सड़क पर यातायात नियमों की अनदेखी कभी-कभी कितनी भारी पड़ सकती है, इसका अंदाजा शायद ही किसी को हो। गुजरात के लुनावाडा में हुई ‘रॉन्ग साइड ड्राइविंग’ की एक छोटी सी घटना अब एक प्रवासी भारतीय (NRI) के लिए जीवन भर का संकट बन गई है।
46 वर्षीय मोहसिन सुरती, जो पिछले 25 वर्षों से कुवैत में अपनी रोजी-रोटी कमा रहे हैं, अब वहां बिना पासपोर्ट के फंस गए हैं। स्थिति इतनी गंभीर हो गई है कि उन पर नौकरी खोने, डिपोर्ट (निर्वासित) होने और हमेशा के लिए खाड़ी देशों (Gulf Countries) से ब्लैकलिस्ट होने का खतरा मंडरा रहा है।
क्या है पूरा मामला?
मोहसिन सुरती पिछले 25 सालों से कुवैत में रह रहे हैं और उनके पास वहां का वैध वर्क परमिट है। अपनी इस मुसीबत के समाधान के लिए उन्होंने अब गुजरात हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
घटना 19 नवंबर, 2024 की है, जब मोहसिन भारत की संक्षिप्त यात्रा पर आए थे। लुनावाडा में उन्हें अपने दोपहिया वाहन (टू-व्हीलर) को रॉन्ग साइड पर चलाने के आरोप में पुलिस ने रोका था। पुलिस उन्हें थाने ले गई और उन पर ‘रैश ड्राइविंग’ (लापरवाही से वाहन चलाने) की एफआईआर दर्ज की गई। उस समय मोहसिन ने अपने वकील से बात की और इस गलतफहमी में थाने से निकल गए कि मामला रफा-दफा (कंपाउंड) हो गया है। इसके बाद वे वापस कुवैत लौट गए।
पासपोर्ट रिन्यूअल में फंसा पेंच
मुसीबत तब शुरू हुई जब वर्क परमिट रिन्यू कराने की बारी आई। मोहसिन का पासपोर्ट जनवरी 2026 तक वैध है, जबकि उनका वर्क परमिट 6 सितंबर, 2025 तक ही वैध था। नियम के मुताबिक, वर्क परमिट रिन्यू कराने के लिए उन्हें पहले अपना पासपोर्ट रिन्यू कराना था।
अगस्त महीने में उन्होंने कुवैत स्थित भारतीय दूतावास में पासपोर्ट रिन्यूअल के लिए आवेदन किया। लेकिन, 25 अगस्त को उनका आवेदन खारिज कर दिया गया। दूतावास ने तर्क दिया कि लुनावाडा की जेएमएफसी (JMFC) कोर्ट में उनके खिलाफ ट्रैफिक उल्लंघन का एक आपराधिक मामला लंबित है। उन्हें सलाह दी गई कि वे या तो कोर्ट से केस बंद होने का प्रमाण पत्र लाएं या फिर कोर्ट से शॉर्ट-टर्म पासपोर्ट की अनुमति लेकर आएं।
हाईकोर्ट में लगाई गुहार
इस संकट से उबरने के लिए मोहसिन की पत्नी ने गुजरात हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। उनके वकील, जयदीप सिंधी ने कोर्ट से मांग की है कि भारतीय दूतावास द्वारा पासपोर्ट रिन्यू करने से मना करने वाले पत्र को रद्द किया जाए। साथ ही, क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय (RPO) को निर्देश दिया जाए कि वे मोहसिन को फुल-टर्म या शॉर्ट-टर्म वैधता वाला पासपोर्ट जारी करें, ताकि वे भारत आकर मुकदमे का सामना कर सकें।
वकील ने दलील दी कि जब मोहसिन भारत से गए थे, तो उन्हें इस लंबित मामले की जानकारी नहीं थी। यह एक साधारण ट्रैफिक उल्लंघन है और यदि उन्हें भारत आने का मौका मिले, तो वे इस अपराध का जुर्माना भरकर इसे खत्म (कंपाउंड) करवा सकते हैं। मोहसिन ने यह भी इच्छा जताई है कि वे कुवैत से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए भी ट्रायल में शामिल होने को तैयार हैं और जब भी कोर्ट आदेश देगा, वे व्यक्तिगत रूप से उपस्थित हो जाएंगे।
आजीविका पर सबसे बड़ा संकट
अपनी याचिका में मोहसिन ने अपनी बेबसी जाहिर करते हुए कहा है कि कुवैत में उनकी नौकरी और निवास की स्थिति गंभीर खतरे में है। यदि वे समय पर पासपोर्ट पेश नहीं कर पाए, तो उन्हें जबरन डिपोर्ट कर दिया जाएगा। इसका सबसे बुरा असर यह होगा कि उन्हें स्थायी रूप से ब्लैकलिस्ट कर दिया जाएगा, जिससे वे भविष्य में कभी भी कुवैत या किसी अन्य खाड़ी देश में प्रवेश नहीं कर पाएंगे और उनकी आजीविका हमेशा के लिए खत्म हो जाएगी।
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