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मोदी और ट्रंप की मलेशिया में हो सकती है मुलाकात, निगाहें व्यापार समझौते पर टिकीं

| Updated: October 2, 2025 12:02

पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन के मौके पर दोनों नेताओं के बीच द्विपक्षीय बैठक की संभावना, 26 अक्टूबर से पहले व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने का बढ़ा दबाव।

नई दिल्ली: भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय संबंधों में एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम देखने को मिल सकता है। मलेशिया ने भारत को सूचित किया है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप 26 से 28 अक्टूबर तक कुआलालंपुर का दौरा करेंगे, जहाँ वह आसियान (ASEAN) और पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलनों में हिस्सा लेंगे।

इस दौरे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप के बीच एक द्विपक्षीय बैठक की संभावनाओं के द्वार खोल दिए हैं।

सूत्रों के अनुसार, यह संभावित बैठक पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन के दौरान हो सकती है। हालाँकि पीएम मोदी की मलेशिया यात्रा को लेकर अभी तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है, लेकिन दिल्ली में इसे लेकर तैयारियां शुरू हो गई हैं। वहीं, अमेरिका की ओर से भी व्हाइट हाउस या विदेश विभाग ने ट्रंप की यात्रा योजनाओं पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है।

इन महत्वपूर्ण शिखर सम्मेलनों की मेजबानी मलेशिया के प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम कर रहे हैं। भारत की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए कुआलालंपुर और दिल्ली के बीच लगातार संपर्क बना हुआ है।

मलेशियाई सरकार ने यह भी जानकारी दी है कि चीनी प्रीमियर ली कियांग और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के भी इन सम्मेलनों में शामिल होने की उम्मीद है, जिससे यह वैश्विक कूटनीति का एक बड़ा केंद्र बन जाएगा।

बैठक का आधार: व्यापार समझौता

मोदी और ट्रंप के बीच यह संभावित मुलाकात उस व्यापार समझौते पर निर्भर करती है, जिस पर दोनों देश फिर से काम कर रहे हैं। यह समझौता पहले अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ और भारत द्वारा रूसी तेल की खरीद जैसे मुद्दों के कारण रुक गया था।

यदि कुआलालंपुर में दोनों नेताओं की मुलाकात होती है, तो यह स्पष्ट है कि व्यापार समझौते को 26 अक्टूबर तक अंतिम रूप देना होगा, जो एक तरह की समय सीमा है।

इस दिशा में हाल ही में सकारात्मक प्रगति भी देखने को मिली है। सितंबर में संयुक्त राष्ट्र महासभा सत्र के दौरान अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर से न्यूयॉर्क में मुलाकात की थी।

इस बैठक के बाद रुबियो ने भारत के साथ संबंधों को “अत्यंत महत्वपूर्ण” बताया था और व्यापार, रक्षा, ऊर्जा, फार्मास्यूटिकल्स और महत्वपूर्ण खनिजों को प्रमुख सहयोग के क्षेत्र के रूप में रेखांकित किया था।

हालिया सकारात्मक संकेत

पिछले कुछ हफ्तों में दोनों नेताओं के बीच संबंधों में गर्मजोशी देखने को मिली है। 30 सितंबर को, राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा गाजा के लिए 20-सूत्रीय शांति योजना की घोषणा के कुछ ही घंटों बाद, पीएम मोदी ने इसका स्वागत किया और उम्मीद जताई कि “सभी संबंधित पक्ष इस संघर्ष को समाप्त करने और शांति सुरक्षित करने के प्रयास का समर्थन करेंगे।”

मोदी के इस त्वरित समर्थन को अमेरिकी पहल के लिए एक बड़े संकेत के रूप में देखा गया।

इससे पहले, 16 सितंबर को राष्ट्रपति ट्रंप ने प्रधानमंत्री मोदी को उनके 75वें जन्मदिन की पूर्व संध्या पर फोन पर बधाई दी थी। दिलचस्प बात यह है कि उसी दिन भारत और अमेरिकी टीम के बीच दिन भर व्यापार वार्ता चली थी, जिसे बाद में दोनों पक्षों ने “सकारात्मक” बताया।

यह बातचीत दोनों देशों के बीच उस द्विपक्षीय तनाव के बाद हुई पहली चर्चा थी, जो ट्रंप द्वारा भारत पर टैरिफ को 50 प्रतिशत तक बढ़ाने के बाद पैदा हुआ था। इस फोन कॉल के बाद, दोनों नेताओं ने रूस-यूक्रेन संघर्ष पर भी चर्चा की और पीएम मोदी ने भारत-अमेरिका साझेदारी को “नई ऊंचाइयों” पर ले जाने के लिए अपनी “पूरी प्रतिबद्धता” व्यक्त की।

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