वड़ोदरा: जीवन कई बार ऐसी परीक्षा लेता है जहां इंसान पूरी तरह टूट सकता है, लेकिन कुछ लोग ऐसे होते हैं जो टूटने के बजाय और मजबूती से निखरते हैं। वड़ोदरा की रहने वाली गरिमा व्यास ऐसी ही एक जिंदादिल मिसाल हैं। ठीक नौ साल पहले, पावागढ़ पहाड़ पर हुई एक ट्रैकिंग दुर्घटना ने उनकी दुनिया बदल दी थी। इस हादसे ने उन्हें पैराप्लेजिक (कमर से नीचे का हिस्सा सुन्न) बना दिया और उन्हें बिस्तर पर सीमित कर दिया।
ऐसी परिस्थिति किसी को भी गहरे अवसाद में धकेल सकती थी, लेकिन गरिमा ने हार मानने से इनकार कर दिया। एक समय बिस्तर तक सीमित रहने वाली गरिमा आज एक नेशनल तैराक (National Swimmer) के रूप में खेल जगत में अपनी कामयाबी का परचम लहरा रही हैं।
हैदराबाद में तोड़ा अपना ही रिकॉर्ड
25 वर्षीय गरिमा ने हाल ही में हैदराबाद में आयोजित ‘नेशनल पैरा स्विमिंग चैंपियनशिप’ में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है। उन्होंने 50 मीटर ब्रेस्टस्ट्रोक (Breaststroke) कैटेगरी में न केवल जीत हासिल की, बल्कि एक नया राष्ट्रीय रिकॉर्ड भी कायम किया।
गरिमा ने यह रेस महज 1.18.59 मिनट में पूरी की। उन्होंने 1.25.32 मिनट के अपने ही पुराने समय में सुधार करते हुए यह नया कीर्तिमान स्थापित किया है। गौरतलब है कि 100 मीटर ब्रेस्टस्ट्रोक में भी नेशनल रिकॉर्ड उन्हीं के नाम है।
4 साल, 45 मेडल और एक अटूट जज्बा
पिछले चार वर्षों में गरिमा ने राष्ट्रीय, राज्य और जिला स्तर के तैराकी टूर्नामेंटों में कुल 45 मेडल और ट्राफियां अपने नाम की हैं। एमएस यूनिवर्सिटी से क्लिनिकल साइकोलॉजी में मास्टर्स की डिग्री हासिल करने वाली गरिमा अपनी सफलता से अभिभूत हैं।
वे कहती हैं, “जब मैं पहली बार पूल में उतरी थी, तो मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि एक दिन मैं नेशनल रिकॉर्ड तोड़ूंगी और इतने मेडल जीतूंगी। यह सब किसी सपने के सच होने जैसा लगता है। मैंने तैराकी की शुरुआत सिर्फ अपनी फिटनेस वापस पाने के लिए की थी, लेकिन अब यह मेरा सबसे प्रिय जुनून बन गया है।”
अगला लक्ष्य: वर्ल्ड चैंपियनशिप
गरिमा की नजरें अब और ऊंची उड़ान पर हैं। वे बताती हैं, “मेरे घर की अलमारियां भले ही मेडल और ट्राफियों से चमक रही हों, लेकिन मेरा लक्ष्य अब बहुत बड़ा है—वर्ल्ड पैरा स्विमिंग चैंपियनशिप। मैं देश के लिए एक अंतरराष्ट्रीय पदक लाने के लिए जी-तोड़ मेहनत कर रही हूं।”
कोच ने कहा- ऐसी इच्छाशक्ति नहीं देखी
स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ गुजरात (SAG) के जिला कोच विवेक सिंह बोरलिया, जो पिछले चार साल से गरिमा को प्रशिक्षण दे रहे हैं, उनकी प्रगति से हैरान हैं। उनका कहना है कि उन्होंने किसी पैराप्लेजिक खिलाड़ी को इतनी तेजी से आगे बढ़ते नहीं देखा।
बोरलिया ने कहा, “वह बेहद समर्पित हैं और हर दिन घंटों अभ्यास करने से कभी पीछे नहीं हटतीं। जब भी वह पूल में उतरती हैं, उनकी टाइमिंग बेहतर होती जाती है। फिलहाल, हम उन्हें अगले साल होने वाली एशियन पैरा स्विमिंग चैंपियनशिप (Asian Para Swimming Championship) के लिए तैयार कर रहे हैं।”
पानी में मिलती है आजादी
हादसे के बाद के शुरुआती साल गरिमा के लिए काफी कठिन थे, जो मुख्य रूप से चिकित्सा उपचार में बीते। लेकिन 2021 में उन्होंने अपनी फिटनेस सुधारने के लिए तैराकी शुरू करने का फैसला किया। उनकी मेहनत रंग लाई और अगले ही साल, 2022 में उन्होंने नेशनल पैरा स्विमिंग चैंपियनशिप में अपना पहला स्वर्ण पदक जीता। तब से उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
गरिमा भावुक होकर कहती हैं, “तैराकी मुझे खुद से चलने की आजादी देती है। पानी के अंदर मुझे ऐसा नहीं लगता कि मैं अपनी व्हीलचेयर तक सीमित हूं।”
परिवार के लिए प्रेरणा
गरिमा की मां केजल, जो पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट हैं, अपनी बेटी के साहस पर गर्व करती हैं। उन्होंने बताया, “शुरुआत में हम थोड़े चिंतित थे, लेकिन मेरी बेटी कभी पूल में जाने से नहीं डरी। आज वह न केवल दुनिया के लिए, बल्कि हमारे पूरे परिवार के लिए भी एक प्रेरणा है।”
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