नई दिल्ली: बिहार विधानसभा चुनावों के नतीजे आने के लगभग एक महीने बाद, जन सुराज पार्टी के प्रमुख प्रशांत किशोर ने हाल ही में कांग्रेस की वरिष्ठ नेता प्रियंका गांधी वाड्रा से मुलाकात की है। राजनीतिक हलकों में इस मुलाकात को काफी अहम माना जा रहा है।
तीन साल पहले कांग्रेस और प्रशांत किशोर के बीच बातचीत विफल हो गई थी और दोनों के रास्ते अलग हो गए थे। उस कड़वाहट के बाद यह पहली बार है जब दोनों पक्षों के बीच इस तरह की उच्च स्तरीय बातचीत की खबर सामने आई है। हालांकि, दोनों ही दलों के सूत्रों ने इस मुलाकात को एक सामान्य शिष्टाचार भेंट बताते हुए इसके महत्व को कम करने की कोशिश की है, लेकिन मौजूदा राजनीतिक परिस्थितियों में इसके कई मायने निकाले जा रहे हैं।
बिहार चुनाव के बाद बदले समीकरण
यह मुलाकात ऐसे समय में हुई है जब बिहार में हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनावों में प्रशांत किशोर और कांग्रेस, दोनों को ही निराशाजनक परिणामों का सामना करना पड़ा। बिहार में प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी ने महागठबंधन (जिसका कांग्रेस एक प्रमुख हिस्सा है) और भाजपा के खिलाफ चुनाव लड़ा था।
चुनावी नतीजे प्रशांत किशोर के लिए बेहद खराब रहे। उनकी पार्टी ने कुल 238 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, जिनमें से 236 उम्मीदवारों (यानी 99.16%) की जमानत जब्त हो गई और पार्टी का खाता भी नहीं खुला। दूसरी ओर, कांग्रेस का प्रदर्शन भी बहुत अच्छा नहीं रहा। पार्टी ने 61 सीटों पर चुनाव लड़ा था और महज 6 सीटों पर ही जीत दर्ज कर सकी, जो कि 2020 में जीती गई 19 सीटों की तुलना में काफी कम है।
चुनाव प्रचार के दौरान प्रशांत किशोर कांग्रेस पर काफी हमलावर रहे थे। उन्होंने राहुल गांधी के ‘वोट चोरी’ अभियान और मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को बिहार के लिए चुनावी मुद्दा मानने से इनकार कर दिया था।
2022 में क्यों बिगड़ी थी बात?
प्रशांत किशोर और गांधी परिवार के बीच का रिश्ता पुराना है, चाहे वह एक रणनीतिकार के रूप में हो या अब एक राजनेता के रूप में। जदयू (JD-U) से निष्कासित होने के एक साल बाद, 2021 में उन्होंने कांग्रेस को पुनर्जीवित करने के प्रस्ताव के साथ गांधी भाई-बहनों से संपर्क किया था। इसके बाद 2022 में दोनों पक्षों के बीच आधिकारिक तौर पर बातचीत शुरू हुई।
अप्रैल 2022 में, प्रशांत किशोर ने 10 जनपथ स्थित सोनिया गांधी के आवास पर कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व के सामने एक विस्तृत प्रस्तुति (प्रेजेंटेशन) दी थी। उस बैठक में राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और पार्टी के कई वरिष्ठ नेता मौजूद थे। इसके बाद तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने उनके प्रस्तावों पर विचार करने के लिए एक समिति का गठन किया था। उस समय प्रशांत किशोर कांग्रेस में शामिल होने के लिए तैयार थे।
सोनिया गांधी ने पार्टी की चुनौतियों से निपटने के लिए एक ‘एम्पावर्ड एक्शन ग्रुप’ (EAG) 2024 का गठन किया और प्रशांत किशोर को इसका हिस्सा बनने का न्योता दिया। लेकिन बात यहीं बिगड़ गई। प्रशांत किशोर ने इस पेशकश को ठुकरा दिया क्योंकि वे निर्णय लेने में अधिक अधिकार और खुली छूट (free hand) चाहते थे, जबकि पार्टी उन्हें केवल समूह का एक सदस्य बनाना चाहती थी।
तब क्या कहा था दोनों पक्षों ने?
उस वक्त कांग्रेस ने एक बयान जारी कर कहा था, “प्रशांत किशोर के साथ चर्चा और उनकी प्रस्तुति के बाद, कांग्रेस अध्यक्ष ने एक ‘एम्पावर्ड एक्शन ग्रुप 2024’ का गठन किया है और उन्हें समूह के हिस्से के रूप में जिम्मेदारी के साथ पार्टी में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया है। उन्होंने इसे अस्वीकार कर दिया। हम उनके प्रयासों और सुझावों की सराहना करते हैं।”
इसके तुरंत बाद प्रशांत किशोर ने पलटवार करते हुए कहा था, “मैंने EAG के हिस्से के रूप में पार्टी में शामिल होने और चुनावों की जिम्मेदारी लेने के कांग्रेस के उदार प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया है। मेरी विनम्र राय में, मुझसे ज्यादा पार्टी को नेतृत्व और सामूहिक इच्छाशक्ति की जरूरत है ताकि परिवर्तनकारी सुधारों के माध्यम से गहरी संरचनात्मक समस्याओं को ठीक किया जा सके।”
उस समय पार्टी के कई वरिष्ठ नेता, जिन्होंने किशोर की प्रस्तुति देखी थी, वे एक बाहरी व्यक्ति के कहने पर पार्टी के ढांचे में बदलाव करने के खिलाफ थे और उन्हें पूरी तरह भरोसेमंद नहीं मानते थे। अब तीन साल बाद हुई इस नई मुलाकात ने भविष्य के लिए फिर से कयासों का बाजार गर्म कर दिया है।
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