कांग्रेस नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता, राहुल गांधी ने एक सनसनीखेज प्रेस कॉन्फ्रेंस में मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) ज्ञानेश कुमार पर सीधे और गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने दावा किया कि CEC ज्ञानेश कुमार उन लोगों की रक्षा कर रहे हैं जो भारतीय लोकतंत्र को नष्ट कर रहे हैं और व्यवस्थित तरीके से “वोट चोरी” को अंजाम दे रहे हैं।
राहुल गांधी ने स्पष्ट किया कि यह कोई मामूली आरोप नहीं है, बल्कि ठोस सबूतों पर आधारित है।
उन्होंने कहा, “मैं आज जो भी कह रहा हूं, वह 100% सबूतों के साथ कह रहा हूं। यह एटम बम नहीं है, हाइड्रोजन बम तो अभी आना बाकी है।”
उनका दावा है कि एक संगठित गिरोह सॉफ्टवेयर और कॉल सेंटर का इस्तेमाल करके देशभर में विपक्ष, खासकर दलितों, आदिवासियों, अल्पसंख्यकों और ओबीसी वोटरों के नाम वोटर लिस्ट से हटा रहा है।
कर्नाटक से महाराष्ट्र तक, कैसे हो रही है ‘वोट चोरी’?
राहुल गांधी ने अपनी बात को साबित करने के लिए कर्नाटक के आलंद विधानसभा क्षेत्र का उदाहरण दिया। उन्होंने बताया कि कैसे एक संयोग से यह पूरा मामला सामने आया।
- अजीब संयोग से खुली पोल: आलंद की एक बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) ने जब देखा कि उनके अपने चाचा का वोट लिस्ट से काट दिया गया है, तो उन्हें शक हुआ। जांच करने पर पता चला कि उनके पड़ोसी के नाम से यह एप्लीकेशन फाइल की गई थी। जब पड़ोसी से पूछा गया, तो उसने ऐसा कुछ भी करने से साफ इनकार कर दिया।
- एक ही पैटर्न, कई राज्यों में: जांच में सामने आया कि आलंद में लगभग 6,000 वोटरों को हटाने की कोशिश की गई। इसके लिए कर्नाटक के बाहर के मोबाइल नंबरों का इस्तेमाल हुआ। फॉर्म इतनी तेजी से भरे गए (जैसे 36 सेकंड में 2 फॉर्म) कि यह साफ हो गया कि यह काम किसी इंसान ने नहीं, बल्कि सॉफ्टवेयर ने किया है। एक दिलचस्प पैटर्न यह भी था कि हर बूथ की वोटर लिस्ट में जो पहला नाम (सीरियल नंबर 1) था, उसी के नाम से बाकी वोटरों को हटाने की अर्जी दी जा रही थी।
राहुल ने बताया कि यही तरीका महाराष्ट्र के राजोरा में भी अपनाया गया, जहाँ वोट जोड़े जा रहे थे। वहां भी फर्जी नाम (जैसे JW JW JW) और पते (जैसे Sasti Sasti Sasti) का इस्तेमाल हुआ। इससे यह साबित होता है कि यह कोई स्थानीय घटना नहीं, बल्कि एक सेंट्रलाइज्ड ऑपरेशन है जिसे एक ही ताकत अलग-अलग राज्यों में चला रही है।
मुख्य चुनाव आयुक्त पर क्यों उठे सवाल? 18 चिट्ठियों का रहस्य
राहुल गांधी ने अपने आरोपों का सबसे बड़ा आधार चुनाव आयोग के रवैये को बताया। उन्होंने कहा कि CEC ज्ञानेश कुमार सीधे तौर पर इस मामले के दोषियों को बचा रहे हैं।
उन्होंने सबूत के तौर पर बताया कि कर्नाटक CID इस मामले की जांच कर रही है और पिछले 18 महीनों में चुनाव आयोग को 18 बार चिट्ठी लिख चुकी है। CID ने आयोग से बहुत सामान्य जानकारी मांगी है, जैसे:
- फॉर्म भरने के लिए इस्तेमाल हुए डिवाइस का IP एड्रेस क्या था?
- OTP किस नंबर पर और कहाँ से जनरेट हुआ?
- डिवाइस के डेस्टिनेशन पोर्ट्स की जानकारी क्या है?
राहुल ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग जानबूझकर यह जानकारी नहीं दे रहा है, क्योंकि अगर यह जानकारी सामने आ गई तो उन लोगों का पर्दाफाश हो जाएगा जो इस पूरे ऑपरेशन को चला रहे हैं।
उन्होंने कहा, “18 बार रिमाइंडर भेजने के बाद भी जानकारी न देना इस बात का ब्लैक एंड व्हाइट सबूत है कि ज्ञानेश कुमार जी वोट चोरों की रक्षा कर रहे हैं।”
एक हफ्ते का अल्टीमेटम और ‘हाइड्रोजन बम’ की चेतावनी
राहुल गांधी ने मुख्य चुनाव आयुक्त को एक हफ्ते का समय दिया है। उन्होंने मांग की है कि CEC एक हफ्ते के भीतर कर्नाटक CID को सारी जानकारी मुहैया कराएं।
उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा, “अगर एक हफ्ते में यह जानकारी नहीं दी गई, तो पूरा देश यह मानेगा कि आप भारत के संविधान की हत्या में शामिल हैं और वोट चोरों की मदद कर रहे हैं।”
राहुल ने यह भी खुलासा किया कि अब उन्हें चुनाव आयोग के अंदर से ही कुछ ईमानदार अधिकारी जानकारी दे रहे हैं।
यह प्रेस कॉन्फ्रेंस भारतीय चुनाव प्रक्रिया की निष्पक्षता पर गंभीर सवाल खड़े करती है। राहुल गांधी के इन आरोपों ने एक नई बहस छेड़ दी है, जिसका असर आने वाले समय में देश की राजनीति पर दिखना तय है।
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