सूरत नगर निगम द्वारा संचालित स्कूलों में छात्रों को वितरित की गई नोटबुक्स के कवर पेज पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, गुजरात बीजेपी अध्यक्ष सीआर पाटिल और मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल की तस्वीरें छापे जाने को लेकर आम आदमी पार्टी (AAP) ने कड़ा ऐतराज जताया है।
विपक्ष ने यह भी सवाल उठाया कि इन नोटबुक्स पर गुजरात के शिक्षा मंत्री प्रफुल्ल पंसेरिया की तस्वीर क्यों नहीं है, जबकि वे खुद सूरत से ही हैं, जहां ये नोटबुक्स वितरित की गईं।
हाल ही में सूरत नगर शिक्षा समिति (MEBS) द्वारा कक्षा 2 से 8 तक के लगभग 1.80 लाख छात्रों को मुफ्त शैक्षणिक किट वितरित की गई थी। प्रत्येक छात्र को पांच-पांच नोटबुक्स दी गईं, जिनकी कुल संख्या 9 लाख थी। किट में एक कंपास बॉक्स, पानी की बोतल और लंच बॉक्स भी शामिल था।
MEBS समिति में कुल 15 सदस्य हैं, जिनमें 14 सदस्य बीजेपी से और एक सदस्य आम आदमी पार्टी से हैं — राकेश हिरपारा। सोमवार शाम को आयोजित सामान्य बोर्ड बैठक में हिरपारा ने इस मुद्दे को उठाया।
शैक्षणिक किट के वितरण की सराहना करते हुए हिरपारा ने समिति अध्यक्ष राजेंद्र कपाड़िया से पूछा, “नोटबुक्स के कवर पर प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, बीजेपी के राष्ट्रीय और राज्य अध्यक्ष तथा मुख्यमंत्री की तस्वीरें क्यों लगाई गई हैं? इन नेताओं की शिक्षा क्षेत्र में क्या भूमिका रही है?”
हिरपारा ने कहा, “नोटबुक्स पर महात्मा गांधी, सरदार पटेल, डॉ. भीमराव अंबेडकर और भगत सिंह जैसे राष्ट्रीय नायकों की तस्वीरें होनी चाहिए थीं। ऐसे महान व्यक्तित्वों को देखकर छात्र प्रेरित होंगे और उनके जीवन से कुछ सीखेंगे।”
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए बीजेपी के एक अन्य सदस्य और MEBS समिति के सदस्य विनोद गजेरा ने कहा, “ये हमारे पार्टी के शीर्ष नेता हैं। शायद आपको इसलिए आपत्ति है क्योंकि हमने अरविंद केजरीवाल (आप के राष्ट्रीय संयोजक) की फोटो नहीं लगाई।”
जवाब में हिरपारा ने कहा, “गुजरात के शिक्षा मंत्री प्रफुल्ल पंसेरिया खुद सूरत से हैं और उनकी तस्वीर तो मीटिंग रूम की दीवार पर लगी हुई है, फिर उन्हें नोटबुक के कवर पर क्यों नहीं जगह दी गई?”
‘राष्ट्रीय नायकों की तस्वीरें होतीं तो बच्चों को प्रेरणा मिलती’
मीडिया से बातचीत में राकेश हिरपारा ने कहा, “मैंने नोटबुक्स के कवर पेज पर बीजेपी नेताओं की तस्वीरों का विरोध इसलिए किया क्योंकि इनकी जगह अगर देश के महान नेताओं की तस्वीरें होतीं, तो बच्चे उनके जीवन से प्रेरणा ले सकते थे। जब मैंने यह भी सवाल किया कि शिक्षा मंत्री की भी तस्वीर नहीं है, तो बोर्ड के सदस्यों के पास कोई जवाब नहीं था।”
इस मामले पर सफाई देते हुए MEBS अध्यक्ष राजेंद्र कपाड़िया ने कहा, “हर साल हम छात्रों को शैक्षणिक किट वितरित करते हैं। इस बार हमने 9 लाख से अधिक नोटबुक्स बांटी हैं, जिस पर ₹7.43 करोड़ खर्च हुए हैं। पिछले साल हमने नोटबुक्स के कवर पर शिक्षा मंत्री की तस्वीर लगाई थी। इस बार कुछ नया करने का फैसला लिया गया था।”
यह पूरा मामला अब राजनीतिक बहस का विषय बन गया है। एक ओर विपक्ष इसे करदाताओं के पैसे से बीजेपी का प्रचार बता रहा है, तो वहीं सत्तारूढ़ पक्ष इसे अपने नेताओं के योगदान को मान्यता देने की बात कह रहा है।
यह भी पढ़ें- भारत में ट्रंप का बढ़ता बिजनेस: चीन की कंपनियों की तरह बैन क्यों नहीं हो सकता ‘ब्रांड ट्रंप’?










