संसद ने शुक्रवार को एक बिल पास किया, जिसमें पैसे के लिए खेले जाने वाले ऑनलाइन गेम के संचालन, सुविधा और विज्ञापन पर प्रतिबंध लगाने का प्रावधान है। इस दौरान विपक्ष ने बिहार में चुनाव आयोग द्वारा किए गए विशेष गहन मतदाता सूची संशोधन पर चर्चा की मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन किया।
प्रमोशन एंड रेगुलेशन ऑफ ऑनलाइन गेमिंग बिल को राज्यसभा में मुखर मतदान (वॉइस वोट) के माध्यम से पारित किया गया, जबकि यह बिल पहले ही लोकसभा में मंजूर हो चुका था। यह कानून ऑनलाइन मनी गेमिंग को तीन साल तक की जेल और/या 1 करोड़ रुपये तक के जुर्माने के साथ दंडनीय बनाता है।
उपस्थिति सदनों में बिल पेश करते हुए इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा, “मनी-गेमिंग की लत ड्रग्स की लत जैसी है। ऑनलाइन मनी गेम के पीछे मजबूत लोग इस फैसले को अदालत में चुनौती देंगे और सोशल मीडिया पर इसके खिलाफ अभियान चलाएंगे। हमने देखा है कि इन खेलों का समाज पर क्या प्रभाव पड़ता है और पैसे का इस्तेमाल कभी-कभी आतंकवाद को समर्थन देने के लिए भी होता है।”
ऑनलाइन मनी गेम उस खेल को कहा गया है, जिसमें उपयोगकर्ता पैसे जमा करता है और इसके बदले में वित्तीय या अन्य लाभ जीतने की उम्मीद करता है।
यह बिल सभी प्रकार की ऑनलाइन सट्टेबाजी और जुआ गतिविधियों पर रोक लगाता है, जैसे फैंटेसी स्पोर्ट्स, ऑनलाइन कार्ड गेम (पोकर, रम्मी आदि), और ऑनलाइन लॉटरी। इसके अलावा, यह बिल मनी गेम से संबंधित विज्ञापनों पर रोक लगाता है और बैंकों और वित्तीय संस्थाओं को ऐसे खेलों के लिए धन हस्तांतरण से रोकता है।
बिल की मुख्य धाराएं:
- विज्ञापन का उल्लंघन: दो साल तक की जेल और/या 50 लाख रुपये तक का जुर्माना।
- लेन-देन में सुविधा प्रदान करना: तीन साल तक की जेल और/या 1 करोड़ रुपये तक का जुर्माना।
- दोहराए जाने वाले अपराध: तीन से पांच साल की जेल और 2 करोड़ रुपये तक का जुर्माना।
- प्रमुख धाराओं के तहत अपराध संज्ञेय और गैर-जमानती होंगे।
इस कानून के जरिए सरकार का लक्ष्य ऑनलाइन मनी गेमिंग की बढ़ती लत और इससे जुड़ी आर्थिक एवं सामाजिक समस्याओं को रोकना है।
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