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प्रियंका गांधी का पीएम मोदी पर पलटवार: ‘वंदे मातरम’ पर बहस छेड़ने के पीछे गिनाए 3 बड़े कारण

| Updated: December 9, 2025 13:38

लोक सभा में प्रियंका गांधी का मोदी सरकार पर तीखा प्रहार: कहा- 'बंगाल चुनाव और अपनी विफलताओं को छिपाने के लिए छेड़ी गई है यह बहस', नेहरू को लेकर पीएम को दी खुली चुनौती।

नई दिल्ली: लोक सभा में कांग्रेस की वरिष्ठ नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने ‘वंदे मातरम’ पर छिड़ी बहस को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह हमारा राष्ट्रीय गीत है, जो हर भारतीय के दिल में बसा है, भला इस पर किसी तरह की बहस की गुंजाइश ही क्या है?

प्रियंका ने आरोप लगाया कि सरकार जानबूझकर इस मुद्दे को हवा दे रही है ताकि अपनी असफलताओं और वर्तमान की चुनौतियों से जनता का ध्यान भटका सके।

संसद में प्रधानमंत्री के भाषण के कुछ ही घंटों बाद अपनी बात रखते हुए प्रियंका गांधी ने पीएम मोदी के आरोपों का एक-एक कर जवाब दिया। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा ‘वंदे मातरम’ पर विवाद खड़ा करना एक “पाप” के समान है और इसके पीछे सरकार के तीन स्पष्ट उद्देश्य हैं।

सरकार के 3 मुख्य उद्देश्य

प्रियंका गांधी ने अपने संबोधन में बताया कि आखिर सरकार इस वक्त यह बहस क्यों चाहती है:

  1. पश्चिम बंगाल चुनाव: उन्होंने कहा कि सरकार का पहला और मुख्य उद्देश्य आगामी पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव हैं। प्रधानमंत्री वहां अपनी भूमिका निभाना चाहते हैं और अपना एजेंडा सेट करने के लिए इस मुद्दे का इस्तेमाल कर रहे हैं।
  2. स्वतंत्रता सेनानियों पर निशाना: दूसरा उद्देश्य बताते हुए उन्होंने कहा कि सरकार उन महान नेताओं पर आरोप लगाने का अवसर तलाश रही है, जिन्होंने आजादी की लड़ाई लड़ी और बलिदान दिए।
  3. असली मुद्दों से ध्यान भटकाना: तीसरा और सबसे अहम कारण है बेरोजगारी और महंगाई जैसे ज्वलंत मुद्दों से लोगों का ध्यान हटाना। प्रियंका ने कहा, “आप चाहते हैं कि हम अतीत में ही उलझे रहें क्योंकि यह सरकार वर्तमान और भविष्य की ओर देखने का साहस नहीं जुटा पा रही है। प्रधानमंत्री मोदी अब वो नहीं रहे जो कभी हुआ करते थे; उनका आत्मविश्वास डगमगा रहा है और उनकी नीतियां देश को कमजोर कर रही हैं।”

‘नेहरू पर अपनी शिकायतों की लिस्ट ले आएं’

सदन में संविधान सभा के दिग्गजों—महात्मा गांधी, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, जवाहरलाल नेहरू, राजेंद्र प्रसाद, आचार्य नरेंद्र देव, सरदार वल्लभभाई पटेल, रवींद्रनाथ टैगोर और बी.आर. अंबेडकर—का जिक्र करते हुए प्रियंका ने कहा कि राष्ट्रीय गीत के जिस स्वरूप को इन महापुरुषों ने स्वीकार किया था, उस पर सवाल उठाना उनका अपमान है।

नेहरू पर पीएम मोदी के लगातार हमलों का जवाब देते हुए प्रियंका ने एक खुली चुनौती दी। उन्होंने कहा, “मेरी एक छोटी सी सलाह है… कुछ महीने पहले चुनावों के दौरान प्रधानमंत्री ने विपक्ष द्वारा किए गए अपमानों की एक लिस्ट गिनाई थी। मेरी सलाह है कि आप नेहरू जी के खिलाफ अपनी शिकायतों की भी एक लिस्ट ले आएं। 990 शिकायतें हों या 9,999… जो भी गलतियां आपको लगती हैं, जो भी गालियां आप देना चाहते हैं, उनकी सूची बना लें।”

