अहमदाबाद: त्योहारी सीजन की शुरुआत के साथ ही सोने की कीमतों में आग लग गई है। दशहरे के मौके पर अहमदाबाद में सोने की कीमतें एक नए शिखर पर पहुँच गईं, जिससे निवेशकों के चेहरे खिल उठे हैं। वैश्विक अनिश्चितताओं और मजबूत त्योहारी माँग के कारण सोने ने इस साल अब तक 55% का शानदार रिटर्न दिया है।
मंगलवार को स्टैंडर्ड सोने (Standard Gold) का भाव ₹1,21,500 प्रति 10 ग्राम पर पहुँच गया। यह एक नया रिकॉर्ड है, जिसने निवेशकों को बड़ी राहत दी है। साल 2025 की शुरुआत यानी 1 जनवरी को सोने का भाव ₹78,000 प्रति 10 ग्राम था। इस हिसाब से सोने ने निवेशकों को केवल 9 महीनों में 55% का वार्षिक रिटर्न दिया है।
सोने के साथ-साथ चाँदी ने भी इस साल बेहतरीन प्रदर्शन किया है। चाँदी की कीमतें ₹1,48,000 प्रति किलोग्राम के स्तर पर पहुँच गईं, जबकि 1 जनवरी, 2025 को इसका भाव ₹90,000 प्रति किलोग्राम था। इस तरह चाँदी ने 64% का जबरदस्त रिटर्न दिया है। कीमती धातुओं के इस प्रदर्शन ने उन्हें इस साल के सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले असेट्स में से एक बना दिया है।
क्यों बढ़ रही हैं कीमतें?
विशेषज्ञों का मानना है कि कीमतों में इस उछाल के पीछे कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कारण हैं। ऑल इंडिया बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन (IBJA) के निदेशक हरीश आचार्य ने बताया, “कीमतों में इस उछाल का मुख्य कारण अमेरिकी सरकार के शटडाउन जैसी वैश्विक अनिश्चितताएँ और दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों द्वारा की जा रही सोने की बड़ी खरीद है।”
इन कारणों से निवेशक इक्विटी और बॉन्ड जैसे अस्थिर बाजारों से पैसा निकालकर सोने जैसी सुरक्षित संपत्ति में निवेश कर रहे हैं।
इसके अलावा, डॉलर के मुकाबले रुपये की मजबूती के बावजूद सोने की कीमतों में यह वृद्धि निवेशकों के भरोसे को दर्शाती है।
खरीदारी का बदला तरीका, गहनों की जगह सिक्कों की माँग बढ़ी
कीमतों में भारी उछाल का असर ग्राहकों की खरीदारी की आदतों पर भी पड़ा है। अहमदाबाद के ज्वैलर्स एसोसिएशन (JAA) के अध्यक्ष अजगर सोनी के अनुसार, “कीमतें बहुत तेजी से बढ़ी हैं। ऐसे में लोग बहुत सावधानी से खर्च कर रहे हैं और केवल जरूरी खरीदारी ही कर रहे हैं।”
उन्होंने आगे कहा कि लोग शादी या अन्य बड़े कार्यक्रमों के लिए पहले से तय खरीदारी को टाल रहे हैं। दशहरे के शुभ मुहूर्त पर भी लोग भारी-भरकम गहनों की जगह शगुन के तौर पर सिक्के या बार खरीदना पसंद कर रहे हैं। हालांकि, 16 कैरेट और 18 कैरेट के हल्के गहनों की माँग बनी हुई है।
एक अन्य व्यापारी ने बताया कि कई ग्राहक अब पारंपरिक सोने की बजाय गोल्ड ईटीएफ (Gold ETFs) या सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (Sovereign Gold Bonds) में निवेश करने के बारे में पूछताछ कर रहे हैं, क्योंकि वे भौतिक सोने को खरीदने और सहेजने के झंझट से बचना चाहते हैं।
कुल मिलाकर, दशहरा, धनतेरस और पुष्य नक्षत्र जैसे आगामी त्योहारों में शगुन की खरीदारी जारी रहने की उम्मीद है, लेकिन लोग बड़े निवेश से बच रहे हैं।
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