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अमेरिका: व्हाइट हाउस ने शुरू किया ‘हॉल ऑफ शेम’, प्रेस के खिलाफ ट्रंप का नया और तीखा हमला

| Updated: December 5, 2025 15:00

व्हाइट हाउस 'हॉल ऑफ शेम': ट्रंप का मीडिया पर अब तक का सबसे बड़ा हमला, पत्रकारों को बताया 'पिगी' और 'बदसूरत'

अमेरिका में प्रेस की आजादी पर बहस एक बार फिर तेज हो गई है। व्हाइट हाउस की वेबसाइट पर एक नया पेज जोड़ा गया है, जिसे लेकर विवाद खड़ा हो गया है। भरोसेमंद पत्रकारिता को बढ़ावा देने के बजाय, यह नया “मीडिया बायस पेज” (Media Bias Page) ट्रंप प्रशासन का मीडिया को अपमानित करने का नवीनतम प्रयास नजर आ रहा है।

जो पत्रकार या मीडिया संस्थान ट्रंप की नीतियों की आलोचना करते हैं, उन्हें इस पेज पर “अपराधी” (Offenders) के रूप में लेबल किया जा रहा है, वह भी बिना किसी तथ्यात्मक स्पष्टीकरण के। प्रेस की स्वतंत्रता के लिए काम करने वाली संस्था ‘रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स’ (RSF) ने व्हाइट हाउस से इस पेज को तुरंत हटाने की मांग की है।

सरकारी वेबसाइट पर ‘मीडिया ऑफेंडर ऑफ द वीक’

3 दिसंबर, 2025 तक की स्थिति के अनुसार, इस नए वेबपेज के “मीडिया ऑफेंडर ऑफ द वीक” (सप्ताह का मीडिया अपराधी) सेक्शन में सीबीएस न्यूज (CBS News), द बोस्टन ग्लोब और द इंडिपेंडेंट को प्रमुखता से जगह दी गई है। इन संस्थानों पर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बयानों को गलत तरीके से पेश करने का आरोप लगाया गया है।

व्हाइट हाउस ने एक “हॉल ऑफ शेम” (Hall of Shame) भी बनाया है, जिसमें कई मीडिया रिपोर्ट्स को सूचीबद्ध करते हुए उन्हें झूठा या भ्रामक बताया गया है। हैरान करने वाली बात यह है कि इन आरोपों को साबित करने के लिए कोई ठोस सबूत पेश नहीं किए गए हैं। इन लेखों को “झूठ” (Lie) और “वामपंथी पागलपन” (Left-Wing Madness) जैसी श्रेणियों में डाला गया है। करदाताओं के पैसे से चलने वाली सरकारी साइट पर ऐसी भाषा का इस्तेमाल प्रशासन के स्पष्ट राजनीतिक रवैये को उजागर करता है।

लीडरबोर्ड: मीडिया की रैंकिंग या सूचनाओं का खेल?

वेबसाइट पर थोड़ा नीचे जाने पर पाठकों को एक “लीडरबोर्ड” दिखाई देता है। इसमें उन मीडिया आउटलेट्स की रैंकिंग की गई है, जिन पर व्हाइट हाउस ने बार-बार गलत रिपोर्टिंग करने का आरोप लगाया है। प्रकाशन के समय तक, वाशिंगटन पोस्ट इस सूची में सबसे ऊपर है। एमएसएनबीसी (जिसका नाम हाल ही में बदलकर MS NOW कर दिया गया है) और सीबीएस न्यूज क्रमशः दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं। इसके बाद सीएनएन, द न्यूयॉर्क टाइम्स, पोलिटिको और द वॉल स्ट्रीट जर्नल का नंबर आता है।

इस सेक्शन में इस्तेमाल किए गए ग्राफिक्स बिल्कुल प्रोफेशनल डेटा जर्नलिज्म जैसे दिखते हैं, लेकिन इनमें इस्तेमाल किया गया डेटा बेहद संदिग्ध है। यह तरीका तानाशाही शासनों द्वारा अपनाए जाने वाले “इन्फॉर्मेशन वॉशिंग” (Information Washing) के बढ़ते ट्रेंड की नकल करता है, जहाँ गलत सूचनाओं को तथ्यों की तरह पेश किया जाता है।

आरएसएफ ने जताई चिंता: “यह बचकाना और खतरनाक है”

