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केंद्र के ‘संचार साथी’ आदेश पर सियासी घमासान: विपक्ष ने बताया ‘जासूसी का हथियार’, कंपनियों को 90 दिन का अल्टीमेटम

| Updated: December 2, 2025 14:34

सुरक्षा कवच या जासूसी का हथियार? 90 दिनों में सभी फोन में प्री-इंस्टॉल होगा 'संचार साथी', विपक्ष ने निजता का हवाला देकर बताया 'बिग ब्रदर' की निगरानी

नई दिल्ली: केंद्र सरकार द्वारा मोबाइल निर्माताओं को अपने सभी हैंडसेट में ‘संचार साथी’ (Sanchar Saathi) मोबाइल ऐप इंस्टॉल करने के निर्देश देने के बाद देश में एक बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है। जहां एक तरफ सरकार का कहना है कि यह कदम आम नागरिकों को साइबर धोखाधड़ी से बचाने और खोए हुए फोन को खोजने के लिए उठाया गया है, वहीं कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने इसे ‘स्टेट सर्विलांस’ यानी सरकारी जासूसी की ओर बढ़ाया गया कदम बताया है और इस आदेश को तुरंत वापस लेने की मांग की है।

आखिर क्या है ‘संचार साथी’?

संचार साथी केंद्र सरकार की एक डिजिटल सुरक्षा पहल है, जो मोबाइल ऐप और वेब पोर्टल के माध्यम से नागरिकों को कई तरह की सेवाएं प्रदान करती है। इन सेवाओं में सबसे प्रमुख ‘चक्षु’ (Chakshu) है, जो फोन उपयोगकर्ताओं को संदिग्ध साइबर धोखाधड़ी की रिपोर्ट करने में मदद करता है।

संचार साथी वेबसाइट के अनुसार, “संदिग्ध धोखाधड़ी वाले संचार की ऐसी सक्रिय रिपोर्टिंग दूरसंचार विभाग (DoT) को साइबर अपराध और वित्तीय धोखाधड़ी आदि के लिए दूरसंचार संसाधनों के दुरुपयोग को रोकने में मदद करती है।” चक्षु का उपयोग कमर्शियल स्पैम कॉल की रिपोर्ट करने के लिए भी किया जा सकता है।

इसके अलावा, चक्षु लोगों को उन दुर्भावनापूर्ण वेब लिंक और फर्जी संदेशों की रिपोर्ट करने में सक्षम बनाता है जो एसएमएस, आरसीएस (RCS), आईमैसेज (iMessage) और व्हाट्सएप या टेलीग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए भेजे जाते हैं। इसमें फिशिंग लिंक और डिवाइस क्लोनिंग की कोशिशें भी शामिल हैं।

केंद्र ने फोन कंपनियों को क्या निर्देश दिए हैं?

केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के नेतृत्व वाले संचार मंत्रालय के तहत आने वाले दूरसंचार विभाग (DoT) ने कड़ा रुख अपनाया है। विभाग ने मोबाइल फोन निर्माताओं को निर्देश दिया है कि 28 नवंबर से शुरू होकर 90 दिनों के भीतर भारत में बनने वाले या आयात किए जाने वाले सभी मोबाइल हैंडसेट में ‘संचार साथी’ ऐप पहले से इंस्टॉल (Pre-installed) होना अनिवार्य है।

ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने सोशल मीडिया एक्स पर एक पोस्ट में बताया कि, “देश के हर नागरिक की डिजिटल सुरक्षा हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। ‘संचार साथी’ ऐप का उद्देश्य है कि प्रत्येक व्यक्ति अपनी निजता की रक्षा कर सके और ऑनलाइन ठगी से सुरक्षित रह सके। यह एक पूरी तरह स्वैच्छिक और लोकतांत्रिक व्यवस्था है-यूज़र चाहें तो ऐप को सक्रिय कर इसके लाभ ले सकते हैं, और न चाहें तो, वे किसी भी समय इसे अपने फ़ोन से आसानी से डिलीट कर सकते हैं।”

