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भारत पर ट्रम्प के टैरिफ वास्तव में अमेरिकियों पर ही टैक्स हैं: खुदरा कीमतों में उछाल पर अमेरिकी सांसदों की चेतावनी

| Updated: December 13, 2025 13:58

महंगाई की मार: अमेरिकी सांसदों ने ट्रम्प के 'इंडिया टैरिफ' को बताया अवैध, कहा- यह भारत पर नहीं, बल्कि अमेरिकी जनता पर लगा टैक्स है

वॉशिंगटन — अमेरिकी प्रतिनिधि सभा (House of Representatives) के तीन सदस्यों ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा भारत पर लगाए गए टैरिफ (आयात शुल्क) के खिलाफ एक नई चुनौती पेश की है। इन सांसदों ने उस ‘राष्ट्रीय आपातकाल’ (National Emergency) की घोषणा को रद्द करने के लिए एक प्रस्ताव पेश किया है, जिसके तहत आयात शुल्क को बढ़ाकर 50 प्रतिशत तक कर दिया गया था।

सांसदों ने तर्क दिया है कि ये टैरिफ अवैध और प्रतिकूल हैं, और इनका सीधा असर अमेरिकी उपभोक्ताओं और व्यवसायों पर पड़ रहा है।

शुक्रवार को प्रतिनिधि डेबरा रॉस, मार्क वीसी और राजा कृष्णमूर्ति द्वारा यह प्रस्ताव पेश किया गया। इसमें विशेष रूप से 27 अगस्त, 2025 को लगाए गए अतिरिक्त 25 प्रतिशत के ‘सेकेंडरी टैरिफ’ को निशाना बनाया गया है, जिसे पहले से लागू पारस्परिक शुल्कों के ऊपर जोड़ा गया था।

इन उपायों ने कुल मिलाकर ‘इंटरनेशनल इमरजेंसी इकोनॉमिक पावर्स एक्ट’ (International Emergency Economic Powers Act) के तहत मिली शक्तियों का उपयोग करते हुए कई भारतीय मूल की वस्तुओं की आयात लागत में भारी वृद्धि कर दी है।

आम अमेरिकियों पर टैक्स का बोझ

सांसद डेबरा रॉस ने कहा कि ये टैरिफ उनके गृह राज्य में समुदायों को पहले ही नुकसान पहुँचा रहे हैं। उन्होंने कहा, “नॉर्थ कैरोलिना की अर्थव्यवस्था व्यापार, निवेश और एक जीवंत भारतीय-अमेरिकी समुदाय के माध्यम से भारत के साथ गहराई से जुड़ी हुई है।”

उन्होंने भारतीय कंपनियों से जुड़े अरबों डॉलर के निवेश और हजारों नौकरियों का हवाला दिया। रॉस ने चेतावनी दी कि ये शुल्क एक महत्वपूर्ण आर्थिक साझेदारी को कमजोर करने का जोखिम पैदा करते हैं।

इसके अलावा, मार्क वीसी ने इन टैरिफ को परिवारों पर सीधा बोझ बताया। उन्होंने कहा, “भारत एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक, आर्थिक और रणनीतिक साझेदार है। ये अवैध टैरिफ उन आम नॉर्थ टेक्सन (North Texans) निवासियों पर एक टैक्स की तरह हैं जो पहले से ही बढ़ती लागतों से जूझ रहे हैं।”

राजा कृष्णमूर्ति ने भी इस आलोचना को दोहराते हुए कहा कि ये उपाय सप्लाई चेन और अमेरिकी श्रमिकों के लिए हानिकारक हैं। उन्होंने कहा, “अमेरिकी हितों या सुरक्षा को आगे बढ़ाने के बजाय, ये शुल्क सप्लाई चेन को बाधित करते हैं, अमेरिकी श्रमिकों को नुकसान पहुँचाते हैं और उपभोक्ताओं के लिए लागत बढ़ाते हैं।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि इन शुल्कों को समाप्त करने से अमेरिका-भारत आर्थिक और सुरक्षा संबंधों को मजबूत करने में मदद मिलेगी।

आपातकालीन शक्तियों के खिलाफ कदम

सदन में यह कदम सीनेट (Senate) में द्विदलीय (bipartisan) प्रयास के बाद आया है, जिसका उद्देश्य व्यापार बाधाओं को लागू करने के लिए राष्ट्रपति द्वारा आपातकालीन शक्तियों के उपयोग पर अंकुश लगाना है। राष्ट्रपति ट्रम्प ने कई देशों के साथ विवादों में इस उपकरण का तेजी से उपयोग किया है। सांसदों ने कहा कि इस प्रस्ताव का उद्देश्य भारत जैसे प्रमुख रणनीतिक साझेदार के साथ संबंधों को सुधारते हुए व्यापार पर कांग्रेस के संवैधानिक अधिकार को फिर से स्थापित करना है।

सांसदों ने एक संयुक्त बयान में कहा, “ट्रम्प के इंडिया टैरिफ को खत्म करना कांग्रेस के डेमोक्रेट्स द्वारा व्यापार पर कांग्रेस के अधिकार को वापस लेने और राष्ट्रपति को एकतरफा गुमराह नीतियों को लागू करने के लिए आपातकालीन शक्तियों का उपयोग करने से रोकने के व्यापक प्रयास का हिस्सा है।”

गौरतलब है कि ट्रम्प ने सबसे पहले 1 अगस्त को भारतीय सामानों पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाया था, और कुछ ही दिनों बाद इसे दोगुना कर दिया। उन्होंने इसके लिए रूस से भारत की निरंतर तेल खरीद का हवाला दिया और तर्क दिया कि यह व्यापार यूक्रेन के खिलाफ मॉस्को के युद्ध को वित्तपोषित करने में मदद कर रहा है।

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