कच्छ: कहते हैं इश्क न सरहदें देखता है और न ही हालात। कुछ ऐसा ही मामला गुजरात के कच्छ में सामने आया है, जहां पाकिस्तान के सिंध प्रांत से दो प्रेमी जोड़े कंटीले तारों और दलदली रेगिस्तान को पार कर भारत आ पहुंचे। हालांकि, उनकी यह ‘प्रेम यात्रा’ अब सलाखों के पीछे जांच के दायरे में है।
वर्ष 1979 में मशहूर लेखक केकी दारूवाला ने ‘लव अक्रॉस द सॉल्ट डेजर्ट’ (नमक के रेगिस्तान के पार प्यार) नामक एक कहानी लिखी थी। आज दशकों बाद, दो पाकिस्तानी जोड़ों—टोटो और मीना, तथा पोपट और गौरी—ने उसी थार के रेगिस्तान को पार कर इस कहानी को हकीकत में बदलने की कोशिश की है।
पहली दास्तां: 3 दिन, 50 किलोमीटर और मौत से सामना
गुजरात पुलिस की फाइलों में दर्ज पहली कहानी टोटो (तारा रणमल चूड़ी) और मीना (पूजा करसन चूड़ी) की है। पाकिस्तान के इस्लामकोट तहसील के लसरी गांव के रहने वाले इस जोड़े ने 4 अक्टूबर की पूनम (पूर्णिमा) की रात को अपना घर छोड़ा था। लसरी गांव भारतीय सीमा से महज 2 किलोमीटर दूर है। उस रात टोटो ने काला पठानी सूट पहना था और मीना ने सलवार-कमीज के ऊपर हल्के नीले रंग की स्वेटशर्ट डाल रखी थी।
जांच अधिकारियों को दी गई जानकारी के मुताबिक, उनके पास दिशा पहचानने का सिर्फ एक जरिया था—’मेरुदो डूंगर’ नामक एक पहाड़ी, जो सीमा और भारतीय गांव ‘रतनपर’ के बीचों-बीच स्थित है।
उनका यह सफर बेहद खौफनाक था। हाल ही में हुई बारिश के कारण कच्छ के रण में दलदली झीलें पानी से लबालब थीं। टोटो और मीना को गले तक गहरे पानी से गुजरना पड़ा, जहां उनके जूते-चप्पल पानी में बह गए। इसके बाद का सफर उन्होंने नंगे पैर तय किया। उनके पास खाने के लिए कुछ रोटियां, गुड़ और पानी की एक बड़ी बोतल थी।
करीब 24 घंटे चलने के बाद, 5 अक्टूबर की शाम वे मेरुदो डूंगर पहुंचे। वहां उन्होंने जंगली बेर और वनस्पतियां खाकर भूख मिटाई और गड्ढों में जमा बारिश का पानी पिया। अगले दिन, उन्होंने ‘खादिर नी राखल’ की झाड़ियों को पार किया और अंततः 7 अक्टूबर की सुबह रतनपर गांव के पास पहुंचे।
रतनपर के सरपंच दशरथ वेलजी छांगा के मुताबिक, गांव वालों ने उन्हें 7 अक्टूबर की शाम को देखा था। वे बेहद डरे हुए थे और भूख से बेहाल होकर एक चारपाई पर ही बेहोश हो गए थे। बाद में पुलिस ने पिलर नंबर 1027 के पास से घुसपैठ करने वाले इस जोड़े को हिरासत में ले लिया।
फॉरेंसिक जांच में टोटो की उम्र 20 साल से अधिक और मीना की उम्र 18 से 20 साल के बीच पाई गई है। गिरफ्तारी के 41 दिन बाद, 18 नवंबर को उन पर पासपोर्ट अधिनियम और विदेशी अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया।
दूसरी दास्तां: जेब में सिर्फ 32 रुपये और दिल में मोहब्बत
पहली घटना के ठीक डेढ़ महीने बाद, 24 नवंबर को सीमा सुरक्षा बल (BSF) ने एक और पाकिस्तानी जोड़े को पकड़ा। इनका नाम पोपटकुमार नाथू भील (पोपट, 24 वर्ष) और गौरी गुलाब भील (गौरी, 20 वर्ष) है। ये दोनों पाकिस्तान के मुंगरिया (मुंगडियो) गांव के रहने वाले हैं, जो सीमा से सटा दूसरा आखिरी गांव है।
इस जोड़े ने अधिकारियों को बताया कि वे अपने प्यार को पाने के लिए भारत आए हैं, क्योंकि एक ही गांव का होने के कारण उनके परिवार वाले उनकी शादी के खिलाफ थे। BSF ने उन्हें 24 नवंबर की सुबह 2:51 बजे पिलर नंबर 523 और 524 के बीच पकड़ा और सुबह 4 बजे बालासर पुलिस को सौंप दिया।
पोपट और गौरी के पास सामान के नाम पर सिर्फ उनके पहने हुए कपड़े, चप्पलें और 100 पाकिस्तानी रुपये का एक मुड़ा-तुड़ा नोट था, जिसकी भारतीय मुद्रा में कीमत महज 32 रुपये है। 26 नवंबर को उन्हें भी संयुक्त पूछताछ केंद्र (JIC) भेज दिया गया।
जांच एजेंसियों के रडार पर ‘इश्क’
दोनों ही मामलों में एक अजीब समानता है। चारों घुसपैठिए भील आदिवासी समुदाय से हैं और उनका दावा है कि वे चचेरे भाई-बहन या एक ही गांव के हैं, जहां आपसी विवाह वर्जित है। टोटो और मीना ने तो यह भी बताया कि मीना ने पहले आत्महत्या की कोशिश की थी, जिसके बाद उन्होंने भागने का फैसला किया।
हालांकि, सुरक्षा एजेंसियां सिर्फ ‘प्यार’ के दावे पर भरोसा नहीं कर रही हैं। कच्छ (पूर्व) के पुलिस अधीक्षक सागर बागमार का कहना है, “चूंकि दूसरे जोड़े ने भी वही कारण बताया है जो पहले ने बताया था, और वे एक ही इलाके से बहुत कम समय के अंतराल पर आए हैं, इसलिए हमें यह जांच करनी होगी कि क्या इसके पीछे कोई और मकसद तो नहीं है।”
खादिर पुलिस स्टेशन के इंस्पेक्टर एम.एन. दवे के अनुसार, स्थानीय अदालत की अनुमति के बाद टोटो और मीना का ब्रेन मैपिंग और पॉलीग्राफ टेस्ट जैसी फॉरेंसिक जांच कराई जाएगी, ताकि उनके दावों की सच्चाई का पता लगाया जा सके।
फिलहाल, ये दोनों जोड़े हिरासत में हैं और अपनी किस्मत के फैसले का इंतजार कर रहे हैं। उनका यह सफर उन्हें एक-दूसरे का साथ दिला पाएगा या कानून की पेचीदगियों में उलझा देगा, यह तो वक्त ही बताएगा।
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