आरएसएफ नॉर्थ अमेरिका के कार्यकारी निदेशक क्लेटन वीमर्स ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा, “ट्रंप का व्हाइट हाउस प्रेस की आजादी के खिलाफ अपनी जंग में अब और ज्यादा चिड़चिड़ा होता जा रहा है। ट्रंप हमेशा से बचकाने नाम रखने और पुकारने के लिए जाने जाते हैं, और अब उनकी कम्युनिकेशंस टीम सरकारी संसाधनों का हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है ताकि प्रेस पर राजनीतिक हमले किए जा सकें। लेकिन हमें इसे सिर्फ सस्ते प्रचार का हथकंडा मानकर गलती नहीं करनी चाहिए—उनका प्रशासन पिछले एक साल से प्रेस की स्वतंत्रता और सूचना तक पहुंच को ठोस और गहरे तरीके से नुकसान पहुँचा रहा है।”

महिला पत्रकारों के प्रति बढ़ता आक्रामक रवैया

“हॉल ऑफ शेम” अमेरिकी मीडिया पर डोनाल्ड ट्रंप के लंबे समय से चले आ रहे हमलों का ही अगला चरण है। इससे पहले वॉल स्ट्रीट जर्नल और द न्यूयॉर्क टाइम्स के खिलाफ मुकदमे दायर किए गए थे, साथ ही मीडिया समूह डिज्नी और पैरामाउंट के साथ कोर्ट के बाहर समझौते हुए थे। अमेरिकी राष्ट्रपति अक्सर तब आक्रामक और अपमानजनक हो जाते हैं जब पत्रकार—खासकर महिलाएं—उनसे तीखे सवाल पूछती हैं या उनके विचारों के अनुरूप रिपोर्टिंग नहीं करतीं।

हाल के हफ्तों में उन्होंने कई महिला पत्रकारों पर तीखे हमले किए हैं:

  • नवंबर के मध्य में, उन्होंने ब्लूमबर्ग की रिपोर्टर कैथरीन लुसी पर चिल्लाते हुए कहा, “शांत रहो! शांत रहो, पिगी (Piggy)!” लुसी ने उनसे दिवंगत यौन अपराधी जेफरी एपस्टीन से जुड़े हाल ही में जारी दस्तावेजों के बारे में सवाल पूछा था।
  • व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने इस लहजे को सही ठहराया। उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में ट्रंप के बयान का बचाव करते हुए कहा कि राष्ट्रपति “फेक न्यूज को देखते ही उसे उजागर करते हैं और उन पत्रकारों से निराश हो जाते हैं जो गलत जानकारी फैलाते हैं।”
  • 26 नवंबर को, ट्रंप ने न्यूयॉर्क टाइम्स की एक संवाददाता को अपमानित करते हुए उन्हें “तीसरे दर्जे की रिपोर्टर जो अंदर और बाहर से बदसूरत है,” कहा।
  • अगले ही दिन, उन्होंने सीबीएस की पत्रकार नैन्सी कॉर्ड्स से पूछा कि क्या वह “एक मूर्ख व्यक्ति” हैं। नैन्सी ने 2021 में काबुल के पतन के बाद अमेरिका में प्रवेश करने वाले और शरण पाने वाले अफगानों की सरकारी जांच (vetting) के बारे में सवाल पूछा था।

प्रेस को कमजोर करने के लिए सत्ता का इस्तेमाल

पत्रकारों को अपमानित करना और उन पर कीचड़ उछालना ट्रंप के हमलों का सिर्फ एक हिस्सा है। उनका प्रशासन जानबूझकर राज्य की शक्ति के उपकरणों का उपयोग उन मीडिया आउटलेट्स को नुकसान पहुंचाने के लिए कर रहा है जो उन्हें पसंद नहीं हैं—यह एक ऐसी रणनीति है जो अक्सर सत्तावादी शासनों में देखी जाती है।

उदाहरण के लिए, अमेरिकी कांग्रेस ने ट्रंप के आग्रह पर नेशनल पब्लिक रेडियो (NPR) और पब्लिक ब्रॉडकास्टिंग सर्विस (PBS) की अरबों की सरकारी फंडिंग में कटौती कर दी है। इसके अलावा, ट्रंप ने विदेशी प्रसारकों वॉयस ऑफ अमेरिका (VOA) और रेडियो फ्री यूरोप/रेडियो लिबर्टी के फंड में भी भारी कटौती की है।

इसके चलते सैकड़ों कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया गया या उन्हें बिना वेतन छुट्टी पर जाने के लिए मजबूर किया गया। इससे बंदिशों वाले तानाशाही देशों में सूचना के प्रमुख स्वतंत्र स्रोत सूख गए हैं। इस फैसले के खिलाफ आरएसएफ ने वीओए कर्मचारियों के साथ मिलकर मुकदमा दायर किया है, जिस पर अंतिम फैसला आना अभी बाकी है।

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