बेंगलुरु: भारतीय वायुसेना (IAF) प्रमुख एयर चीफ़ मार्शल अमर प्रीत सिंह ने शनिवार को खुलासा किया कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के पांच लड़ाकू विमान और एक बड़ा विमान मार गिराया। एचएएल मैनेजमेंट एकेडमी ऑडिटोरियम में बोलते हुए उन्होंने इस मिशन को वायुसेना के इतिहास की सबसे अहम कार्रवाइयों में से एक बताया।
उन्होंने कहा, “हमारे पास कम से कम पांच लड़ाकू विमानों के पुष्टि किए गए किल हैं और एक बड़ा विमान — जो या तो ELINT विमान था या AEW&C — जिसे लगभग 300 किलोमीटर की दूरी पर निशाना बनाया गया। यह अब तक का सबसे बड़ा दर्ज सतह से हवा में मार गिराने का रिकॉर्ड है।”
पाकिस्तानी ठिकानों पर सटीक हमले
एयर चीफ़ ने बताया कि शाहबाज़ जैकबाबाद एयरबेस पर किए गए हमले में एक F-16 हैंगर को निशाना बनाया गया, जिसकी आधी संरचना नष्ट हो गई और अंदर खड़े कुछ विमान भी क्षतिग्रस्त हुए।
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के कोई भी विमान भारतीय सीमा के करीब नहीं आ सके।
सिंह ने बताया, “उनके सभी विमान LRSAM से निशाना बनाए गए, क्योंकि वे दूरी बनाए रखने की कोशिश कर रहे थे। इसके बावजूद कई बार वे हमारी रेंज में आ गए और हमें अवसर मिला।”
भोलारी एयरबेस पर भी हमला किया गया, जहां AEW&C हैंगर को टारगेट किया गया। सिंह ने कहा, “हमें पुख्ता संकेत हैं कि हमले के समय अंदर एक विमान मौजूद था।”
रणनीतिक ठिकाने और राडार ध्वस्त
7 मई को हुए हमलों में मुरिद और चकला में दो कमांड-एंड-कंट्रोल सेंटर ध्वस्त किए गए, साथ ही छह राडार भी नष्ट किए गए। सिंह ने उपग्रह तस्वीरें भी साझा कीं, जिनमें इन ठिकानों को हिट होते हुए दिखाया गया।
‘हम पर कोई पाबंदी नहीं थी’
एयर चीफ़ ने सरकार की राजनीतिक इच्छाशक्ति को इस ऑपरेशन की सफलता का बड़ा कारण बताया।
उन्होंने कहा, “हमें सरकार की ओर से स्पष्ट निर्देश मिले थे — हम पर कोई पाबंदी नहीं थी। अगर कोई सीमा थी, तो वह हमने खुद तय की। हमें पूरी आज़ादी थी योजना बनाने और कार्रवाई करने की। हमारे हमले सोचे-समझे और संतुलित थे।”
उन्होंने तीनों सेनाओं के बीच तालमेल को अहम बताते हुए कहा कि चीफ़ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) ने सभी एजेंसियों के बीच बेहतर समन्वय सुनिश्चित किया।
सेवानिवृत्ति से पहले मिला ‘सपना पूरा करने’ का मौका
पाकिस्तान पर कटाक्ष करते हुए एयर चीफ़ ने कहा कि उन्हें अपने रिटायरमेंट से पहले सरगोधा एयरबेस पर हमला करने का मौका मिला।
उन्होंने कहा, “वायुसेना में हम बड़े होते हुए हमेशा ऐसे दिन का सपना देखते थे कि कभी सरगोधा तक पहुंचेंगे। मुझे यह मौका ठीक रिटायरमेंट से पहले मिला। हमने वहां के एयरबेस को निशाना बनाया।”
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