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भारत में ट्रंप का बढ़ता बिजनेस: चीन की कंपनियों की तरह बैन क्यों नहीं हो सकता ‘ब्रांड ट्रंप’?

| Updated: August 6, 2025 12:38

भारत में ट्रंप ब्रांड का रियल एस्टेट बिजनेस तेजी से फैल रहा है, लेकिन क्या इसे भी चीनी कंपनियों की तरह बैन किया जा सकता है? जानिए इसकी कानूनी और रणनीतिक हकीकत।

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भले ही वैश्विक राजनीति में विवादों का चेहरा बने रहते हों, लेकिन उनका रियल एस्टेट साम्राज्य भारत में लगातार विस्तार कर रहा है। पिछले एक दशक में, भारत ट्रंप ऑर्गनाइजेशन का अमेरिका के बाहर सबसे बड़ा बाजार बन चुका है। ऐसे समय में जब भारत ने राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर कई चीनी कंपनियों पर बैन लगाया है, सवाल उठता है – क्या ट्रंप ब्रांड को भी उन्हीं मानकों पर परखा जाना चाहिए?

जिस भारत को ट्रंप ने ‘डेड’ इकोनॉमी कहा, वहीं से हो रही करोड़ों की कमाई

2024 के अमेरिकी चुनाव प्रचार के दौरान डोनाल्ड ट्रंप ने भारत को “डेड इकॉनमी” कहकर खारिज किया था। लेकिन विडंबना देखिए कि उनका रियल एस्टेट ब्रांड भारत में ही सबसे अधिक मुनाफा कमा रहा है।

2012 में पुणे में पहला प्रोजेक्ट लॉन्च करने के बाद से लेकर अब तक ट्रंप ऑर्गनाइजेशन ने मुंबई, गुरुग्राम, कोलकाता और अन्य शहरों में कई प्रीमियम प्रोजेक्ट्स में साझेदारी की है। पिछले एक साल में ही कंपनी ने गुरुग्राम, पुणे, हैदराबाद, मुंबई, नोएडा और बेंगलुरु में 8 मिलियन स्क्वायर फीट की परियोजनाओं की घोषणा की है। इनका अनुमानित बाजार मूल्य ₹15,000 करोड़ बताया गया है।

बिना निवेश के मुनाफा, सिर्फ ब्रांड का इस्तेमाल

ट्रंप ऑर्गनाइजेशन खुद निर्माण में कोई निवेश नहीं करता। यह सिर्फ अपने नाम का लाइसेंस देकर 3–5% की बिक्री हिस्सेदारी या फिक्स फीस लेता है। यानी कंपनी को बिना किसी वित्तीय जोखिम के लगातार राजस्व मिलता है।

2024 में ही ट्रंप ऑर्गनाइजेशन को भारत से करीब $12 मिलियन (लगभग ₹100 करोड़) की कमाई हुई, जिसमें से $10 मिलियन रिलायंस 4IR रियल्टी से ‘डेवलपमेंट फीस’ के तौर पर मिला, और बाकी राशि M3M, लोढ़ा, यूनिमार्क जैसी कंपनियों से रॉयल्टी और लाइसेंस फीस के रूप में।

तो फिर ट्रंप ब्रांड को चीन की कंपनियों जैसा क्यों नहीं बैन किया जा सकता?

भारत ने पिछले कुछ वर्षों में कई चीनी ऐप्स और कंपनियों को राष्ट्रीय सुरक्षा के आधार पर बैन किया है, जिनमें TikTok, PUBG Mobile, Huawei जैसी नामी कंपनियां शामिल हैं। लेकिन ट्रंप ब्रांड को उन्हीं कसौटियों पर कसना संभव नहीं है, क्योंकि:

