ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) का नाम बदलकर ‘विकसित भारत — गारंटी फॉर रोजगार और आजीविका मिशन (ग्रामीण)’ यानी ‘VB-G Ram G Bill, 2025’ करने वाले विधेयक को मंजूरी दे दी है। यह कदम सरकार द्वारा कानूनों, योजनाओं, परियोजनाओं और मंत्रालयों के नाम बदलने के सिलसिले की ताजा कड़ी है।

विश्लेषकों का मानना है कि यह बदलाव भाजपा के उस बड़े वैचारिक अभियान का हिस्सा है, जिसे वे ‘उपनिवेशवाद से मुक्ति’ (decolonization) कहते हैं। इसका जिक्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में मैकाले (Macaulayism) के प्रभाव को खत्म करने वाले अपने बयानों में भी किया था।

हिंदी और सांस्कृतिक बदलाव पर जोर

सरकार द्वारा किए जा रहे इन बदलावों में कुछ पैटर्न बिल्कुल स्पष्ट दिखाई देते हैं। पहला यह कि अधिकतर नए नाम हिंदी में रखे जा रहे हैं। यह भाजपा की उस सांस्कृतिक राजनीति का हिस्सा है, जो हिंदी भाषा को अंग्रेजी के मुकाबले अधिक प्रमुखता देने की पक्षधर है। संघ (RSS) के वैचारिक प्रोजेक्ट का मुख्य उद्देश्य देश को थॉमस बबिंगटन मैकाले की उस विरासत से दूर ले जाना है, जिसमें उन्होंने 200 साल पहले ऐसे भारतीयों का वर्ग तैयार करने की बात कही थी जो “रक्त और रंग में भारतीय हों, लेकिन पसंद, विचारों, नैतिकता और बुद्धि में अंग्रेज हों।”

नेहरू-गांधी परिवार के नाम हटे, संघ के विचारकों को मिली जगह

नाम बदलने की इस कवायद में एक और पैटर्न साफ नजर आता है—नेहरू-गांधी परिवार के सदस्यों के नामों को कई योजनाओं से हटाया जा रहा है। इसके समानांतर, भाजपा और जनसंघ की राजनीतिक विरासत से जुड़े दीनदयाल उपाध्याय और अटल बिहारी वाजपेयी जैसे नेताओं के नाम कई योजनाओं के साथ जोड़े गए हैं।

इसके साथ ही, धार्मिक महत्व वाले शब्दों का भी उपयोग बढ़ा है। उदाहरण के लिए, प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) और अन्य प्रमुख कार्यकारी निकायों वाले परिसर का नाम ‘सेवा तीर्थ’ रखा गया है, जहां ‘तीर्थ’ शब्द हिंदू धार्मिक यात्रा का प्रतीक है।

विपक्ष का हमला: ‘पैकेजिंग और ब्रांडिंग’ की सरकार

कांग्रेस ने सरकार के इस कदम की कड़ी आलोचना की है। पार्टी का आरोप है कि मोदी सरकार मनरेगा (MNREGA) का नाम बदलकर इसका श्रेय लेना चाहती है। कांग्रेस संचार प्रमुख जयराम रमेश ने तंज कसते हुए कहा कि यह सरकार “योजनाओं और कानूनों का नाम बदलने में माहिर” है।

उन्होंने कहा, “इन्होंने निर्मल भारत अभियान का नाम बदलकर स्वच्छ भारत अभियान किया और ग्रामीण एलपीजी वितरण कार्यक्रम को उज्ज्वला बना दिया… ये पैकेजिंग, ब्रांडिंग और नामकरण के उस्ताद हैं। हैरानी की बात यह है कि वे पंडित नेहरू से नफरत करते हैं, लेकिन ऐसा लगता है कि वे महात्मा गांधी से भी नफरत करने लगे हैं। मनरेगा 2005 से प्रभाव में है… अब आप इसका नाम बदलकर ‘पूज्य बापू रोजगार गारंटी योजना’ जैसा कुछ क्यों नहीं कर रहे? महात्मा गांधी के नाम से क्या दिक्कत है?”

