भारत के लिए राहत की खबर यह है कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने फिलहाल रूस और उसके व्यापारिक साझेदारों पर सेकेंडरी प्रतिबंध लगाने से इंकार किया है। हालांकि, उन्होंने संकेत दिया कि आने वाले “दो से तीन हफ्तों” में इस पर विचार किया जा सकता है।
फॉक्स न्यूज़ को दिए इंटरव्यू में ट्रंप ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से अलास्का में हुई बैठक को “बहुत सफल” बताया और इसे “10/10” अंक दिए।
ट्रंप ने कहा, “मुझे हो सकता है इस (प्रतिबंध) पर दो-तीन हफ्तों में विचार करना पड़े, लेकिन फिलहाल हमें इस पर सोचना नहीं है।” उन्होंने आगे कहा कि अगर अभी सेकेंडरी प्रतिबंध लगाए जाते हैं, तो यह रूस के लिए “विनाशकारी” साबित होंगे।
भारत पर बढ़ा टैरिफ दबाव
भारत और अमेरिका के बीच तनाव उस समय बढ़ गया जब ट्रंप ने भारतीय सामानों पर 25% अतिरिक्त टैरिफ लगा दिया। यह कदम भारत के रूस से कच्चे तेल के आयात जारी रखने को लेकर उठाया गया। इससे भारतीय आयात पर कुल शुल्क दर बढ़कर 50% हो गई।
ट्रंप पहले भी चेतावनी दे चुके हैं कि रूस से तेल खरीदने वाले देशों पर सेकेंडरी प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं। वर्तमान में चीन और भारत रूस से तेल खरीदने वाले सबसे बड़े दो देश हैं।
अलास्का शिखर वार्ता से पहले ट्रंप ने दावा किया था कि भारत पर लगाए गए दंडात्मक टैरिफ के चलते रूस को उनसे बातचीत करने पर मजबूर होना पड़ा, क्योंकि रूस अपना “दूसरा सबसे बड़ा ग्राहक” खो रहा था।
हालांकि, भारत ने साफ कर दिया है कि अमेरिकी धमकियों के बावजूद उसने रूस से तेल आयात बंद नहीं किया है।
“समझौता करो,” ट्रंप ने ज़ेलेंस्की से कहा
लगभग तीन घंटे तक चली अलास्का वार्ता के बावजूद ट्रंप और पुतिन किसी युद्धविराम समझौते तक नहीं पहुंच सके। इससे पहले ट्रंप ने चेतावनी दी थी कि अगर पुतिन ने शांति समझौते पर सहमति नहीं दी, तो रूस को “कड़े नतीजे” भुगतने होंगे।
फॉक्स न्यूज़ से बातचीत में ट्रंप ने अब जिम्मेदारी यूक्रेन पर डालते हुए राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की से समझौता करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, “समझौता करो,” और यूरोप को भी इसमें शामिल होने की जरूरत बताई।
ट्रंप ने संभावित युद्धबंदी विनिमय का भी संकेत दिया। उन्होंने कहा, “आज उन्होंने मुझे हजारों लोगों की एक सूची दी है, हजारों युद्धबंदी, जिन्हें रिहा किया जाएगा।”
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