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अहमदाबाद: खाने में ‘प्याज-लहसुन’ को लेकर हुआ ऐसा विवाद कि टूट गई 22 साल पुरानी शादी

| Updated: December 9, 2025 14:41

अहमदाबाद: 22 साल की शादी पर भारी पड़ा 'प्याज-लहसुन' का झगड़ा, गुजरात हाई कोर्ट ने तलाक पर लगाई मुहर

अहमदाबाद: अक्सर कहा जाता है कि पति-पत्नी के बीच झगड़े की वजह कोई बड़ी बात होती है, लेकिन गुजरात के अहमदाबाद से एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने सभी को हैरान कर दिया है। यहाँ प्याज और लहसुन को लेकर पति-पत्नी के बीच इतनी खटास पैदा हुई कि बात तलाक तक पहुंच गई। पति ने अपनी पत्नी की खान-पान संबंधी कठोर पाबंदियों से तंग आकर तलाक की अर्जी दी थी।

अब गुजरात हाई कोर्ट ने भी इस मामले में पत्नी की उस अपील को खारिज कर दिया है, जिसमें उसने शादी खत्म करने के फैसले को चुनौती दी थी।

धर्म और स्वाद के बीच फंसा रिश्ता

मामले की जड़ दोनों पक्षों की अलग-अलग मान्यताओं में थी। पत्नी स्वामीनारायण संप्रदाय की अनुयायी थी और अपने धार्मिक विश्वासों के चलते प्याज और लहसुन का सेवन बिल्कुल नहीं करती थी। दूसरी ओर, पति और ससुराल वालों के लिए खाने-पीने में ऐसी कोई धार्मिक पाबंदी नहीं थी। यही वह मुद्दा था जिसने धीरे-धीरे उनके वैवाहिक जीवन में जहर घोल दिया।

अलग हो गया चूल्हा और चौका

इस जोड़े की शादी साल 2002 में हुई थी, लेकिन खान-पान की पसंद-नापसंद जल्द ही कलह का कारण बन गई। पत्नी नियमित रूप से सत्संग और प्रार्थनाओं में जाती थी और संप्रदाय के नियमों के मुताबिक प्याज-लहसुन से दूर रहती थी। वहीं, पति और उसकी मां अपनी खान-पान की आदतों को बदलने के लिए तैयार नहीं थे।

विवाद इतना बढ़ा कि घर में खाना बनाने की व्यवस्था अलग-अलग हो गई। रसोई के इस बंटवारे ने जल्द ही रिश्तों की डोर भी काट दी और अंततः पत्नी अपने बच्चे को लेकर ससुराल छोड़कर चली गई।

2013 में कोर्ट पहुंचा मामला

रिश्ते में आई दरार के बाद, पति ने साल 2013 में अहमदाबाद की फैमिली कोर्ट में तलाक की अर्जी दाखिल की। उसने पत्नी पर क्रूरता और घर छोड़कर जाने (desertion) का आरोप लगाया। लंबी सुनवाई के बाद, 8 मई 2024 को फैमिली कोर्ट ने शादी को भंग करने का आदेश दिया और साथ ही पति को पत्नी के लिए गुजारा भत्ता (maintenance) देने का निर्देश दिया।

हाई कोर्ट में क्या हुआ?

फैमिली कोर्ट के फैसले के बाद दोनों पक्ष गुजरात हाई कोर्ट पहुंचे। पति ने गुजारा भत्ते के आदेश पर सवाल उठाए, जबकि पत्नी ने तलाक के फैसले को चुनौती दी और साथ ही भत्ते की मांग भी की।

हाई कोर्ट में पत्नी के वकील ने दलील दी कि पति ने फैमिली कोर्ट में यह मामला बनाया था कि पत्नी की धार्मिक मान्यताओं के कारण उनके बीच झगड़े होते थे। पति का कहना था कि पत्नी का व्यवहार बहुत जिद्दी था, और फैमिली कोर्ट ने उसकी इन दलीलों को स्वीकार कर लिया था।

वहीं, पति के वकील ने तर्क दिया कि उनका मुवक्किल और उसकी मां पत्नी के लिए बिना प्याज-लहसुन वाला खाना भी बनाते थे। पति ने हाई कोर्ट को बताया, “प्याज और लहसुन का सेवन ही हमारे बीच मतभेद का मुख्य कारण (ट्रिगर पॉइंट) था।”

उसने यह भी कहा कि पत्नी की जिद के कारण उसे ‘गुजरात राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण’ का दरवाजा खटखटाना पड़ा और पत्नी द्वारा किए गए “मानसिक प्रताड़ना” के चलते उसने महिला पुलिस स्टेशन में भी आवेदन दिया था।

पत्नी ने मानी तलाक की बात

सुनवाई के दौरान एक मोड़ ऐसा आया जब पत्नी ने हाई कोर्ट से कहा कि उसे अब शादी टूटने (तलाक) से कोई समस्या नहीं है।

इस पर जस्टिस संगीता विसेन और जस्टिस निशा ठाकोर की बेंच ने कहा, “उपरोक्त बयान को देखते हुए, विवाद के मुद्दों पर और चर्चा करने की आवश्यकता नहीं रह जाती है। इसलिए, इस अदालत को तलाक के मुद्दे पर और गहराई में जाने की जरूरत नहीं है।”

इसके बाद अदालत ने पत्नी की अपील खारिज कर दी। पत्नी ने शिकायत की थी कि पति गुजारा भत्ता नहीं दे रहा है, जिस पर पति ने बकाया राशि किस्तों में कोर्ट रजिस्ट्री में जमा करने पर सहमति जताई।

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