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अहमदाबाद: जेल अधिकारी बोले- ‘ये तो मोबाइल है!’, कैदी ने कहा- ‘ये मेरी सांसें हैं’, और हो गया फरार

| Updated: November 17, 2025 12:39

साबरमती जेल अधिकारियों ने CPAP मशीन के एक हिस्से को 'मोबाइल' जैसा बताकर अनुमति देने से किया इनकार, स्लीप एपनिया पीड़ित कैदी की जान खतरे में।

अहमदाबाद: एक अजीबोगरीब दुविधा के चलते असमंजस की स्थिति पैदा हो गई है, जहाँ एक कैदी ने जेल में वापस सरेंडर करने से इनकार कर दिया है। कारण यह है कि जेल अधिकारी उसे अपनी साँस की थेरेपी मशीन (respiratory therapy machine) साथ ले जाने की अनुमति नहीं दे रहे हैं। अधिकारियों का कहना है कि मशीन का एक हिस्सा सेल फोन जैसा दिखता है, जिसे जेल के अंदर ले जाना प्रतिबंधित (contraband) है।

36 वर्षीय कैदी संदीप पंड्या का कहना है कि इस CPAP (कंटीन्यूअस पॉजिटिव एयरवे प्रेशर) मशीन के बिना उसकी जान को खतरा हो सकता है। पंड्या ‘स्लीप एपनिया’ (sleep apnea) नामक एक गंभीर विकार से पीड़ित है, जिसमें नींद के दौरान व्यक्ति की साँस अस्थायी रूप से रुक जाती है।

मेहसाणा जिले के विसनगर कस्बे का रहने वाला पंड्या दो साइबर क्राइम मामलों में फंसा हुआ है। उसे जमानत दी गई थी और एक निर्धारित अवधि के बाद उसे आत्मसमर्पण करना था।

अदालत पहुँचा मामला

जब जेल अधिकारियों ने उसके अनुरोध को मानने से इनकार कर दिया, तो पंड्या ने गुजरात हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। उसने अदालत से साबरमती सेंट्रल जेल के अधिकारियों को CPAP मशीन के इस्तेमाल की इजाजत देने का निर्देश देने की माँग की।

पंड्या के वकील नदीम मंसूरी ने कहा, “हमने अदालत में दलील दी कि जब याचिकाकर्ता सो रहा होता है, तो उसका ऑक्सीजन लेवल 50% तक गिर जाता है।” आपको बता दें कि एक स्वस्थ व्यक्ति का सामान्य ऑक्सीजन लेवल 95% से 100% के बीच होता है।

मशीन क्यों है प्रतिबंधित?

वकील नदीम मंसूरी ने अपनी चिंता जाहिर करते हुए कहा, “अगर वह (पंड्या) मशीन के बिना जेल वापस जाता है, तो उसकी जान को खतरा है। जेल अधिकारी मशीन से जुड़े मॉनिटरिंग डिवाइस के कारण इसकी अनुमति नहीं दे रहे हैं।” यही वह डिवाइस है जिसका आकार फोन जैसा है और इसी को लेकर सारा विवाद है।

याचिका में चौंकाने वाला मोड़

सुनवाई के दौरान, जब हाई कोर्ट ने पूछा कि याचिकाकर्ता ने यह मुद्दा सीधे जेल अधिकारियों के सामने क्यों नहीं उठाया, तो वकील ने एक चौंकाने वाला खुलासा किया। वकील ने अदालत को बताया कि पंड्या ऐसा नहीं कर सका क्योंकि वह फिलहाल “फरार” (absconding) है।

इस खुलासे के बाद, पंड्या ने अपनी याचिका वापस ले ली। हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, “याचिकाकर्ता के वकील को जेल अधिकारियों के समक्ष उचित अभ्यावेदन (representation) देने के लिए वर्तमान रिट याचिका वापस लेने की अनुमति दी जाती है।”

क्या है पूरा मामला?

संदीप पंड्या पर 2023 से वडोदरा और चांगोदर में साइबर क्राइम के मामले दर्ज हैं। उसकी गिरफ्तारी के तुरंत बाद, उसे स्लीप एपनिया के इलाज के लिए अस्थायी जमानत मिल गई थी।

पंड्या को वडोदरा मामले में नियमित जमानत मिल चुकी है, और चांगोदर मामले में उसे मार्च में अस्थायी जमानत दी गई थी। उसकी जमानत की अवधि पहले एक बार बढ़ाई भी गई थी, लेकिन हाल ही में हाई कोर्ट ने उसकी जमानत अवधि को और विस्तार देने से इनकार कर दिया था, जिसके बाद उसे सरेंडर करना था।

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