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लाल किला ब्लास्ट: आरोपी डॉ. उमर का चौंकाने वाला वीडियो आया सामने, आत्मघाती हमले को बताया ‘शहादत’ का रास्ता

| Updated: November 18, 2025 17:31

'सुसाइड बॉम्बिंग नहीं, यह शहादत है': लाल किला ब्लास्ट के मास्टरमाइंड डॉ. उमर का कबूलनामा, बताया कैसे डॉक्टरों की 'व्हाइट कॉलर' टीम ने रची थी खौफनाक साजिश।

नई दिल्ली: लाल किले के पास हुए भीषण कार धमाके ने पूरे देश को सन्न कर दिया था। अब इस मामले में एक नया और बेहद गंभीर मोड़ आया है। 10 नवंबर को हुए इस धमाके के मुख्य आरोपी डॉ. उमर उन नबी का एक वीडियो सामने आया है, जो उसकी कट्टरपंथी मानसिकता की गवाही दे रहा है। इस वीडियो में, डॉ. उमर फर्राटेदार अंग्रेजी में बात करते हुए ‘सुसाइड बॉम्बिंग’ यानी आत्मघाती हमले को सही ठहराने की कोशिश कर रहा है।

वीडियो में वह कहता है कि दुनिया जिसे आत्मघाती हमला कहती है, वह इस्लाम में दरअसल “शहादत का ऑपरेशन” (Martyrdom Operation) है। उसका कहना है कि इस अवधारणा को लेकर लोगों में काफी गलतफहमी है।

क्या कहा डॉ. उमर ने वीडियो में?

वीडियो में डॉक्टर से आतंकवादी बना उमर दलील देता है कि आत्मघाती हमले के खिलाफ कई तर्क दिए जाते हैं, लेकिन उसके लिए यह एक मिशन है। वह कहता है, “शहादत का ऑपरेशन तब होता है जब कोई व्यक्ति यह मान लेता है कि उसे एक निश्चित जगह और निश्चित समय पर मरना ही है। वह इस प्राकृतिक अनुमान के खिलाफ जाता है कि मौत कब आएगी। वह एक विशेष स्थिति में अपनी जान देने जा रहा होता है।”

जांचकर्ताओं का मानना है कि फरीदाबाद के इस ‘व्हाइट कॉलर’ आतंकी मॉड्यूल का सबसे कट्टरपंथी सदस्य उमर ही था। यह वीडियो संभवतः उसने अन्य युवाओं का ब्रेनवाश करने और उन्हें गुमराह करने के मकसद से बनाया था।

हादसा या साजिश?

जांच अधिकारियों का मानना है कि 10 नवंबर को हुआ विस्फोट दरअसल एक हादसा था। बम गलती से समय से पहले फट गया, जबकि डॉ. उमर की योजना भविष्य में एक बड़े स्तर पर सुनियोजित आत्मघाती हमला करने की थी।

पुरानी दिल्ली के ऐतिहासिक लाल किले के पास एक व्यस्त सड़क पर हुए इस धमाके ने भारी तबाही मचाई थी। विस्फोट इतना शक्तिशाली था कि आसपास की दुकानों के शीशे चकनाचूर हो गए और पूरे इलाके में दहशत फैल गई। इस दर्दनाक घटना में कम से कम 14 लोगों की मौत हुई, जबकि 20 से ज्यादा लोग घायल हो गए।

डॉक्टरों का आतंकी मॉड्यूल और तुर्की कनेक्शन

जांच में यह बात सामने आई है कि यह मॉड्यूल पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद से जुड़ा था। इस ग्रुप में 9 से 10 सदस्य शामिल थे, जिनमें चौंकाने वाली बात यह है कि 5 से 6 लोग पेशे से डॉक्टर थे।

ये सभी आरोपी अल-फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़े थे। आरोप है कि उन्होंने अपने मेडिकल प्रोफेशन और क्रेडेंशियल्स का दुरुपयोग विस्फोटक बनाने के लिए जरूरी केमिकल और सामग्री जुटाने में किया। जांच के दौरान यह भी खुलासा हुआ कि डॉ. उमर और उसका साथी डॉ. मुजम्मिल गनी (जिसे पुलिस मॉड्यूल का भंडाफोड़ होने के बाद गिरफ्तार कर चुकी है) तुर्की गए थे। आशंका है कि उनके हैंडलर्स तुर्की से ही इस नेटवर्क को ऑपरेट कर रहे थे।

कौन है डॉ. उमर उन नबी?

डॉ. उमर मूल रूप से पुलवामा के कोइल गांव का रहने वाला है। उसके रिश्तेदारों के मुताबिक, वह एक बेहद शांत और अंतर्मुखी स्वभाव का व्यक्ति था, जो ज्यादा किसी से मिलता-जुलता नहीं था और अपना अधिकतर समय किताबें पढ़ने में बिताता था।

हालांकि, पुलिस सूत्रों का कहना है कि पिछले कुछ महीनों में उसके व्यवहार में भारी बदलाव आया था। वह 30 अक्टूबर से अपनी यूनिवर्सिटी ड्यूटी से नदारद था। वह अक्सर फरीदाबाद और दिल्ली के बीच यात्रा करता था और रामलीला मैदान व सुनहरी मस्जिद के पास स्थित मस्जिदों में जाया करता था।

भारी मात्रा में विस्फोटक बरामद

पुलिस के मुताबिक, फरीदाबाद में हुई छापेमारी के दौरान एक गोदाम से करीब 2,900 किलोग्राम अमोनियम नाइट्रेट बरामद किया गया था। इसके बाद उसके कुछ साथियों की गिरफ्तारी हुई। इसी कार्रवाई के बाद 9 नवंबर को उमर अचानक गायब हो गया।

उसने अपने पांचों मोबाइल फोन बंद कर लिए थे और जांच एजेंसियों से बचने के लिए धौज गांव के आसपास भूमिगत (underground) हो गया था। फिलहाल पुलिस और जांच एजेंसियां इस पूरे नेटवर्क की तह तक जाने में जुटी हैं।

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