स्वागत है ‘लेट्स टॉक सहज’ में, जहां हम किशोरावस्था के सफर पर रोशनी डालते हैं। आज हमारे साथ बातचीत के लिए मौजूद हैं डॉ. सोनल देसाई — प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ, शिक्षिका और सहज केयर (SAHAJ CARE) की संस्थापक। वे किशोर लड़कियों के लिए तैयार की गई शैक्षिक फिल्म ‘टॉर्च फॉर टीनेज गर्ल्स’ की निर्माता भी हैं। डॉ. सोनल ने अहमदाबाद के प्रतिष्ठित बी.जे. मेडिकल कॉलेज से चिकित्सा की पढ़ाई की है।
डॉ. सोनल, आपका स्वागत है।
धन्यवाद मेघा, इस आत्मीय परिचय के लिए।
क्या है सहज केयर?
सहज केयर एक ऐसा मंच है जिसका उद्देश्य किशोर लड़कियों को शारीरिक, मानसिक और मनो-यौन (psychosexual) परिवर्तनों की वैज्ञानिक जानकारी देना और उन्हें इस बदलाव के दौर में सहयोग देना है।
किशोरियों पर विशेष ध्यान क्यों?
किशोरावस्था वह समय है जब एक बच्चा बड़ा होकर वयस्क बनता है। इस दौर में शारीरिक, मानसिक, मनो-यौन, भावनात्मक और व्यवहारिक स्तर पर बड़े बदलाव आते हैं। यह बीमारी का नहीं, बदलाव का दौर है।
जब कोई लड़की इन बदलावों से गुजरती है, तो उसके मन में कई सवाल आते हैं:
- ये बदलाव क्यों हो रहे हैं?
- क्या यह सिर्फ मेरे साथ हो रहा है?
- क्या मेरी ग्रोथ सामान्य है?
उन्हें इन सवालों के सही वैज्ञानिक जवाब नहीं मिलते।
जैसे (गुजराती में कहा):
“अगर आप घुप अंधेरे में रास्ता तय करें तो डर लगेगा, ठोकर खा सकते हैं। लेकिन हाथ में टॉर्च हो तो आत्मविश्वास से चल पाएंगे।”
वैसे ही, सही वैज्ञानिक जानकारी किशोरावस्था के रास्ते में टॉर्च की तरह होती है।
मैं यह भी मानती हूं कि हर लड़की को यौन शोषण से बचाव की जानकारी होनी चाहिए। मैं उन्हें बताती हूं कि क्या हो सकता है, कैसे सतर्क रहें और इसे रोकें। यौन शोषण एक गंभीर अपराध है, और 18 साल से कम उम्र वालों के साथ यह और भी गंभीर अपराध है। बच्चों की सुरक्षा समाज की सामूहिक जिम्मेदारी है।
सहज केयर शुरू करने का विचार क्यों आया?
यह पहल समाज को कुछ लौटाने की गहरी इच्छा से शुरू हुई।
जब मैं सरकारी कॉलेज में एमबीबीएस कर रही थी, हमें फीस नहीं देनी पड़ती थी। सरकार हर छात्र पर लगभग एक लाख रुपये खर्च करती थी। 80 के दशक में एक लाख रुपये बहुत बड़ी रकम थी। इस बात ने मेरे दिल में आभार और जिम्मेदारी की भावना पैदा की।
यही भावना 2005 में सहज केयर के रूप में सामने आई।
आगे का सफर
2005 में मैंने एक पावरपॉइंट प्रेजेंटेशन बनाया जिसमें लड़कियों के लिए जरूरी वैज्ञानिक जानकारी थी।
फिर मैंने अलग-अलग स्कूलों से संपर्क किया और 8वीं से 12वीं तक की छात्राओं के लिए सहज केयर सत्र लेने शुरू किए। गुजरात के ग्रामीण और शहरी इलाकों के कई स्कूलों में गई। अहमदाबाद ऑब्स्टेट्रिक एंड गायनेकॉलॉजिकल सोसाइटी ने पूरा समर्थन दिया।
कुछ महीनों बाद GCERT (गुजरात काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग) ने मुझसे संपर्क किया। उन्हें यह प्रेजेंटेशन बहुत पसंद आया और उन्होंने स्कूलों को सत्र आयोजित करने के लिए पत्र भेजे।
BISAG स्टूडियो, गांधीनगर से स्पेस एप्लीकेशन के ज़रिए उन्होंने दो बार 50,000 प्राइमरी टीचर कॉलेज के छात्रों के लिए लाइव इंटरेक्टिव सत्र आयोजित किए।
GCERT ने मुझे बार-बार उनके टीचर ट्रेनिंग प्रोग्राम में ‘की-रिसोर्स पर्सन’ के तौर पर बुलाया।
‘टॉर्च फॉर टीनेज गर्ल्स’ फिल्म बनाने का विचार कैसे आया?