उन्होंने आगे कहा, “जैसे हम ‘वंदे मातरम’ पर 10 घंटे चर्चा कर रहे हैं, वैसे ही इसके लिए भी समय तय कर लेते हैं—10 घंटे, 20 घंटे या 40 घंटे… जितने घंटों में आपकी शिकायतें पूरी हो जाएं। एक बार चर्चा करके इस चैप्टर को हमेशा के लिए बंद कर देते हैं। देश सुनेगा कि इंदिरा जी ने क्या किया, राजीव जी ने क्या किया। लेकिन उसके बाद सदन का कीमती समय बर्बाद न करें, क्योंकि जनता ने हमें यहां अपनी समस्याओं के समाधान के लिए भेजा है। उसके बाद हम बेरोजगारी, महंगाई और महिलाओं के मुद्दों पर बात करेंगे।”

इतिहास और तथ्यों की ‘क्रोनोलॉजी’

प्रधानमंत्री मोदी के इस दावे पर कि कांग्रेस और नेहरू ने मुस्लिम लीग के दबाव में ‘वंदे मातरम’ को विभाजित किया था, प्रियंका गांधी ने गीत की ऐतिहासिक ‘क्रोनोलॉजी’ (कालक्रम) पेश की।

  • 1875 और 1882: उन्होंने बताया कि बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने वर्तमान राष्ट्रीय गीत के पहले दो छंद 1875 में लिखे थे और बाद में 1882 में अपनी पुस्तक ‘आनंदमठ’ में चार और छंद जोड़े।
  • 1937 के पत्र: प्रियंका ने 1930 के दशक की सांप्रदायिक राजनीति का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी ने सदन में 20 अक्टूबर 1937 को नेहरू द्वारा बोस को लिखे गए पत्र की कुछ पंक्तियां पढ़ीं, लेकिन पूरी सच्चाई नहीं बताई। उन्होंने बताया कि उससे तीन दिन पहले सुभाष चंद्र बोस ने नेहरू को पत्र लिखा था, जिसमें इस मुद्दे को कांग्रेस वर्किंग कमेटी और टैगोर के साथ विचारने की बात कही गई थी।
  • नेहरू का जवाब: प्रियंका ने नेहरू के जवाब का हवाला देते हुए कहा, “नेहरू जी ने लिखा था कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि ‘वंदे मातरम’ के खिलाफ मौजूदा विरोध काफी हद तक सांप्रदायिक तत्वों द्वारा गढ़ा गया है और हमें उनकी भावनाओं के आगे नहीं झुकना चाहिए।”
  • रवींद्रनाथ टैगोर की राय: उन्होंने टैगोर के एक पत्र का भी जिक्र किया, जिसमें टैगोर ने स्पष्ट किया था कि हमेशा गाए जाने वाले दो छंदों का गहरा महत्व है, जबकि बाद में जोड़े गए छंदों की सांप्रदायिक व्याख्या की जा सकती है।

संविधान सभा की सहमति

अपने भाषण के अंत में ऐतिहासिक तथ्यों को रखते हुए कांग्रेस नेता ने याद दिलाया कि जब 1950 में डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने संविधान सभा में घोषणा की थी कि गीत के पहले दो छंद ही राष्ट्रीय गीत होंगे, तब वहां सभी महान नेता मौजूद थे। उस समय बी.आर. अंबेडकर और जनसंघ के नेता श्यामा प्रसाद मुखर्जी भी उपस्थित थे और किसी ने भी उस समय कोई आपत्ति नहीं जताई थी।

प्रियंका ने सरकार पर तीखा प्रहार करते हुए कहा, “आपकी राजनीति सिर्फ दिखावे और इवेंट मैनेजमेंट की है। वंदे मातरम देश की उन उम्मीदों की गुहार है, जिसे आपका शासन हर रोज ठुकरा रहा है।”

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