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नौकरी के नाम पर धोखा: म्यांमार भेजकर भारतीयों से जबरन कराई जा रही थी साइबर ठगी, पोरबंदर से एजेंट गिरफ्तार

| Updated: November 6, 2025 17:28

विदेश में 'डेटा एंट्री' की फर्जी नौकरी का काला सच: अच्छी सैलरी के लालच में फंसाकर भारतीयों को म्यांमार में बनाया जा रहा था 'डिजिटल गुलाम', गुजरात से जुड़े तार।

अहमदाबाद: विदेश में अच्छी सैलरी वाली ‘डेटा एंट्री’ जॉब का सपना दिखाकर भारतीयों को दक्षिण-पूर्व एशिया में तस्करी करने वाले एक अंतरराष्ट्रीय रैकेट का पर्दाफाश हुआ है। गांधीनगर स्थित ‘साइबर सेंटर ऑफ एक्सीलेंस’ ने इस मामले में बड़ी कार्रवाई करते हुए पोरबंदर से एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया है। अधिकारियों ने बुधवार को बताया कि तस्करी किए गए पीड़ितों को चीनी सिंडिकेट द्वारा चलाए जा रहे साइबर अपराध के काले कारोबार में जबरदस्ती धकेला जाता था।

कैसे फंसाते थे जाल में?

गिरफ्तार आरोपी की पहचान पोरबंदर के बोखीरा निवासी 31 वर्षीय हितेश सोमैया के रूप में हुई है। जांच में सामने आया है कि हितेश अपने सब-एजेंटों के साथ मिलकर गुजरात और अन्य राज्यों के लोगों को विदेश में आकर्षक नौकरी का लालच देता था। एक बार जब पीड़ित झांसे में आ जाते, तो उन्हें थाईलैंड के बैंकॉक ले जाया जाता था।

बैंकॉक पहुँचते ही उन्हें चीनी हैंडलर्स के हवाले कर दिया जाता था। एयरपोर्ट पर ही उनके पासपोर्ट, फोन और अन्य दस्तावेज जब्त कर लिए जाते थे। इसके बाद, उन्हें मोई नदी (Moei River) के रास्ते म्यांमार की म्यावाडी टाउनशिप में तस्करी कर भेज दिया जाता था।

म्यांमार में ‘डिजिटल गुलामी’ का सच

अधिकारियों के मुताबिक, म्यांमार पहुँचने पर पीड़ितों को ‘केके पार्क’ (KK Park) जैसे परिसरों में कैद कर लिया जाता था, जो साइबर अपराध गतिविधियों के लिए कुख्यात हैं। वहां उन्हें भयानक मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना दी जाती थी। इन लोगों से जबरन फिशिंग, क्रिप्टोकरेंसी स्कैम, डेटिंग ऐप फ्रॉड और पोंजी स्कीम जैसी ऑनलाइन धोखाधड़ी करवाई जाती थी।

‘साइबर एक्सीलेंस सेंटर’ की आधिकारिक विज्ञप्ति में बताया गया है कि जो लोग यह काम करने से इनकार करते थे, उन्हें बुरी तरह पीटा जाता था और सहयोग करने के लिए राजी होने तक कई महीनों तक अवैध हिरासत में रखा जाता था।

चीनी माफिया से जुड़े हैं तार

पुलिस जांच में खुलासा हुआ है कि आरोपी एक अंतरराष्ट्रीय साइबर सिंडिकेट और चीनी माफिया समूहों के समन्वय में काम कर रहा था, जो बड़े पैमाने पर हो रही इस साइबर धोखाधड़ी से मुनाफा कमाते हैं। हितेश सोमैया और उसके साथी पीड़ितों की यात्रा, भर्ती और दस्तावेजों का इंतजाम करते थे और बदले में तस्करी किए गए हर व्यक्ति के हिसाब से कमीशन लेते थे।

जांच में यह बात भी सामने आई है कि इस रैकेट का शिकार बने लोगों में गुजरात के 10 से 12 लोग और अन्य भारतीय राज्यों के कई लोग शामिल हैं। पोरबंदर से गिरफ्तार किए गए सोमैया के पास से एक मोबाइल फोन भी जब्त किया गया है।

पुलिस की आम जनता को सलाह

इस घटना के बाद पुलिस ने एक एडवाइजरी जारी कर नागरिकों से अपील की है कि विदेश में नौकरी के किसी भी ऑफर को स्वीकार करने से पहले उसकी पूरी तरह जांच-पड़ताल कर लें। साथ ही, संदिग्ध भर्ती एजेंटों की सूचना तुरंत पुलिस को दें। यदि किसी का परिजन विदेश में लापता है, तो वे तत्काल साइबर हेल्पलाइन या नजदीकी पुलिस स्टेशन से संपर्क करें।

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