यूएई ने अपने गोल्डन वीज़ा कार्यक्रम में बड़ा बदलाव करते हुए भारतीयों को अब करीब 23 लाख रुपए में आजीवन रेज़िडेंसी देने की घोषणा की है, जबकि पहले इसके लिए 4 करोड़ रुपए के निवेश की शर्त थी। इस कदम ने सोशल मीडिया पर जबरदस्त चर्चा छेड़ दी है। लेकिन सवाल यह है कि दुनिया के सबसे अमीर देशों में शुमार यूएई ने ऐसा कदम क्यों उठाया है?
करोड़ों से लाखों में निवेश शर्त का बदलाव
यूएई का गोल्डन वीज़ा प्रोग्राम 2019 में शुरू हुआ था और इसका मकसद मुख्य रूप से उच्च संपत्ति वाले निवेशकों और उद्यमियों को आकर्षित करना था। पहले इसके लिए कम से कम ₹4.67 करोड़ का निवेश देश के बिज़नेस या रियल एस्टेट में करना जरूरी था।
साथ ही, यह वीज़ा हर 5–10 साल में नवीनीकृत करना पड़ता था और यदि पात्र संपत्ति बेच दी जाए तो वीज़ा रद्द हो जाता था। अब नई नीति में ये शर्तें हटा दी गई हैं और आजीवन रेज़िडेंसी का वादा किया गया है, भले ही संपत्ति बेची जाए।
इसके अलावा, यूएई में शून्य आयकर, पूंजीगत लाभ कर या उत्तराधिकार कर जैसी वित्तीय छूट भी उपलब्ध हैं, जो इसे और भी आकर्षक बनाती हैं।
प्रतिभा को आकर्षित करने की यूएई की रणनीति
वीज़ा की लागत में इतनी बड़ी कटौती केवल धन आकर्षित करने के लिए नहीं है। यूएई की रणनीति है कि वह वैश्विक प्रतिभा को अपने यहां लाए और अपनी अर्थव्यवस्था को विविध बनाए।
हाल ही में एक सर्वे में सामने आया कि इंजीनियरिंग, सेल्स और मार्केटिंग जैसे क्षेत्रों में देश को कुशल पेशेवरों की कमी का सामना करना पड़ रहा है। खलीज टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, साइबर सुरक्षा, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और क्लाउड कंप्यूटिंग में भी पेशेवरों की मांग तेजी से बढ़ रही है।
पहले जहां वीज़ा मॉडल निवेश या रियल एस्टेट पर केंद्रित था, अब ₹23 लाख की फीस भारत के अपर मिडिल क्लास पेशेवरों के लिए भी इसे सुलभ बना रही है।
कौन-कौन कर सकता है आवेदन?
करीब ₹23 लाख की कीमत कई मिड-रेंज एसयूवी या लग्ज़री कारों से भी कम है, जिससे यह स्कीम ज्यादा लोगों की पहुंच में आ गई है।
एक पीटीआई रिपोर्ट के मुताबिक, तीन महीने के भीतर 5,000 से ज्यादा भारतीयों के आवेदन करने की संभावना है।
नई योजना में पात्रता का दायरा काफी बढ़ाया गया है, जिसमें शामिल हैं:
- 15+ वर्षों का अनुभव रखने वाले शिक्षक
- स्कूल प्रिंसिपल
- विश्वविद्यालयों के प्रोफेसर और फैकल्टी
- शोधकर्ता और वैज्ञानिक
- अनुभवी नर्सें
- डिजिटल कंटेंट क्रिएटर्स जैसे यूट्यूबर और पॉडकास्टर (25 वर्ष से अधिक आयु के)
सिर्फ पैसे से नहीं होगा काम
हालांकि, केवल ₹23 लाख चुकाने से ही वीज़ा मिल जाएगा, ऐसा नहीं है। इसके लिए मेरिट-बेस्ड नॉमिनेशन और कड़ी पृष्ठभूमि जांच प्रक्रिया से गुजरना होगा।
यूएई के अधिकारी यह भी देखेंगे कि आवेदक के पेशेवर अनुभव और उपलब्धियां देश के विज्ञान, शिक्षा, नवाचार, डिजिटल मीडिया जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में किस तरह योगदान दे सकते हैं।
यानी कीमत कम होने से भले ही ज्यादा भारतीयों के लिए दरवाजे खुले हों, लेकिन वीज़ा उन्हीं को मिलेगा जो यूएई की अर्थव्यवस्था और समाज में वास्तविक योगदान देने की क्षमता रखते हैं।
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