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BCCI की नाक के नीचे चल रहा ‘खेल’: पुडुचेरी में फर्जी दस्तावेजों और पैसों के दम पर बाहरी खिलाड़ियों की हो रही ‘बैकडोर एंट्री’

| Updated: December 9, 2025 14:29

1.2 लाख का 'पैकेज' और फर्जी आधार: कैसे BCCI की नाक के नीचे बाहरी खिलाड़ी बन रहे 'लोकल', स्थानीय प्रतिभाएं बेहाल

पुडुचेरी/नई दिल्ली: भारतीय क्रिकेट में सफलता की कहानी आमतौर पर कड़ी मेहनत और पसीने से लिखी जाती है। यहाँ प्रतिभाओं का एक विशाल समंदर है, हर स्तर पर गलाकाट प्रतिस्पर्धा है और आईपीएल (IPL) जैसी बड़ी लीग तक पहुँचने का सपना। इस सिस्टम की बुनियाद ‘निष्पक्षता’ पर टिकी होनी चाहिए—जहाँ कौशल और प्रदर्शन ही चयन का आधार बनें। लेकिन, पुडुचेरी में खेल का यह मैदान पूरी तरह से पलट चुका है।

एक विस्तृत पड़ताल में यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी में क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ पांडिचेरी (CAP) और भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) की निगरानी के बावजूद एक समानांतर चयन प्रणाली चल रही है। यहाँ रिहायशी पते गढ़े जाते हैं, पात्रता प्रमाण पत्र (Eligibility Certificates) बेचे जाते हैं और पैसों के बदले बाहरी राज्यों के खिलाड़ियों को ‘स्थानीय’ बना दिया जाता है।

निजी कोच और ‘पैकेज’ का खेल

पिछले तीन महीनों में लगभग 2,000 खिलाड़ियों के रजिस्ट्रेशन फॉर्म की गहन जाँच, कई पूर्व व वर्तमान खिलाड़ियों से बातचीत और जमीनी स्तर पर पतों के सत्यापन के बाद यह सच सामने आया है। जांच में पता चला कि निजी अकादमियों के कोच एक संगठित गिरोह की तरह काम कर रहे हैं।

ये कोच दूसरे राज्यों के क्रिकेटरों को BCCI की अनिवार्य ‘एक साल की रेजीडेंसी’ (निवास) शर्त को पूरा करने के लिए फर्जी रास्ते उपलब्ध कराते हैं। इसमें शैक्षणिक संस्थानों में पिछली तारीखों (Backdated) में दाखिला और आधार कार्ड पर संदिग्ध पते शामिल हैं। इस पूरे काम के लिए खिलाड़ियों से 1.2 लाख रुपये या उससे अधिक का ‘पैकेज’ लिया जाता है। इसका नतीजा यह होता है कि स्थानीय प्रतिभाओं को दरकिनार कर बाहरी खिलाड़ी CAP की टीमों में जगह बना लेते हैं।

इस फर्जीवाड़े का एक जीता-जागता उदाहरण मूलाकुलम का ‘मोथिलाल नगर’ है। कागजों पर, यह एक पता 8 अलग-अलग राज्यों के 17 ‘स्थानीय’ क्रिकेटरों का निवास स्थान है। जब इस पते की जांच की गई, तो मकान मालिक ने बताया कि उन्होंने कुछ साल पहले घर का एक हिस्सा चार खिलाड़ियों को किराए पर दिया था, लेकिन किराया न देने पर उन्हें कुछ ही महीनों में निकाल दिया गया था। उन्हें इस बात की खबर ही नहीं कि उनके पते का इस्तेमाल 17 खिलाड़ी कर रहे हैं।

पुडुचेरी ही क्यों बना निशाना?

