नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS), जो आज भारत की राजनीति का एक प्रमुख केंद्र है, ने 27 सितंबर 2025 को अपनी स्थापना का शताब्दी वर्ष पूरा कर लिया है। पिछले 100 वर्षों में संघ ने एक लंबा सफर तय किया है, जिसमें वह राजनीति के हाशिये से उठकर सत्ता के शिखर तक पहुँचा है।
इस ऐतिहासिक पड़ाव पर संघ की यात्रा, उसकी विचारधारा और भविष्य की दिशा को लेकर दुनिया भर में चर्चा हो रही है।
इसी संदर्भ में, भारत की राजनीति पर कई किताबें लिख चुके और फ्रांस के प्रतिष्ठित संस्थान ‘साइंसेज पो’ में प्रोफेसर, क्रिस्टोफ़ जाफ़रलॉट ने ‘द वायर’ के संस्थापक संपादक सिद्धार्थ वरदराजन के साथ एक विशेष और गहन बातचीत की है।
यह महत्वपूर्ण बातचीत 24 सितंबर, 2025 को पेरिस में रिकॉर्ड की गई, जिसमें संघ के 100 साल के सफर का व्यापक विश्लेषण किया गया।
इस बातचीत में प्रोफेसर जाफ़रलॉट ने संघ की उत्पत्ति और उसकी foundational विचारधारा पर प्रकाश डाला। उन्होंने इस बात की भी पड़ताल की कि संघ की कार्यशैली और विचार, शास्त्रीय फासीवाद (classical fascism) और अधिनायकवाद (authoritarianism) से किन मायनों में मेल खाते हैं और कहाँ उनसे बिल्कुल अलग हैं।
यह चर्चा इस सवाल के इर्द-गिर्द भी घूमती है कि संगठन का भविष्य क्या होगा और आने वाले समय में भारत पर इसका क्या प्रभाव पड़ सकता है। इस बातचीत के माध्यम से यह समझने का प्रयास किया गया है कि संघ ने किस प्रकार धैर्यपूर्वक अपनी शक्ति का संचय किया और आज वह जिस मुकाम पर है, उसके आगे की राह कैसी होगी। यह विश्लेषण संघ के शताब्दी वर्ष में उसके मूल्यांकन के लिए एक महत्वपूर्ण दृष्टिकोण प्रदान करता है।
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