नोटिफिकेशन में स्पष्ट कहा गया है, “यह सुनिश्चित करें कि प्री-इंस्टॉल किया गया संचार साथी एप्लिकेशन डिवाइस के पहले उपयोग या सेटअप के समय अंतिम उपयोगकर्ताओं को आसानी से दिखाई दे और सुलभ हो। साथ ही, इसकी कार्यक्षमता को डिसेबल (अक्षम) या प्रतिबंधित न किया गया हो।”

जो फोन पहले ही बन चुके हैं, उनके लिए फोन कंपनियों को सॉफ्टवेयर अपडेट के जरिए इस ऐप को उपयोगकर्ताओं तक पहुंचाने के लिए कहा गया है। केंद्र ने चेतावनी दी है कि इन निर्देशों का पालन न करने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

विपक्ष का तीखा हमला: ‘बिग ब्रदर’ रख रहा नजर

सरकार के इस आदेश पर विपक्ष ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता के.सी. वेणुगोपाल ने इस कदम को “असंवैधानिक” करार दिया है।

उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (X) पर लिखा, “बिग ब्रदर हम पर नजर नहीं रख सकता। निजता का अधिकार (Right to Privacy) संविधान के अनुच्छेद 21 में निहित जीवन और स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का एक आंतरिक हिस्सा है।”

उन्होंने आगे कहा, “एक प्री-लोडेड सरकारी ऐप जिसे अनइंस्टॉल नहीं किया जा सकता, वह हर भारतीय की निगरानी करने का एक भयावह औजार है। यह प्रत्येक नागरिक की हर गतिविधि, बातचीत और निर्णय पर नजर रखने का एक जरिया है। हम इस निर्देश को खारिज करते हैं और इसे तत्काल वापस लेने की मांग करते हैं।”

वहीं, शिवसेना (UBT) की राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि यह कदम कुछ और नहीं बल्कि “एक और बिग बॉस सर्विलांस मोमेंट” है। उन्होंने कहा, “व्यक्तिगत फोन में घुसपैठ करने के ऐसे संदिग्ध तरीकों का विरोध किया जाएगा। यदि आईटी मंत्रालय यह सोचता है कि वह मजबूत निवारण प्रणाली बनाने के बजाय निगरानी प्रणाली (Surveillance Systems) बनाएगा, तो उसे विरोध के लिए तैयार रहना चाहिए।”

मोबाइल कंपनियां कैसे कर सकती हैं रिएक्ट?

रिपोर्ट्स के मुताबिक, सरकार के इस आदेश से Apple जैसी दिग्गज कंपनियों के साथ टकराव की स्थिति बन सकती है, जिसने अतीत में गोपनीयता और सुरक्षा जोखिमों का हवाला देते हुए ऐसे निर्देशों का विरोध किया है। फिलहाल Apple, Samsung और Xiaomi की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है और न ही संचार मंत्रालय ने इस पर कोई टिप्पणी की है।

उद्योग से जुड़े दो सूत्रों ने गोपनीयता की शर्त पर बताया कि आदेश जारी करने से पहले सरकार ने फोन निर्माताओं से कोई परामर्श नहीं किया था।

आंकड़े क्या कहते हैं?

सरकार का तर्क है कि यह ऐप सुरक्षा के लिहाज से बेहद कारगर है। संचार साथी वेबसाइट के आंकड़ों के अनुसार:

  • इस ऐप का उपयोग करके अब तक 42 लाख चोरी हुए फोन ब्लॉक किए जा चुके हैं।
  • लगभग 7 लाख फोन बरामद करने में मदद मिली है।
  • एंड्रॉइड फोन पर इसे 1 करोड़ से अधिक बार डाउनलोड किया गया है।
  • iOS पर इसके लगभग 10 लाख डाउनलोड हैं।

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