सवाल यह है कि पुडुचेरी इस ‘मार्केट’ के लिए इतना आकर्षक क्यों है? इसका जवाब है—रणजी ट्रॉफी। रणजी खेलने का मतलब है विजिबिलिटी, मैच फीस और स्पोर्ट्स कोटे की सरकारी नौकरी।

एक जूनियर खिलाड़ी भी अगर लीग चरण के सातों मैच खेल ले, तो उसे केवल मैच फीस के रूप में 11.2 लाख रुपये तक मिल सकते हैं। इसके अलावा, सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी और विजय हजारे ट्रॉफी में अच्छा प्रदर्शन आईपीएल के करोड़पति क्लब में जाने का रास्ता खोलता है।

CAP की स्थापना ‘सीकेम टेक्नोलॉजीज लिमिटेड’ के मालिक पी. दामोदरन ने की थी, जिन पर स्वयं हितों के टकराव (Conflict of Interest) और अनियमितताओं के आरोप हैं। BCCI, जो दुनिया का सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड है, की छाया में यह धांधली फल-फूल रही है।

पूर्व तेज गेंदबाज संथामूर्ति, जिन्होंने 41 साल की उम्र में टी-20 मैच में 5 विकेट लेकर रिकॉर्ड बनाया था, ने इस व्यवस्था को पूरी तरह से “फिक्स” बताया है। उन्होंने कहा, “उत्तर भारत के राज्यों से खिलाड़ी आते हैं, पैसे देते हैं और अगले ही दिन खेलना शुरू कर देते हैं, जबकि उन्हें एक साल रहने की अनिवार्य शर्त पूरी करनी होती है।”

आंकड़े बयां करते हैं सच

सरकारी रिकॉर्ड्स की जांच में निम्नलिखित तथ्य सामने आए:

  • पिछले चार वर्षों में, टीम द्वारा खेले गए 29 रणजी मैचों में पुडुचेरी में जन्मे केवल पांच खिलाड़ी ही मैदान में उतर पाए हैं।
  • मौजूदा सीजन में विनू मांकड़ ट्रॉफी के उद्घाटन U-19 मैच में, प्लेइंग-11 के 11 खिलाड़ियों में से 9 दूसरे राज्यों के थे, जिन्हें ‘स्थानीय’ करार दिया गया था।
  • पिछले सीजन में, 15 सदस्यीय सीनियर पुरुष टीम के किसी भी मैच में 4 से ज्यादा पुडुचेरी में जन्मे खिलाड़ी नहीं थे।
  • 2025-26 रणजी ट्रॉफी के पहले हाफ में खेले गए पांच मैचों में कोई भी स्थानीय खिलाड़ी शामिल नहीं था।
  • टी-20 पांडिचेरी प्रीमियर लीग (PPL) 2025 में बाहरी खिलाड़ियों की भरमार के खिलाफ विरोध करने पर पांच स्थानीय क्रिकेटरों को CAP ने प्रतिबंधित कर दिया।
  • 2019 में, BCCI ने फर्जी ‘सेंथिल इंस्टीट्यूट’ का नाम इस्तेमाल करने पर पुडुचेरी के 6 खिलाड़ियों को बैन किया था।

कोच की सफाई: ‘हम सिर्फ प्रक्रिया का पालन करते हैं’

इन आरोपों पर स्थानीय क्रिकेट के प्रभावशाली व्यक्ति एस. वेंकट रमन, जो CAP के पूर्व संयुक्त सचिव और PPL फ्रेंचाइजी कोच भी हैं, ने सफाई दी है। वेंकट रमन, जो जगत एकेडमी नाम से निजी कोचिंग सेंटर भी चलाते हैं, ने कहा, “हम पात्रता के मामले में केवल BCCI की प्रक्रियाओं का पालन कर रहे हैं। राज्य संघ आधार और पैन कार्ड जैसे सरकारी दस्तावेजों को क्रॉस-वेरीफाई कैसे कर सकता है? हम दस्तावेज BCCI को भेज देते हैं।”

उन्होंने यह भी तर्क दिया कि पांडिचेरी में स्थानीय खिलाड़ियों का अभाव है, इसलिए वे पृष्ठभूमि की परवाह किए बिना अच्छे प्रदर्शन करने वालों को चुनते हैं।

