अहमदाबाद: गुजरात के छोटा उदेपुर में एक बाघ देखे जाने की घटना ने वन विभाग में हलचल बढ़ा दी है। विभाग अब युद्धस्तर पर यह पता लगाने की कोशिश कर रहा है कि यह वही बाघ है जो पिछले 10 महीनों से रतनमहल अभयारण्य में डेरा जमाए हुए है, या फिर यह कोई नया मेहमान है जिसने राज्य की सीमा में प्रवेश किया है।
इस बाघ को एक स्थानीय वॉचमैन ने देखा, जिसके बाद वन अधिकारियों ने निगरानी बढ़ा दी है। बाघ की गतिविधियों को ट्रैक करने के लिए मध्य प्रदेश सीमा पर और अधिक सीसीटीवी कैमरे लगाए जा रहे हैं। घटना की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि बाघ को अपने सामने देखकर वॉचमैन इतना घबरा गया कि उसे तेज बुखार चढ़ गया।
एक अधिकारी ने बताया, “वह बाघ के बिल्कुल करीब आ गया था, और इस आमने-सामने की मुलाकात के सदमे ने उसे बिस्तर पकड़ने पर मजबूर कर दिया।”
प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव), जयपाल सिंह ने स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा, “हम फिलहाल पगमार्क (पंजों के निशान) की जांच कर रहे हैं। हमारा उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि यह वही बाघ है जो पिछले 10 महीनों से रतनमहल में रह रहा है, या कोई नया बाघ राज्य में दाखिल हुआ है।”
रिपोर्ट्स के मुताबिक, बाघ को रतनमहल अभयारण्य से लगभग 15 किलोमीटर दूर देखा गया था, जो कि 80 से 100 वर्ग किलोमीटर के उसके सामान्य क्षेत्रीय दायरे (Territorial Range) के भीतर ही आता है।
गुजरात के लिए बाघ की यह मौजूदगी एक ऐतिहासिक घटना है, क्योंकि दो दशक से भी पहले राज्य में इस प्रजाति को विलुप्त घोषित कर दिया गया था। वन विभाग ने आधिकारिक तौर पर राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) को इसकी सूचना दे दी है। यह गुजरात के लिए गर्व का क्षण है, क्योंकि अब यह राज्य तीन प्रमुख ‘बिग कैट’ प्रजातियों—शेर, तेंदुआ और बाघ—का घर बन गया है।
वन विभाग के सूत्रों के अनुसार, छोटा उदेपुर में दिखे इस बाघ को सगटाका बारिया (Sagtaka Baria) गांव की ओर करीब 2 किलोमीटर आगे भी देखा गया था। यह गांव अभयारण्य से महज 2 किलोमीटर की दूरी पर है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने संभावना जताते हुए कहा, “दो बातें हो सकती हैं: या तो बाघ राज्य में अपना इलाका बढ़ा रहा है, या फिर वह अपने मूल स्थान मध्य प्रदेश वापस जाकर लौट रहा है। हालांकि, रतनमहल में उसकी उपस्थिति पर लगातार नजर रखी जा रही है। कुछ मौकों पर बाघ चार से पांच दिनों के लिए गायब भी रहा है, इसलिए उसके मध्य प्रदेश जाने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।”
विभाग ने यह सुनिश्चित करने के लिए कि रतनमहल वाला बाघ बाहर निकलकर वापस आ रहा है या नहीं, पूरी मध्य प्रदेश सीमा पर सीसीटीवी का जाल बिछाने का फैसला किया है। चूंकि यह जानवर करीब 10 महीनों से गुजरात में रह रहा है, इसलिए यह माना जा रहा है कि यहां का क्षेत्र और आवास उसके अनुकूल है।
घटनाक्रम से जुड़े एक अन्य अधिकारी ने कहा, “पंजों के निशान संभवतः उसी बाघ के लग रहे हैं। फिर भी, पूरी तरह आश्वस्त होने के लिए हम निशानों के प्लास्टर कास्ट ले रहे हैं।”
वन विभाग द्वारा NTCA को भेजे गए संचार में यह बताया गया है कि बाघ ने नए वातावरण में खुद को बखूबी ढाल लिया है। अधिकारियों ने बाघ के लिए शिकार (prey base) बढ़ाने के उद्देश्य से चीतल और सांभर हिरणों को यहां स्थानांतरित करने की योजना बनाई है। इसके अलावा, राज्य सरकार रतनमहल को ‘टाइगर रिजर्व’ का दर्जा दिलाने के लिए NTCA से हस्तक्षेप की मांग कर रही है, जिससे बाघों और उनके आवासों की सुरक्षा के लिए एक व्यापक ढांचा तैयार हो सके।
एक अधिकारी ने समझाया, “यह अनुरोध क्षेत्र में बाघों की लंबी अवधि तक मौजूदगी सुनिश्चित करने की व्यापक रणनीति का हिस्सा है।” साथ ही, राज्य सरकार ने रतनमहल को ‘टाइगर्स आउटसाइड टाइगर रिजर्व्स’ (TOTR) प्रोजेक्ट में शामिल करने का भी अनुरोध किया है, जो गैर-रिजर्व क्षेत्रों में मानव-वन्यजीव संघर्ष को प्रबंधित करने और शिकार के आधार को बढ़ाने पर केंद्रित है।
यह भी पढ़ें-
उत्तर भारत में गुजरात के नारियल का दबदबा: मूंगफली और गेहूं छोड़कर किसान अपना रहे हैं ‘कल्पवृक्ष’