  • ट्रंप ऑर्गनाइजेशन कोई विदेशी सरकारी कंपनी नहीं है। यह एक निजी अमेरिकी परिवार द्वारा संचालित कंपनी है, जिसकी कोई सरकारी अथवा सैन्य संबंध नहीं है।
  • ट्रंप ब्रांड टेक या डेटा जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में काम नहीं करता, बल्कि सिर्फ लक्ज़री रियल एस्टेट में है, जिसका भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा से कोई प्रत्यक्ष संबंध नहीं है।
  • भारत और अमेरिका के संबंध चीन से अलग हैं। डोनाल्ड ट्रंप भले ही विवादास्पद नेता हों, लेकिन उनकी कंपनी को अमेरिकी निजी क्षेत्र का हिस्सा माना जाता है, किसी दुश्मन देश का नहीं।

इसलिए, भारतीय कानूनों के तहत ट्रंप ब्रांड को बैन करने का कोई सीधा या वैध आधार मौजूद नहीं है।

भारत में ट्रंप ब्रांड का नेटवर्क

ट्रंप के प्रोजेक्ट्स भारत में स्थानीय कंपनियों के सहयोग से चलते हैं – जिनमें शामिल हैं: रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड, लोढ़ा ग्रुप, M3M, पंचशील रियल्टी, यूनिमार्क, और प्रमुख साझेदार ट्रिबेका डेवलपर्स। ट्रिबेका के संस्थापक कल्पेश मेहता (Wharton स्कूल के पूर्व छात्र) ने ट्रंप के बेटे डोनाल्ड जूनियर के साथ मिलकर भारत में ब्रांड विस्तार की नींव रखी थी।

ट्रंप के दोबारा राष्ट्रपति चुने जाने के कुछ ही दिनों बाद, कंपनी ने भारत में पांच नई फर्म्स रजिस्टर करवाईं – नोएडा, गुरुग्राम, हैदराबाद और पुणे में। इनका उद्देश्य भारतीय प्रोजेक्ट्स में ब्रांड का लाइसेंस देना है।

अब तक भारत में ट्रंप ब्रांड के कुल 13 प्रोजेक्ट्स घोषित हो चुके हैं:

  • 2 पूरे हो चुके हैं
  • 2 अंतिम चरण में हैं
  • 3 निर्माणाधीन हैं
  • 3 लॉन्च के लिए तैयार हैं
  • 2 रुके हुए हैं
  • 1 प्रोजेक्ट (रिलायंस 4IR) की घोषणा बाकी है

नैतिक सवाल, लेकिन कानूनी बंधन नहीं

यह जरूर कहा जा सकता है कि किसी वर्तमान या पूर्व राष्ट्रपति का किसी देश में निजी व्यावसायिक हित होना संभावित हितों के टकराव (conflict of interest) का मामला हो सकता है। लेकिन जब तक ट्रंप ब्रांड भारत में कानूनों के दायरे में काम कर रहा है, और संवेदनशील क्षेत्रों से दूर है, तब तक उसे बैन करने की कोई कानूनी या नीति-आधारित वजह नहीं है।

डोनाल्ड ट्रंप ने 2017 में राष्ट्रपति बनने के बाद कंपनी के संचालन से खुद को अलग किया था, लेकिन मालिकाना हक उन्होंने बरकरार रखा, जिससे वे अब भी इन सौदों से मुनाफा कमा रहे हैं।

ट्रंप राष्ट्रपति हैं, लेकिन भारत में सिर्फ एक निजी उद्यमी भी

भारत में ट्रंप की कारोबारी मौजूदगी राजनीति से इतर है और वह कानूनी रूप से पूरी तरह वैध है। जब तक उनके प्रोजेक्ट्स भारतीय सुरक्षा या नीतिगत चिंताओं को नहीं छूते, उन्हें चीनी कंपनियों की तरह बैन नहीं किया जा सकता।

भले ही ट्रंप भारत को ‘डेड इकॉनमी’ कहें, लेकिन भारत उनके बिजनेस के लिए जिंदा और मुनाफे वाला बाजार बना हुआ है।

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