5 पते, 5 कहानियां: कैसे तोड़े जा रहे नियम

BCCI के नियमों के अनुसार, किसी बाहरी खिलाड़ी को स्थानीय मानने के लिए उस क्षेत्र में एक साल की नौकरी, पढ़ाई या निवास का सबूत देना होता है। जांच में ऐसे 5 पते सामने आए जो बार-बार रजिस्ट्रेशन फॉर्म में दिखे:

  1. मोथिलाल नगर, मूलाकुलम: यहाँ एक ही पते पर 17 खिलाड़ी रजिस्टर्ड हैं। इनमें से 6 खिलाड़ी 2025-26 की सीनियर टीम का हिस्सा हैं। मकान मालिक ने बताया कि वे इन खिलाड़ियों के वहां रहने से अनजान हैं।
  2. सुनामी नगर, नारमबाई: दिल्ली के एक 16 वर्षीय खिलाड़ी ने 2023 में यह पता रजिस्टर कराया। मकान मालिक के परिवार ने बताया कि लड़का वहां कभी नहीं रहा। उसने 28 सितंबर को घर के सामने आकर बस एक फोटो खिंचवाई और अनुरोध किया कि अगर कोई पूछे तो कह दें कि वह एक साल से यहीं रह रहा है।
  3. नैनार मंडपम: यहाँ महाराष्ट्र, राजस्थान, आंध्र प्रदेश और हरियाणा के चार बाहरी खिलाड़ियों के नाम दर्ज हैं। मकान मालिक ने किसी भी खिलाड़ी को किराए पर रखने से साफ इनकार किया।
  4. रू रोमेन रोलैंड (व्हाइट टाउन): यह घर 2022 से बंद पड़ा है और मालिक शहर में दूसरी जगह रहते हैं। इसके बावजूद, एक गेंदबाज (जो हाल ही में आईपीएल ट्रायल में गया था) के आधार रिकॉर्ड में 2019 से यही पता दर्ज है।
  5. एमजी रोड क्षेत्र: यहाँ एक तीन मंजिला घर है जिसके ग्राउंड फ्लोर पर किडनी केयर फैसिलिटी है। यहाँ 6 खिलाड़ियों का पता दर्ज है, जिसमें कर्नाटक, हरियाणा, तेलंगाना और यूपी के खिलाड़ी शामिल हैं। मकान मालिक प्रवीण पी., जो खुद एक वीडियो विश्लेषक हैं, ने कहा कि उन्हें नहीं पता कि मौजूदा खिलाड़ी उनके पते का इस्तेमाल कर रहे हैं।

गायब छात्र और टिन की छत वाले कॉलेज

फर्जीवाड़े का दूसरा पहलू शिक्षा है। रिकॉर्ड बताते हैं कि पिछले तीन वर्षों में कम से कम 28 बाहरी क्रिकेटरों ने पुडुचेरी में विभिन्न “ITI पाठ्यक्रमों” में दाखिला लिया है।

  • नेल्लीथोप का श्री विवेकानंद ITI: कई खिलाड़ियों के रिकॉर्ड में दर्ज इस संस्थान की जगह अब केवल एक जंग लगी टिन की छत वाला ढांचा बचा है। यह संस्थान 2021 में ही बंद हो गया था।
  • निजी ट्यूशन सेंटर: यूपी के एक U-23 क्रिकेटर के रिकॉर्ड का पीछा करते हुए एक निजी ट्यूशन सेंटर का पता चला। वहां के एक शिक्षक ने बताया, “हम केवल बिचौलिये हैं ताकि वे दूरस्थ शिक्षा (Distance Learning) की परीक्षाएं दे सकें। वह छात्र कभी यहाँ नहीं आया।”

भारतीदासन पांडिचेरी क्रिकेटर्स फोरम के संस्थापक सेंथिल कुमारन का कहना है कि ‘एक साल की पात्रता’ नियम ही सारी समस्याओं की जड़ है। उन्होंने BCCI से विदर्भ क्रिकेट एसोसिएशन जैसा मॉडल अपनाने की अपील की है, जहाँ स्थानीय खिलाड़ी कहलाने के लिए तीन साल का अनिवार्य निवास या शैक्षणिक रिकॉर्ड जरूरी है।

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