2014 में मुझे स्वास्थ्य संबंधी एक बड़ी समस्या हुई। मुझे शुरुआती स्टेज का ब्रेस्ट कैंसर हुआ। ऑपरेशन और इलाज पूरा किया।
उस अनुभव ने मुझे यह सोचने पर मजबूर किया कि भरोसेमंद वैज्ञानिक जानकारी हजारों–लाखों लड़कियों तक आसानी से पहुंचे।
यह फिल्म बनाना बहुत बड़ा काम था। मैंने तय किया कि यह फिल्म मैं अपने जन्मदिन पर खुद को एक तोहफे के रूप में दूंगी।
GCERT ने पूरी टीम के साथ यह फिल्म देखी, सराहा और 2019 में गुजरात के सभी स्कूलों को ‘टॉर्च फॉर टीनेज गर्ल्स’ की डीवीडी भेजी।
FOGSI (फेडरेशन ऑफ ऑब्स्टेट्रिक एंड गायनेकॉलॉजिकल सोसाइटीज़ ऑफ इंडिया) ने भी सिफारिश की कि हर लड़की को यह शिक्षा मिलनी चाहिए और वह अपने स्वास्थ्य का ख्याल रखे।
यह फिल्म किन विषयों को कवर करती है?
फिल्म में आसान भाषा में, वैज्ञानिक ढंग से और बिना किसी हिचक के वह सब बताया गया है जो एक किशोरी और युवती को जानना चाहिए:
- किशोरावस्था: शरीर में बदलाव क्यों और कैसे होते हैं
- मासिक धर्म: विज्ञान, मिथक और प्रबंधन
- गर्भावस्था: तथ्य और सम्मान
- यौन शोषण से बचाव: हर लड़की को यह समझना और सतर्क रहना जरूरी
- डाइट, व्यायाम और किशोरावस्था में जरूरी टीकाकरण
आपके अनुभव: कोई खास पल जो आपके साथ रह गया हो?
हां, एक अनुभव मुझे हमेशा याद रहेगा। अहमदाबाद में एक बार मैंने मूक-बधिर लड़कियों के लिए सहज केयर सत्र लिया। मेरी हर बात उनके शिक्षक ने सांकेतिक भाषा में अनुवाद की। यह बहुत संतोषजनक अनुभव था।
एक और पल – जूनागढ़ में एक सत्र के बाद लगभग 200 हॉस्टल की लड़कियां लाइन में खड़ी थीं, खुली नोटबुक और मुस्कान के साथ – मेरा ऑटोग्राफ लेने। वह दृश्य बहुत भावुक करने वाला था।
इसके अलावा, 50,000 PTC छात्रों के लिए ऑनलाइन सत्र लेना भी बहुत बड़ा और संतोषजनक अनुभव रहा।
सोशल मीडिया पर मौजूदगी क्यों?
लड़कियां, युवतियां और किशोरियों की मांओं के मन में ढेरों सवाल और चिंताएं रहती हैं। पर आजकल सही जानकारी के बजाय गलत या अप्रमाणिक बातें ज्यादा मिलती हैं।
एक प्रशिक्षित और योग्य स्त्री रोग विशेषज्ञ के तौर पर मैं अपना ज्ञान बांटना और उनकी मदद करना अपना कर्तव्य समझती हूं।
लड़कियों के सवाल बहुत सामान्य और स्वाभाविक होते हैं। जैसे:
“मेरी दोस्त को 6 महीने पहले पीरियड्स आ गए। मुझे क्यों नहीं आए?”
वैज्ञानिक उत्तर: मस्तिष्क के हार्मोन ही प्यूबर्टी शुरू करते हैं। सभी में यही बदलाव होते हैं, बस समय अलग-अलग होता है। चिंता न करें। सब अपने समय पर होगा।
युवतियों के सवाल:
“मेरे पीरियड्स हर महीने समय पर आते हैं, पर इस बार एक हफ्ता पहले क्यों आ गए?”
वैज्ञानिक उत्तर: कोई दिक्कत नहीं। 21 से 35 दिन के अंतराल तक आने वाले पीरियड्स सामान्य माने जाते हैं।
मांओं के सवाल:
“मेरी बेटी 7वीं में है। पहली बार पीरियड्स आने के बाद 3 महीने से नहीं आए। क्या यह ठीक है?”
वैज्ञानिक उत्तर: बिल्कुल सामान्य। हार्मोन लेवल स्थिर होने में 1–2 साल लगते हैं। धीरे-धीरे पीरियड्स नियमित हो जाएंगे।
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