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पीएम का निकोल दौरा: AAP और जनाक्रोश को साधने की बीजेपी की ‘स्मार्ट चाल’

| Updated: September 1, 2025 18:44

निकोल रैली में पीएम मोदी की बड़ी घोषणाएं; AAP की बढ़ती पैठ और पाटीदार वोटबैंक साधने की बीजेपी की रणनीति

पिछले हफ्ते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अहमदाबाद के पूर्वी हिस्से निकोल में एक विशाल जनसभा को संबोधित किया। इस मौके पर उन्होंने शहर के लिए 5,400 करोड़ रुपये की परियोजनाओं की घोषणा की और देशवासियों से “स्वदेशी अपनाने” की अपील की। लेकिन यह समझना दिलचस्प है कि आखिर भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने इस इलाके को ही कार्यक्रम के लिए क्यों चुना।

दो निशाने, एक तीर

बीजेपी पिछले तीन दशकों से गुजरात की सत्ता में है और पिछले 20 साल से अहमदाबाद नगर निगम (AMC) पर भी काबिज है। ऐसे में उसके लिए यह जरूरी है कि वह न केवल राजनीतिक रूप से मजबूत दिखे बल्कि यह भी सुनिश्चित करे कि नागरिकों को लगे कि उनकी स्थानीय समस्याओं का समाधान हो रहा है।

सूत्रों का कहना है कि पार्टी को इस समय अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (AAP) की बढ़ती ताकत को लेकर चिंता है। खासतौर से तब से जब गोपाल इटालिया ने विश्वादर उपचुनाव में जीत हासिल की। इटालिया लेुवा पाटीदार समुदाय से आते हैं और इस वर्ग के कई लोग अब AAP की ओर देख रहे हैं। यही नहीं, 2022 में खुद केजरीवाल ने भी निकोल में रैली की थी।

25 अगस्त की अहम तारीख

बीजेपी ने कार्यक्रम की तारीख भी बड़ी चालाकी से चुनी। 25 अगस्त वही दिन है जब पाटीदार अनामत आंदोलन समिति (PAAS) के बैनर तले सबसे बड़ा पाटीदार आंदोलन हुआ था। इस आंदोलन का नेतृत्व हार्दिक पटेल ने किया था, जो अब बीजेपी में शामिल हो चुके हैं।

उस आंदोलन के दौरान 14 पाटीदार युवाओं की जान गई थी और आरोप लगे थे कि पुलिस की कॉम्बिंग ऑपरेशंस के दौरान पाटीदार महिलाओं के साथ मारपीट की गई। आंदोलन के दबाव में ही आखिरकार केंद्र सरकार ने उन वर्गों के लिए 10% EWS आरक्षण की घोषणा की, जो पहले से किसी कोटे के तहत नहीं आते थे।

पाटीदारों की नाराज़गी और AAP की पैठ

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि गोपाल इटालिया की जीत के बाद से बड़ी संख्या में पाटीदार AAP से जुड़ रहे हैं। यह समुदाय भले ही व्यवसाय में सक्रिय हो, लेकिन अपने अधिकारों को लेकर संघर्ष करने में पीछे नहीं हटता। कई लोगों का मानना है कि आंदोलन के दौरान पाटीदार महिलाओं पर पुलिसिया कार्रवाई को लोग अभी तक भूले नहीं हैं।

विपक्षी नेताओं का आरोप है कि बीजेपी को इस रैली के लिए लोगों को बुलाना पड़ा, जिनमें शिक्षकों और छात्रों को भी शामिल किया गया।

निकोल की जमीनी हकीकत

बीजेपी की सत्ता के लंबे कार्यकाल के बावजूद निकोल और अहमदाबाद के पूर्वी हिस्से में नागरिक सुविधाओं की हालत चिंताजनक बनी हुई है।

  • AMC की प्री-मानसून तैयारी के दावे हर साल विफल साबित होते हैं।
  • कई बार पानी कई दिनों तक भरा रहता है और गंदे नाले का पानी गलियों में फैल जाता है।
  • सड़कें गड्ढों से पट चुकी हैं, यहां तक कि कई जगह यह पहचानना मुश्किल हो जाता है कि सड़क गड्ढों में है या गड्ढे सड़क में।

निकोल और आसपास की विधानसभा सीटें तथा नगर निगम वार्ड बीजेपी प्रतिनिधियों के कब्जे में हैं। इसके बावजूद हाल के वर्षों में स्थानीय नेताओं को नागरिक समस्याओं को लेकर जनता के गुस्से का सामना करना पड़ा है।

गुजरात कांग्रेस प्रवक्ता मनीष दोशी का कहना है—

“बीजेपी पिछले 20 साल से AMC में सत्ता में है, लेकिन बुनियादी ढांचे और नागरिक सुविधाओं की लगातार अनदेखी हुई है। पूर्वी अहमदाबाद के लोग भी टैक्स देते हैं, तो फिर यह भेदभाव क्यों?”

बीजेपी का पक्ष

वहीं, गुजरात बीजेपी प्रवक्ता यज्ञेश दवे ने साफ कहा कि निकोल को चुनने के पीछे कोई खास वजह नहीं थी। उनके अनुसार,

“इस बार बस यह तय किया गया कि कार्यक्रम शहर के पूर्वी हिस्से में किया जाएगा। यह इलाका बीजेपी का गढ़ है और यहां किसी तरह की कोई समस्या नहीं है।”

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