गांधीनगर/दाहोद: गुजरात के वन्यजीव इतिहास में एक नया और रोमांचक अध्याय जुड़ गया है। राज्य में दशकों पहले विलुप्त घोषित किए जा चुके बाघ (Tiger) ने एक बार फिर यहाँ दस्तक दी है। वन अधिकारियों ने पुष्टि की है कि एक बाघ ने दाहोद जिले के ‘रतनमहल वन्यजीव अभयारण्य’ को अपना नया ठिकाना बना लिया है। करीब नौ महीने पहले इसे पहली बार देखा गया था।
यह अभयारण्य मध्य प्रदेश के झाबुआ और काठीवाड़ा क्षेत्रों की सीमा से सटा हुआ है, जो पहले से ही बाघों की आबादी के लिए जाने जाते हैं।
गुजरात में अब तीन ‘बिग कैट्स’ का बसेरा
इस नई आमद के साथ, गुजरात अब चार में से तीन प्रमुख बिग कैट्स (बड़ी बिल्लियों) – शेर, बाघ और तेंदुए – की मौजूदगी वाला राज्य बन गया है। अधिकारी यहीं नहीं रुक रहे हैं; राज्य जल्द ही चौथे सदस्य, यानी चीते के स्वागत की भी तैयारी कर रहा है। अधिकारियों ने बुधवार को बताया कि ‘प्रोजेक्ट चीता’ के तहत कच्छ के बन्नी ग्रासलैंड्स (एशिया के सबसे बड़े घास के मैदान) में चीता प्रजनन और संरक्षण केंद्र तैयार किया जा रहा है। इसके लिए केंद्र और गुजरात सरकार संयुक्त रूप से 600 हेक्टेयर का एक विशेष एनक्लोजर (बाड़ा) विकसित कर रहे हैं।
1980 के दशक के बाद पहली बार बनाई टेरिटरी
सरकारी अधिकारियों के मुताबिक, 1980 के दशक के बाद यह पहला मौका है जब किसी बाघ ने गुजरात में अपना क्षेत्र (Territory) चिह्नित किया है। राज्य के वन और पर्यावरण मंत्री अर्जुन मोढवाडिया ने कहा, “एक समय था जब गुजरात में बाघों की अच्छी खासी तादाद थी, लेकिन समय के साथ वे यहाँ से विलुप्त हो गए। अब बाघ ने गुजरात को अपना नया घर बनाया है, जो हमारे लिए बेहद खुशी का विषय है। हमने इस संबंध में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) को सूचित कर दिया है।”
ट्रैप कैमरों ने खोला राज: 22 फरवरी की रात हुई थी पुष्टि
बाघ की मौजूदगी के सबूत इसी साल फरवरी में मिलने शुरू हो गए थे। मंत्री अर्जुन मोढवाडिया ने घटनाक्रम का ब्यौरा देते हुए बताया, “23 फरवरी, 2025 की सुबह कांगेता रेंज के पिपलगोटा राउंड के वन कर्मचारियों ने गश्त के दौरान जंगली जानवरों की हलचल महसूस की। उन्हें कुछ बड़े पगमार्क (पैरों के निशान) दिखाई दिए। चूंकि ये निशान तेंदुए के पैरों से काफी बड़े थे, इसलिए क्षेत्र में लगे ट्रैप कैमरों की जांच की गई।”
विश्लेषण में सामने आया कि 22 फरवरी को तड़के करीब 2:40 बजे एक बाघ की तस्वीर कैमरे में कैद हुई थी। इससे यह पुष्टि हो गई कि सुबह देखे गए पगमार्क उसी बाघ के थे।
बाघ की सुरक्षा और भोजन के पुख्ता इंतजाम
बाघ की आमद के बाद से ही वन विभाग पूरी तरह अलर्ट मोड पर है। मंत्री ने बताया कि क्षेत्र में पानी की उपलब्धता, सुरक्षा और जंगल की आग से बचाव के लिए निरंतर निगरानी की जा रही है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि बाघ के लिए शिकार (Prey) की भी कमी नहीं है।
इलाके में जंगली सूअर, नीलगाय और बंदरों की संख्या में वृद्धि हुई है। जरूरत पड़ने पर बाघ के लिए पर्याप्त शिकार उपलब्ध है। इसके अलावा, मॉनसून के दौरान यहाँ सांभर और चीतल भी छोड़े जाते हैं। ट्रैप कैमरों की संख्या बढ़ा दी गई है और मिल रही तस्वीरों से पुष्टि होती है कि बाघ पूरी तरह स्वस्थ है और उसकी गतिविधियों पर विभाग की पैनी नजर है।
पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व और सीएम भूपेंद्र पटेल के मार्गदर्शन में गुजरात ने वन संरक्षण के क्षेत्र में प्रभावी कदम उठाए हैं। शेरों की बढ़ती आबादी और अब बाघ की वापसी इसी सफलता का प्रमाण है।
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