आंध्र प्रदेश के सत्ता के गलियारों से एक ऐसी खबर आई है जो यह सोचने पर मजबूर करती है कि कैसे राजनीति और व्यापार एक-दूसरे का हाथ थामकर चलते हैं। इस कहानी के केंद्र में हैं आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री और टीडीपी सुप्रीमो चंद्रबाबू नायडू की पत्नी, नारा भुवनेश्वरी।
मामला उनकी कंपनी ‘हेरिटेज फूड्स’ के शेयरों में आए एक जबरदस्त उछाल से जुड़ा है, जिसके चलते उनकी निजी संपत्ति में सिर्फ एक कारोबारी दिन में ₹121 करोड़ की अविश्वसनीय बढ़ोतरी हो गई।
यह घटना भारत की दो अलग-अलग तस्वीरों को एक साथ दिखाती है – एक तरफ अथाह दौलत है, और दूसरी तरफ आम जनता है जो पेट्रोल की बढ़ती कीमतों, शिक्षा के कर्ज और कमरतोड़ महंगाई से हर दिन लड़ रही है।
1. हेरिटेज फूड्स: नायडू परिवार की ‘सोने की खान’
हेरिटेज फूड्स सिर्फ एक डेयरी कंपनी नहीं है; यह नायडू परिवार के व्यापारिक साम्राज्य का सबसे चमकदार हीरा है। हैदराबाद स्थित यह कंपनी दक्षिण भारत के डेयरी उद्योग पर अपना दबदबा रखती है, और इसका बाजार मूल्यांकन ₹5,000 करोड़ से भी ज्यादा है।
2. भुवनेश्वरी की हिस्सेदारी और जादुई आंकड़ा
नारा भुवनेश्वरी के पास हेरिटेज फूड्स के 2.26 करोड़ शेयर हैं, जो कंपनी की कुल हिस्सेदारी का 24.37% है। जैसे ही कंपनी के शेयर में एक ही दिन में 10% की तेजी आई, उनकी हिस्सेदारी का मूल्य सीधे-सीधे ₹121 करोड़ बढ़ गया।
3. कैसे घंटों में बढ़ गई करोड़ों की संपत्ति?
बुधवार को जब बाजार बंद हुआ तो हेरिटेज फूड्स का एक शेयर ₹485 का था। लेकिन गुरुवार को बाजार खुलते ही इसमें रॉकेट जैसी तेजी आई और यह ₹541.60 के अपने उच्चतम स्तर पर पहुँच गया। दिन के अंत तक यह ₹527 पर बंद हुआ, लेकिन तब तक नायडू परिवार की संपत्ति का मीटर एक नया रिकॉर्ड बना चुका था।
4. आम आदमी की जद्दोजहद बनाम सियासी घरानों की चांदी
इस कहानी का दूसरा पहलू बेहद गंभीर है:
- आंध्र के किसान: आज भी अपनी फसल के उचित दाम के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
- छात्र: अच्छी शिक्षा के लिए अपनी जमीनें बेच रहे हैं और भारी कर्ज ले रहे हैं।
- मध्यम वर्ग: घर और गाड़ी की EMI के दबाव में पिस रहा है।
- और नायडू परिवार: जिसकी संपत्ति में ₹121 करोड़ ऐसे जुड़ गए जैसे वो कोई पॉकेट मनी हो।
5. ‘विकास’ की कहानी के पीछे का सच
कंपनी के रिकॉर्ड देखें तो वह शानदार प्रदर्शन कर रही है। पहली तिमाही में कंपनी का राजस्व ₹1,136.8 करोड़ रहा, और यह लगातार तीसरी तिमाही थी जब कंपनी ने दोहरे अंकों में वृद्धि दर्ज की। कंपनी अब डेयरी के अलावा रिन्यूएबल एनर्जी और पशु आहार जैसे क्षेत्रों में भी विस्तार कर रही है। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि इस विकास का असली फायदा किसे मिल रहा है?
6. कड़वी हकीकत: लोकतंत्र से परिवारतंत्र तक
यह मामला सिर्फ एक कंपनी या एक परिवार का नहीं है। यह भारत में उस पैटर्न को उजागर करता है जहाँ राजनीतिक परिवार लोकतंत्र को परिवारतंत्र में और सत्ता को निजी संपत्ति बनाने के एक रास्ते में बदल देते हैं।
एक तरफ देश की आम जनता के लिए दूध की बढ़ती कीमतें और रोजमर्रा के खर्चे चिंता का सबब हैं, वहीं दूसरी तरफ नायडू परिवार के लिए एक कारोबारी दिन का मतलब ₹121 करोड़ का मुनाफा है।
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