नई दिल्ली: पंजाब के क्रिकेटर निखिल चौधरी की कहानी किसी फिल्मी पटकथा से कम नहीं है। 5 साल पहले जो शख्स ऑस्ट्रेलिया में अपने जन्मदिन का जश्न मनाने गया था, आज वो उसी देश में एक फर्स्ट-क्लास क्रिकेटर बन गया है। लुधियाना के एक बिल्डर के इकलौते बेटे निखिल का यह सफर संघर्ष, दृढ़ता और कभी हार न मानने वाले जज्बे की एक मिसाल है।
शनिवार को 29 वर्षीय निखिल ने तस्मानिया के लिए क्वींसलैंड के खिलाफ शेफील्ड शील्ड मैच में अपना डेब्यू किया और रूमी सुरती (1972) के बाद ऑस्ट्रेलिया में फर्स्ट-क्लास क्रिकेट खेलने वाले दूसरे भारतीय बन गए।
एक सफर जो मजबूरी में शुरू हुआ
बात 2020 की शुरुआत की है, जब निखिल एक लंबे घरेलू सीजन के बाद छुट्टियां मनाने ऑस्ट्रेलिया पहुंचे थे। उनके वहां पहुंचने के कुछ ही दिनों के भीतर, दुनिया भर में कोविड का कहर फैल गया और ऑस्ट्रेलिया ने अपनी सीमाएं सील कर दीं।
इसके चलते निखिल हजारों मील दूर अपने घर से फंस गए। जब कुछ महीनों बाद प्रतिबंध हटे, तो उन्होंने वापस आने के बजाय वहीं रुकने का फैसला किया। उन्होंने ब्रिसबेन के एक स्थानीय क्लब से जुड़कर अपना वीजा ‘टूरिस्ट’ से ‘स्टडी’ और फिर ‘स्पोर्ट्स’ में बदलवाया।
आत्मनिर्भर बनने की चाह में उन्होंने कभी घर से पैसे नहीं मांगे। इसी जज्बे ने उन्हें उन जगहों पर पहुंचाया, जिसके बारे में उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था। उन्होंने एक मैक्सिकन रेस्टोरेंट में टेबल साफ करने से लेकर प्याज काटने तक का काम किया, ऑस्ट्रेलिया पोस्ट की वैन से दिन में करीब 250 पैकेट डिलीवर किए और अपना खर्च चलाने के लिए उबर टैक्सी भी चलाई।
एक पारी जिसने बदल दी जिंदगी
संघर्ष के दिन लंबे होते जा रहे थे और एक वक्त ऐसा भी आया जब निखिल सब कुछ छोड़ने की कगार पर थे। अगस्त 2023 में, उन्होंने अपने लोकल गार्जियन ‘बिल्ला चाचा’ से कहा, “मेरी तो बस हो गई है… मैं क्रिकेट छोड़ रहा हूँ।” उस दिन उनका खेलने का बिल्कुल मन नहीं था, लेकिन जब वह मैदान पर उतरे तो उनकी टीम मुश्किल में थी।
उस नाजुक मौके पर निखिल ने सिर्फ 29 गेंदों पर 79 रनों की तूफानी पारी खेली। यह सिर्फ एक मैच जिताने वाली पारी नहीं थी, बल्कि यह उनकी जिंदगी बदलने वाली पारी साबित हुई। अगले ही दिन, जब वह अपनी उबर टैक्सी चला रहे थे, तो उन्हें अपने मैनेजर का फोन आया। मैनेजर ने कहा, “निक्की, हमने कर दिखाया। अपना फोन देखो।”
निखिल ने अपनी कार रोकी और देखा कि उन्हें ऑस्ट्रेलिया की प्रतिष्ठित T20 लीग ‘बिग बैश’ में होबार्ट हरिकेन्स की तरफ से खेलने का कॉन्ट्रैक्ट मिला है। अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हुए निखिल कहते हैं, “मैंने कार से बाहर निकलकर एक गहरी सांस ली। भाई, मैंने उबर बंद कर दिया, असल में ऐप ही डिलीट कर दिया और कहा, ‘अब मैं इसे दोबारा नहीं चलाऊंगा’।”
बिग बैश और भविष्य की योजनाएं
बिग बैश लीग ने निखिल को रातों-रात शोहरत दिला दी। पिछले साल जब उन्होंने पर्थ स्कॉर्चर्स के पाकिस्तानी तेज गेंदबाज हारिस रऊफ को पॉइंट के ऊपर से छक्का जड़ा, तो उनका फोन संदेशों से भर गया। हरभजन सिंह, युवराज सिंह और शुभमन गिल जैसे दिग्गजों के साथ ड्रेसिंग रूम साझा कर चुके निखिल अब ऑस्ट्रेलिया में अपनी एक अलग पहचान बना रहे हैं।
क्रिकेट तस्मानिया की हाई परफॉरमेंस जनरल मैनेजर, सैलियन बीम्स भी निखिल के जज्बे की तारीफ करती हैं। वह कहती हैं, “उनकी कहानी दृढ़ता की मिसाल है। उनकी भूख और अनुभव हमारी टीम के लिए एक बड़ी संपत्ति है।”
इस साल के बिग बैश के लिए निखिल के लक्ष्य स्पष्ट हैं। वह कहते हैं, “मैं हारिस को फिर छक्का मारना चाहता हूँ और बाबर आजम को आउट करना चाहता हूँ।”
जब उनसे पूछा गया कि वह ऑस्ट्रेलियाई टीम की ‘बैगी ग्रीन’ कैप से कितने दूर हैं, तो वह आत्मविश्वास से कहते हैं, “पाजी, बस मुझे 18 महीने दीजिए, आप मुझे फिर से फोन करेंगे और हमारी फिर से बातचीत होगी।”
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