कांग्रेस ने अपनी वेबसाइट पर 32 ऐसी योजनाओं की सूची जारी की है, जिनके बारे में उसका दावा है कि वे 1975 से 2013 के बीच कांग्रेस सरकारों द्वारा शुरू की गई थीं, लेकिन एनडीए सरकार ने उनके नाम बदल दिए।

राजपथ से कर्तव्य पथ तक का सफर

‘सेवा तीर्थ’ और विभिन्न राज्यों में राजभवन व राज निवास का नाम बदलकर ‘लोक भवन’ और ‘लोक निवास’ करने के निर्देश से पहले भी कई बड़े बदलाव हुए हैं। सितंबर 2022 में सरकार ने राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट तक जाने वाले ऐतिहासिक ‘राजपथ’ का नाम बदलकर ‘कर्तव्य पथ’ कर दिया था। प्रधानमंत्री मोदी ने 8 सितंबर, 2022 को इसका उद्घाटन करते हुए कहा था कि यह नाम परिवर्तन सत्ता के प्रतीक से हटकर सार्वजनिक स्वामित्व और सशक्तिकरण की ओर एक बदलाव है।

इससे पहले, सितंबर 2016 में प्रधानमंत्री के आवास का पता भी बदल गया था। नई दिल्ली नगर पालिका परिषद (NDMC) ने रेस कोर्स रोड का नाम बदलकर ‘7, लोक कल्याण मार्ग’ कर दिया था। तर्क दिया गया कि पुराना नाम भारतीय लोकाचार और मूल्य प्रणाली से मेल नहीं खाता था।

इन प्रमुख योजनाओं के बदले गए नाम

  1. इंदिरा आवास योजना (IAY): 1985 में राजीव गांधी द्वारा शुरू की गई इस ग्रामीण आवास योजना का पुनर्गठन अप्रैल 2016 में ‘प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण’ (PMAY-G) के रूप में किया गया।
  2. JNNURM: यूपीए-1 सरकार ने दिसंबर 2005 में जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीकरण मिशन शुरू किया था। 25 जून, 2015 को सरकार ने इसे ‘अटल मिशन फॉर रिजुवेनेशन एंड अर्बन ट्रांसफॉर्मेशन’ (AMRUT) से बदल दिया, जिसका फोकस शहरी बुनियादी ढांचे पर है।
  3. राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना: ग्रामीण घरों में बिजली पहुंचाने के लिए अप्रैल 2005 में शुरू हुई इस योजना को 25 जुलाई, 2015 को पटना में लॉन्च की गई ‘दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना’ में समाहित कर दिया गया।

मंत्रालयों के नामों में बदलाव

  • नवंबर 2020 में केंद्रीय जहाजरानी मंत्रालय (Ministry of Shipping) का नाम बदलकर ‘केंद्रीय बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्रालय’ किया गया।
  • उसी साल, नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की सिफारिश पर मानव संसाधन विकास मंत्रालय (MHRD) का नाम बदलकर फिर से ‘शिक्षा मंत्रालय’ कर दिया गया। गौरतलब है कि आजादी के बाद यह शिक्षा मंत्रालय ही था, जिसे 26 सितंबर 1985 को राजीव गांधी सरकार ने MHRD नाम दिया था।

कानूनों के नए हिंदी नाम

सरकार ने अंग्रेजों के जमाने के कानूनों को भी बदल दिया है। 1 जुलाई, 2024 से IPC (1860), CrPC (1973) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (1872) की जगह क्रमशः ‘भारतीय न्याय संहिता’ (BNS), ‘भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता’ (BNSS) और ‘भारतीय साक्ष्य अधिनियम’ (BSA) ने ले ली है।

गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में कहा था कि ये संहिताएं भारतीयों द्वारा भारतीयों के लिए बनाए गए कानूनों का प्रतिनिधित्व करती हैं।

इसके अलावा, एनडीए सरकार ने कई विधेयकों के नाम हिंदी में रखे हैं:

  • विकसित भारत शिक्षा अधिष्ठान बिल, 2025: इसका उद्देश्य उच्च शिक्षा के लिए एक नियामक निकाय स्थापित करना है।
  • नारी शक्ति वंदन अधिनियम, 2023: महिलाओं को लोकसभा और विधानसभाओं में 33% आरक्षण देने वाला ऐतिहासिक कानून।
  • SHANTI बिल, 2025: देश के परमाणु ऊर्जा क्षेत्र को बदलने के लिए सरकार ने ‘सस्टेनेबल हार्नेसिंग एंड एडवांसमेंट ऑफ न्यूक्लियर एनर्जी फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया’ (SHANTI) बिल को भी मंजूरी दी है।

यह भी पढ़ें-

गुजरात: CID क्राइम के इतिहास का सबसे बड़ा ‘खेल’ उजागर: पूर्व में ACB में रहे इंस्पेक्टर ही रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार

गुजरात के औद्योगिक माहौल पर सवाल: पिछले 12 सालों में 846 कंपनियों ने बदला अपना पता, महाराष्ट्र बना पहली पसंद

Your email address will not be published. Required fields are marked *